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केंद्र ने बेअंत सिंह के हत्यारे रजोआना की फांसी को उम्रकैद में बदला, कांग्रेस भड़की

जुलाई 2007 में बेअंत सिंह हत्या मामले में एक विशेष अदालत ने रजोआना को मौत की सजा सुनाई थी. रजोआना को 31 मार्च 2012 को फांसी की सजा दी जानी थी, लेकिन 28 मार्च 2012 को यूपीए सरकार ने फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी. तब शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने फांसी की सजा के खिलाफ राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल की थी.

बेअंत सिंह का हत्यारा बलवंत सिंह रजोआना (फाइल फोटो) बेअंत सिंह का हत्यारा बलवंत सिंह रजोआना (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 1:40 PM IST

  • बेअंत सिंह के हत्यारे की फांसी की सजा उम्र कैद में तब्दील
  • पंजाब के पूर्व सीएम रहे हैं बेअंत सिंह
  • जुलाई 2007 में बलवंत सिंह को हुई थी फांसी की सजा

पंजाब की सियासत पर असर डालने वाले एक बेहद अहम घटनाक्रम में गृह मंत्रालय ने पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए बलवंत सिंह रजोआना की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दी है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने रविवार को ये जानकारी दी.

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कांग्रेस के नेता और पंजाब से आतंकवाद का समूल विनाश करने का गौरव हासिल करने वाले बेअंत सिंह की 31 अगस्त 1995 को हत्या कर दी गई थी.

गृह मंत्रालय के इस फैसले पर कांग्रेस उबल पड़ी है. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि आज भाजपा की झूठी देशभक्ति का पर्दाफाश हो गया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी अब सरकार बेअंत सिंह के कातिलों के साथ है.

गृह मंत्रालय के फैसले की जानकारी देते हुए एक अधिकारी ने कहा, "बलवंत सिंह रजोआना की मौत की सजा को कम कर उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया है. इस बारे में औपचारिक नोटिफिकेशन जारी की प्रक्रिया चल रही है." शनिवार को गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि आठ सिख कैदी जो कि देश की अलग-अलग जेलों में बंद हैं, इन पर पंजाब में उग्रवाद के दौरान अलग-अलग अपराध अंजाम देने का दोष है. ये सारे कैदी गुरु नानक देव जी की 550वीं वर्षगांठ पर रिहा किए जाएंगे."

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गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि एक सिख कैदी की मौत की सजा को उम्र कैद में बदलने का फैसला लिया गया है. रविवार को पता चला कि ये कैदी बलवंत सिंह रजोआना है. बता दें कि नवंबर में गुरु नानक देव की 550वीं जयंती मनाई जाएगी. गृह मंत्रालय के मुताबिक केंद्र सरकार ने सिख संगठनों के लंबे समय से चल रही मांग को देखते हुए कैदियों को रिहा करने का फैसला लिया है.

इन आठ कैदियों की होगी रिहाई

गृह मंत्रालय ने जिन आठ कैदियों को रिहा करने का फैसला किया है उनके नाम हैं. लाल सिंह, दिलबाग सिंह, हरदीप सिंह, बज सिंह, नंद सिंह, गुरुदीप सिंह खेरा, वारेम सिंह और सुधीर सिंह.

31 अगस्त को हुए थे बम धमाके

31 अगस्त 1995 को पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह चंडीगढ़ में सचिवालय के सामने हुए धमाके में मारे गए थे. इस हमले में 16 और लोगों की जान गई थी. इस हमले को अंजाम देने के लिए पंजाब पुलिस का स्टाफ दिलावर सिंह आत्मघाती हमलावर बन गया था. आतंकियों ने बब्बर खालसा के आतंकी को दूसरे आत्मघाती हमलावर के रूप में तैयार किया था, ताकि अगर पहला आत्मघाती हमला फेल हो जाए तो ये शख्स इस हमले को अंजाम दे सके.

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2007 में मिली थी मौत की सजा

जुलाई 2007 में बेअंत सिंह हत्या मामले में एक विशेष अदालत ने रजोआना को मौत की सजा सुनाई थी. राजौना को 31 मार्च 2012 को फांसी की सजा दी जानी थी. लेकिन 28 मार्च 2012 को यूपीए सरकार ने फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी. तब शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने फांसी की सजा के खिलाफ राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल की थी. उस वक्त पंजाब में अकाली दल की सरकार थी. अकाली दल ने भी राजोआना की फांसी की सजा का विरोध किया था. तत्कालीन राष्ट्रपति ने इस दया याचिका को गृह मंत्रालय को भेज दिया था.

अकाली दल के नेता मनजिंदर सिरसा ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. लेकिन कांग्रेस ने सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि उग्रवाद से लड़ाई में ये देश के लिए सबसे दुखद दिन है. उन्होंने कहा कि बीजेपी की झूठी देशभक्ति का पर्दाफाश हो गया है. अब सरकार सरदार बेअंत सिंह के कातिलों के साथ है. सरकार का नया नारा है, उग्रवादियों का साथ, उग्रवादियों का विकास.

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