एशियाई खेलों में गोल्ड जीतने वाले कौर सिंह को भूली पंजाब सरकार, इलाज के लिए लेना पड़ा कर्ज

दो साल पहले जब डॉक्टरों ने कौर सिंह को स्टेंट डलवाने की सलाह दी तो उनके पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे. मजबूरन उन्होने संगरूर के एक साहूकार से दो लाख रुपये के कर्ज लेकर अपना इलाज करवाया.

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कौर सिंह कौर सिंह

मनजीत सहगल

  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 7:20 PM IST

पंजाब सरकार की अनदेखी एशियाई खेलों में देश का नाम रोशन करने वाले 65 वर्षीय बॉक्सर पद्मश्री कौर सिंह पर भारी पड़ रही है. दिल की बीमारी से पीड़ित कौर सिंह अब इलाज के लिए पंजाब सरकार से मदद की उम्मीद लगाए बैठे हैं लेकिन सरकार को नहीं मालूम कि कौम का एक हीरा किस तरह इलाज के लिए दर-दर ठोकरें खा रहा है.

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दो साल पहले जब डॉक्टरों ने कौर सिंह को स्टेंट डलवाने की सलाह दी तो उनके पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे. मजबूरन उन्होने संगरूर के एक साहूकार से दो लाख रुपये के कर्ज लेकर अपना इलाज करवाया. हालत यह है कि अब कर्ज दो लाख रुपये से बढ़कर ढाई लाख रुपये हो गया है. लेकिन वो एक बार फिर से अस्पताल पहुंच गए हैं और उनका शरीर जवाब दे गया है. वह लाचार हैं और उनको पिछले महीने इलाज के लिए मोहाली के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था.  

बॉक्सिंग लेजेंड मोहम्मद अली से भिड़ने वाले देश के एकमात्र मुक्केबाज को खेल के दौरान जितनी भी चोटें लगीं वह अब बुढ़ापे में दर्द कर रही हैं. पिछले 24 दिनों से वह एक अस्पताल में हैं लेकिन पंजाब सरकार का एक भी नुमाइंदा उनकी पूछताछ के लिए नहीं पहुंचा.

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कौर सिंह के मुताबिक तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने 1982 में घोषणा की थी कि उनको सरकार की तरफ से एक लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा लेकिन 35 साल गुजर गये और अभी तक उनको इस इनाम की पूरी राशि नहीं दी गई है. बकौल कौर सिंह जब एक बार उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को उनकी घोषणा की याद दिलाई तो वह उनको महज दस हजार रुपये दे कर चले गए, बाकी की राशि का वह आज तक इंतजार कर रहे हैं.

दस सालों (2007 तो 2017) के दौरान अपने सरकारी हेलीकॉप्टर से 100 करोड़ रुपये की यात्राएं करने वाले प्रकाश सिंह बादल और उनके उपमुख्यमंत्री बादल को कौर सिंह के इनाम की बकाया राशि के 90 हजार देने की याद नहीं आई. जब आज तक ने अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कौर सिंह से उनकी अनदेखी के बारे में पूछा तो उनका ये ही कहना था कि पंजाब के लोगों को सोच-समझ कर ही खिलाड़ी बनाना चाहिए क्योंकि राज्य सरकार जो कहती है वह करती नहीं.

कौर सिंह के सम्मान की बात करें तो उन्होंने सुपर हैवी वेट वर्ग में 1982 में दिल्ली में आयोजित एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल और फिर उसके बाद एशियन चैंपियनशिप और किंग्स कप में गोल्ड मेडल हासिल किए हैं. हालांकि वह सेना से सूबेदार के पद पर सेवानिवृत्त हुए और कुछ दिन पंजाब पुलिस में भी नौकरी की लेकिन उनको मिलने वाली पेंशन परिवार का गुजारा करने के लिए पर्याप्त नहीं है. कौर सिंह संगरूर के छोटी कनाल कला गांव के निवासी हैं और उनके पास महज दो एकड़ पुश्तैनी जमीन है. कौर सिंह की पत्नी बलजीत कौर भी बीमार हैं, उनके बेटे के पास भी कोई नौकरी नहीं है और पूरा परिवार खेती-बाड़ी करके ही गुजर बसर कर रहा है.

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उधर आजतक ने पंजाब के इस जाबांज मुक्केबाज की खराब हालत का ध्यान पंजाब सरकार के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल को दिलाया तो उन्होंने भरोसा दिया कि सरकार उनके इलाज का खर्च उठाएगी, बशर्ते वह या उनके परिवार का कोई सदस्य सरकार को अर्जी दे.

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