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सतलुज-यमुना लिंक विवाद पर पंजाब विधानसभा ने कहा है कि हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली से पानी के बिल वसूले जाएं. पंजाब सरकार दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान को 1966 से लेकर अब तक दिए गए पानी का बिल भेजेगी और पानी की पूरी कीमत वसूल की जाएगी. पंजाब सरकार हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान को 1 लाख 34 हजार करोड़ का बिल भेजेगी.
हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली से पानी का बिल लेने का प्रस्ताव पंजाब विधानसभा में पास हो गया है. विधानसभा में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि राजस्थान को कुदरत ने मार्बल दिया और कुछ स्टेट को कोयला और खनिज पदार्थ दिए हैं. पंजाब को कुदरत ने पानी दिया है. जब दूसरी स्टेट मार्बल और कोयले के साथ खनिज पदार्थों का पैसे ले सकते है तो पंजाब भी अपने पानी का पैसा लेगा.
वहीं सतलुज यमुना लिंक विवाद पर बैंस ब्रदर्स (सिमरजीत सिंह और बलविंदर सिंह) ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया है. सिमरजीत सिंह लुधियाना (साउथ) से और बलविंदर सिंह आतम नगर से विधायक हैं.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सतलुज यमुना लिंक (SYL) नहर पर निर्माण कार्य को जारी रखने का फैसला दिया था. इस मसले को लेकर पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र 16 नवंबर से बुलाया गया था. फैसले के विरोध में कांग्रेस सांसद अमरिंदर सिंह ने इस्तीफा दे दिया था. पंजाब के सभी कांग्रेस विधायकों ने भी कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपने इस्तीफे भेज दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पंजाब अन्य राज्यों के साथ हुए समझौते से एकतरफा निर्णय करके बाहर नहीं जा सकता. कोर्ट ने सतलुज यमुना संपर्क नहर मामले में राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए सवालों का नकारात्मक जवाब देते हुए कहा कि इस तरह अन्य राज्यों के साथ जल बंटवारे का समझौता रद्द करने का पंजाब का कानून अवैध है.
ये है विवाद
सतलुज-यमुना लिंक नहर के पानी को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच काफी लंबे समय से विवाद चल रहा था. 2004 में तत्कालीन राष्ट्रपति ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से सलाह मांगी थी और उसी पर सर्वोच्च अदालत ने फैसला सुनाया. इस बीच पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा, 'अगर अदालत का फैसला हमारे खिलाफ आया तो पानी नहीं, अपने खून का एक-एक कतरा बहा देंगे.'