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नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी बोले- सरकार में किसी ने फोन कर नहीं दी बधाई

अभिजीत बनर्जी ने इंडिया टुडे ग्रुप के न्यूज़ डायरेक्टर राहुल कंवल से जेएनयू कैंपस में बात करते हुए कहा कि सरकार अगर हमसे किसी मुद्दे पर बात करती है या पूछती है तो ऐसा नहीं है कि हम सलाह देने से इनकार कर देंगे.

राहुल कंवल के साथ अभिजीत बनर्जी राहुल कंवल के साथ अभिजीत बनर्जी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 1:14 AM IST

  • 'सरकार चाहेगी तो अर्थव्यवस्था पर हम जरूर सलाह देंगे'
  • अभिजीत ने कहा कि लोगों की समस्याओं को खत्म किया जाना चाहिए

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने दिल्ली के जेएनयू कैंपस में आजतक से खुलकर बातचीत की. नोबेल पुरस्कार मिलने के बाद अभिजीत बनर्जी इन दिनों भारत आए हुए हैं.

उन्होंने इंडिया टुडे ग्रुप के न्यूज़ डायरेक्टर राहुल कंवल से जेएनयू कैंपस में बात करते हुए कहा कि सरकार अगर हमसे किसी मुद्दे पर बात करती है या पूछती है तो ऐसा नहीं है कि हम सलाह देने से इनकार कर देंगे. मुझे चाहिए कि भारत के लोगों का विकास हो और उनकी समस्याओं को खत्म किया जा सके.

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अभिजीत बनर्जी ने कहा कि अगर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार उनसे आर्थिक स्थिति पर सुझाव मांगती है तो वो देने के लिए तैयार हैं.

एक सवाल के जवाब में अभिजीत बनर्जी ने बताया कि उन्हें सरकार के किसी व्यक्ति ने फोन करके बधाई नहीं दी. साथ ही उन्होंने कहा कि कई लोगों ने ट्वीट किए लेकिन मेरी सरकार में किसी से इस प्रकार की जान-पहचान भी नहीं है.

भारत के विकास की दर खराब क्यों हो रही है, इस सवाल के जवाब में अभिजीत बनर्जी ने कहा कि मांग (डिमांड) की एक समस्या है. क्योंकि लोग सामान खरीद नहीं रहे हैं और इस कारण जिसके पास कुछ बेचने के लिए वो बेच नहीं पा रहे हैं. न बेच पाने के कारण उसके पास भी पैसा नहीं इसलिए वो भी कुछ नहीं खरीद पा रहा है.

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क्यों नहीं बिक रहे सामान, इस सवाल के जवाब में अभिजीत ने कहा कि कुछ तो इसलिए क्योंकि जो गेंहू और चावल के सपोर्ट प्राइस को काफी दबा दिया गया है. इसकी वजह से किसानों के पास पैसा नहीं है.

विकास की रफ्तार में गति लाने के लिए मोदी सरकार को किसानों को मिलने वाले सपोर्ट प्राइस को थोड़ा बढ़ाना चाहिए, या फिर किसी और तरीके से किसानों को पैसा पहुंचाने का काम होना चाहिए. जैसे सरकार ने योजना लागू करके उन्हें कुछ पैसे दिए, और भी पैसे दिए जा सकते हैं.

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