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प्रियंका गांधी की यूपी में ऑफिसियल इंट्री, संभाल सकती हैं कैंपेन का जिम्मा

राजनीति में प्रियंका का सक्रिय रूप में आना उनके भाई राहुल गांधी के लिए घातक भी हो सकता है, क्योंकि राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस अब तक करीब 20 चुनाव हार चुकी है. यह कांग्रेस में एक रिकॉर्ड है.

प्रियंका गांधी प्रियंका गांधी
संदीप कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 22 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 12:35 PM IST

प्रियंका गांधी ने बैकडोर से ही सही लेकिन यूपी की राजनीति में सक्रिय भूमिका अख्तियार कर ली है. पिछले कुछ महीनों से अटकी गठबंधन की गांठ प्रियंका ने चंद बैठकों में सुलझा ली है. ताजा जानकारी के मुताबिक सपा अब 298 सीटों पर और कांग्रेस 105 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. हालांकि अभी अमेठी और रायबरेली जिले की सीटों पर स्थिति स्पष्ट नहीं है. उम्मीद जताई जा रही है कि कुछ ही देर में गठबंधन की औपचारिक घोषणा हो जाएगी. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अहमद पटेल ने ट्वीट कर बताया है कि गठबंधन की खातिर प्रियंका और अखिलेश के बीच बातचीत हुई थी.

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प्रियंका की होती रही है डिमांड
यूपी की राजनीति में 27 साल से बेहाल कांग्रेस को जिंदा करने के लिए कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता कई बार प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति (खासकर यूपी) में आने की मांग उठाते रहे हैं. 'प्रियंका लाओ कांग्रेस बचाओ' और 'मईया रहती बीमार, भईया पर बढ़ गया भार' जैसे पोस्टर और नारे प्रियंका की खातिर कई बार लगते रहे हैं.

पहले भी करती रही हैं प्रचार
प्रियंका गांधी पहले भी यूपी में कांग्रेस का प्रचार करती रही हैं. हालांकि अब तक वे अपनी मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी के लिए प्रचार करती रही हैं. अमेठी और रायबरेली जिले की प्रचार कमान उनके हाथों में ही रहती आई है. वे खुद अमेठी और रायबरेली से व्यक्तिगत लगाव रखती हैं. उनके बच्चे भी अक्सर अमेठी और रायबरेली जाते रहते हैं.

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इस चुनाव में प्रियंका महत्वपूर्ण
कुछ दिन पूर्व ही प्रियंका और डिंपल को लेकर प्रतापगढ़ में लगा एक पोस्टर वायरल हुआ था. जिसमें प्रियंका गांधी और डिंपल यादव के साथ लोकल उम्मीदवार की पोस्टर पर तस्वीर है. उसमें लिखा गया है कि यूपी में अब बज गया महिला सशक्तिकरण का डंका मोर्चे पर डिंपल भाभी, बहन प्रियंका.

राहुल के लिए खतरे की घंटी
राजनीति में प्रियंका का सक्रिय रूप में आना उनके भाई राहुल गांधी के लिए घातक भी हो सकता है, क्योंकि राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस अब तक करीब 20 चुनाव हार चुकी है. यह कांग्रेस में एक रिकॉर्ड है. कांग्रेस का शीर्ष धड़ा भले ही राहुल गांधी को अध्यक्ष के तौर पर देखना चाहता हो लेकिन कांग्रेस में समय-समय पर राहुल के खिलाफ आवाज भी उठती रही है. चुनावों में लगातार हार का मुंह देख रही कांग्रेस में कई बार 'राहुल हटाओ कांग्रेस बचाओ' के नारे भी लग चुके हैं. ऐसे में अगर यूपी में सपा-कांग्रेस का गठबंधन प्रियंका के नेतृत्व में आगे आया तो प्रियंका के लिए पहली इनिंग में शतक लगाने जैसा हो सकता है.

पीके भी रख चुके हैं मांग
कांग्रेस के लिए चुनावों में प्रचार कमान संभाल रहे प्रशांत किशोर खुद पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को कई बार यह बात कह चुके हैं कि अगर चुनाव जीतना है तो प्रियंका को आगे लाना होगा. हालांकि उस वक्त पार्टी ने उनकी इस राय को यह कह कर टाल दिया था कि इसके लिए अभी सही वक्त नहीं है.

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प्रियंका होंगी स्टार प्रचारक
अब यह स्पष्ट है कि चुनावों में प्रियंका गांधी अहम भूमिका में होगी. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक इस बार यह तय है कि प्रियंका अपनी मां सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली तथा भाई राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी से बाहर भी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करेंगी. प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष संजय सिंह ने भी एक समाचार चैनल से बातचीत में इस बात की पुष्टि की थी. उन्होंने कहा था कि, "वे (प्रियंका गांधी वाड्रा) प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार में अहम भूमिका निभाएंगी."

शनिवार को भी हुई थी बात
गठबंधन की खातिर प्रियंका गांधी ने नई दिल्ली में शनिवार देर रात रामगोपाल से मुलाकात की थी. वहीं दूसरी ओर सीएम अखिलेश यादव और कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बीच भी बातचीत हुई थी. बैठकों में सीटों के बंटवारे पर एक बार फिर से चर्चा हुई थी.

लंबे समय से चल रही थी गठबंधन की बात
सपा-कांग्रेस के बीच गठबंधन की बात पिछले तीन महीनों से चल रही थी. सपा में उठे विवाद के पूर्व मुलायम कांग्रेस के साथ गठबंधन के मूड में थे तब अखिलेश इसके लिए तैयार नहीं थे. लेकिन, पार्टी में झगड़े के समय उन्होंने खुद गठबंधन के लिए बात की थी. गठबंधन के बाद सीटों को लेकर मामला फंसा हुआ था जो अब सुलझता हुआ नजर आ रहा है.

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कांग्रेस लगातार पीछे
यूपी में कांग्रेस ने आखिरी बार नारायण दत्त तिवारी की अगुवाई में सत्ता में आई थी. 5 दिसंबर 1989 को नारायण दत्त तिवारी ने मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ी थी. इसके बाद हुए हर विधानसभा चुनाव में सपा बढ़ती गई और कांग्रेस पिछड़ती गई.

ये है यूपी का राजनीतिक महत्व
कहते हैं केन्द्रीय सत्ता का रास्ता यूपी होकर ही गुजरता है. इस राजनैतिक मुहावरे का आधार मजबूत है. आंकड़ों में देखें तो यूपी में विधानसभा की 403, लोकसभा की 80 और राज्यसभा की 31 सीटें हैं.

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