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सोनिया के आलोचक से कांग्रेस के बागी तक, ऐसा रहा संजय निरुपम का सफर

कांग्रेस में आने के बाद उन्हें महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महासचिव बनाया गया. वहीं, 2009 में संजय निरुपम मुंबई उत्तर लोकसभा सीट से सांसद बनकर संसद भी पहुंचे. बता दें कि संजय निरुपम कांग्रेस में शामिल होने से पहले सोनिया गांधी के आलोचक हुआ करते थे.

संजय निरुपम (ट्विटर) संजय निरुपम (ट्विटर)
मलाइका इमाम
  • नई दिल्ली,
  • 04 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 9:01 PM IST

  • संजय निरुपम मूलरूप से बिहार से ताल्लुक रखते हैं
  • वह पहले सोनिया गांधी के आलोचक हुआ करते थे

पत्रकारिता से करियर की शुरुआत कर राजनीति में आए संजय निरुपम महाराष्ट्र कांग्रेस का जाना-माना चेहरा हैं. हालांकि, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ऐन पहले टिकट बंटवारे को लेकर उन्होंने बगावती रुख अपना लिया है. संजय निरुपम ने साल 2005 में शिवसेना छोड़कर कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन कर ली थी. कांग्रेस में आने के बाद उन्हें महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महासचिव बनाया गया. वहीं, 2009 में संजय निरुपम मुंबई उत्तर लोकसभा सीट से सांसद बनकर संसद भी पहुंचे. बता दें कि संजय निरुपम कांग्रेस में शामिल होने से पहले सोनिया गांधी के आलोचक हुआ करते थे.

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संजय निरुपम के बारे में

संजय निरुपम मूलरूप से बिहार से ताल्लुक रखते हैं. उनका जन्म 6 फरवरी 1965 को बिहार के रोहतास में हुआ था. उन्होंने साल 1984 में पटना के एक कॉलेज से राजनीति विज्ञान में बीए की डिग्री प्राप्त की थी. इसके बाद उन्होंने दिल्ली का रुख किया. साल 1988 में उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के जनसत्ता अखबार में बतौर पत्रकार करियर शुरू किया. 5 साल तक जनसत्ता के मुंबई संस्करण में काम करने के बाद वे 1993 में शिवसेना के मुखपत्र 'दोपहर का सामना' में चले गए जहां उन्होंने एग्जीक्यूटिव एडिटर के पद पर ज्वॉइन किया. इस बीच निरुपम ने गीता से 10 अक्टूबर 1989 को शादी की थी. उनकी एक बेटी शिवानी निरुपम हैं.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

संजय निरुपम 1996 में शिवसेना के टिकट पर राज्यसभा पहुंचे. यहीं से उनका राजनीतिक करियर शुरू हुआ. निरुपम 1996 से 2006 तक राज्यसभा सदस्य रहे. हालांकि, शिवसेना में लंब समय तक रहने के बाद वे खेमा बदलकर कांग्रेस में शामिल हो गए. 2005 में कांग्रेस ज्वॉइन करने के बाद निरुपम को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमिटी में महासचिव बनाया. उसके बाद वे गोवा, गुजरात और नगालैंड के विधानसभा चुनावों में चुनाव पर्यवेक्षक बने. 2009 में संजय निरुपम मुंबई उत्तर लोकसभा सीट से सांसद बनकर संसद भी पहुंचे.

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वहीं, 2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने मुंबई की सभी छह सीटें गंवा दीं. इसके बाद पार्टी ने निरुपम को मुंबई कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया. हालांकि 2019 लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस ने निरुपम को मुंबई उत्तर-पश्चिम से लोकसभा उम्मीदवार घोषित किया, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटा दिया. संजय निरुपम की जगह मिलिंद देवड़ा को मुंबई कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया.

मोदी लहर में दोनों बार मिली हार

2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के गोपाल शेट्टी से संजय निरुपम को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था. गोपाल शेट्टी को 6,64,004 वोट मिले. वहीं निरुपम को महज 2,17,422 वोट ही मिले थे.

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2019 लोकसभा चुनाव में संजय निरुपम को कांग्रेस के टिकट पर मुंबई उत्तर-पश्चिम सीट से शिवसेना के उम्मीदवार गजानन कीर्तिकर से हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में गजानन को 5,70,063 वोट मिले, तो वहीं निरुपम को 3,09,735 वोट हासिल हुए.

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