
पंजाब में नेता प्रतिपक्ष के पद से हटाए गए सुखपाल सिंह खैरा ने छह विधायकों के साथ बिगुल फूंक दिया है. हालांकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी के नेतृत्व की तरफ से अभी इस मामले पर कोई ठोस बयान नहीं आया.
सूत्रों की मानें तो पद से हटाए सुखपाल सिंह खैरा ने मजीठिया से भी जाने के बाद मुलाकात की है. माना जा रहा है कि यह मुलाकात अकालियों के साथ हाथ मिलाने में भी तब्दील हो सकते हैं.
सुखपाल सिंह खैरा के साथ फिलहाल छह विधायक हैं. आम आदमी पार्टी की पंजाब की इकाई के भीतर जिस तरह से उठा-पटक का दौर जारी है, ऐसे में और भी विधायक खैरा का साथ दे सकते हैं. ऐसे में अकाली दल सुखपाल सिंह खैरा के साथ हाथ मिला भी सकता है.
उधर जिस तरह से उन्होंने बठिंडा में कार्यकर्ताओं के साथ हुए कार्यक्रम में छोटेपुर सुच्चा सिंह को लेकर बयान दिया उससे यह भी कयास लग रहे हैं कि आम आदमी पार्टी के खिलाफ पहले बागी हुए नेता भी सुखपाल सिंह खैरा के साथ आ सकते हैं.
खैरा ने कहा, हमें उसी वक्त बोलना चाहिए था जब छोटेपुर सुच्चा सिंह को हठाया गया था. पर तब कुछ मजबूरियां थीं जिन्होंने हमें रोक रखा था.
दरअसल सुखपाल सिंह खैरा की जगह दिरबा के विधायक हरपाल सिंह चीमा को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के बाद से ही विवाद गहरा गया है. 26 जुलाई को मनीष सिसोदिया ने महज एक ट्विट कर इस बारे में जानकारी दी थी.
माना जा रहा है कि दलित बिरादरी से होने की वजह से चीमा को शीर्ष नेतृत्व ने नेता प्रतिपक्ष के पद लिए चुना है.
चीमा दलित बिरादरी का प्रतिनिधित्व करते हैं. पंजाब में दलित बिरादरी का प्रतिश करीब 34 फीसदी है.
उधर सुखपाल सिंह खैरा जिस इलाके से आते हैं वहां एनआरआइ कम्युनिटी का अच्छा खासा प्रभाव है. एनआरआइ के बीच सुखपाल सिंह खैरा की भी अच्छी पकड़ है. सुखपाल सिंह खैरा एनआरआइ कम्युनिटी से फंड जुटाने में माहिर बताए जाते हैं.
अकाली दल के साथ उनके हाथ मिलाने की चर्चा इसलिए भी तेज हो गई क्योंकि सुखपाल सिंह खैरा ने बठिंडा की कार्यक्रम में पंजाब और पंजाबियों के हितों से शीर्ष नेतृत्व पर दूर होने का आरोप तो लगाया मगर यहां के सबसे बड़े मसले ‘ड्रग्स’ को लेकर कोई बयान नही दिया. इस चुप्पी को मजीठिया के साथ उनके भविष्य के संबंधों को जोड़कर देखा जा रहा है.
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