
महाराष्ट्र के पुणे जिले में भारी बारिश के बाद हुए लैंडस्लाइड में कम से कम 30 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 160 से अधिक लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही है. मालिन में हादसे के बाद से ही बचावकर्मी पत्थरों और गारे के विशाल मलबे से जिंदा बचे लोगों और शवों की तलाश कर रहे हैं.
घटनास्थल के निकट मांचर तालुका में स्थापित आपात नियंत्रण कक्ष से मिली जानकारी के मुताबिक, खराब मौसम के बावजूद एनडीआरएफ के जवानों ने मलबे से 15 शव निकाल लिए हैं. इसके साथ ही 15 अन्य को जीवित निकाला गया है. घायलों को नजदीकी सरकारी चिकित्सा केंद्रों में भर्ती करवाया गया है. मुख्यमंत्री पृथ्वी राज चव्हाण ने बताया कि बुधवार सुबह एक पहाड़ी का बड़ा हिस्सा टूटकर गिरने से 44 मकान उसके नीचे दब गए. समझा जाता है कि इन मकानों में रहने वाले 160 लोग मलबे के तले दबे हो सकते हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह इस आपदा के शिकार मालिन गांव का दौरा करेंगे. जिले के अंबेगांव तालुका का यह गांव जिला मुख्यालय से 120 किलोमीटर की दूरी पर है. अपनी यात्रा के दौरान गृह मंत्री प्रभावित लोगों से मिलेंगे और बचाव अभियान का मुआइना करेंगे. उम्मीद है कि वह स्थानीय अधिकारियों के साथ बैठक भी करेंगे.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजनाथ सिंह से हादसे के बारे में बात की है. पीएम से मुलाकात के बाद सिंह पुणे के लिए रवाना हुए. कुछ अन्य मंत्रियों के अलावा चव्हाण और उनके डिप्टी अजित पवार घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. पुणे के कलक्टर सौरव राव ने बताया कि मलबा हटाने के लिए विशाल मशीनें लगाई गई हैं, लेकिन बचावकर्मी इनका इस्तेमाल बहुत धीरे और सावधानी से कर रहे हैं ताकि मलबे में फंसे किसी जीवित व्यक्ति को चोट न लगे.
स्थानीय लोग भी कर रहे मदद
घटनास्थल पर आसपास के इलाकों के बहुत से लोग जमा हो गए हैं और वह गिरे हुए पेड़ों और पत्थरों को हाथों से हटाकर राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के 300 कर्मियों के राहत प्रयासों में मदद कर रहे हैं. ग्रामीणों के अनुसार बहुत से जानवर और एक मंदिर भी मलबे में दब गए हैं. भारी बारिश और भूस्खलन के कारण संचार की लाइनें बाधित हो गई हैं, जिन्हें बहाल करने की कोशिश की जा रही है. बचावकर्मी बिना रूके मलबा हटाने के काम में लगे हैं ताकि अंधेरा होने से पहले ज्यादा से ज्यादा लोगों को जीवित निकाला जा सके, वहीं रूक-रूककर हो रही बारिश के कारण बचाव कार्य में परेशानी हो रही है.