
पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई पंजाब में आतंकवाद के जिन्न को फिर से जिंदा करने की कोशिश में लगी है. इसके लिए उसने खालिस्तानी संगठनों को न केवल हथियार और पैसा, बल्कि भारत विरोधी प्रचार करने का जिम्मा भी सौंपा है. ऐसा ही एक खालिस्तानी संगठन है 'सिख्स फॉर जस्टिस.' जो अमेरिका के न्यूयॉर्क से अपनी दुकान चलाता है. रेफरेंडम 2020 नाम का विवादित सोशल मीडिया दुष्प्रचार अभियान शुरू करने के बाद अब इस संगठन ने शांति भंग करने के लिए तिरंगा जलाओ अभियान शुरू किया है. इस विवादित अभियान के तहत खालिस्तानी उग्रवादी सिखों को 26 जनवरी तक तिरंगा जलाने के लिए उकसा रहे हैं.
सिख फॉर जस्टिस के टि्वटर हैंडल पर शेयर किए गए एक वीडियो में अमेरिका के न्यूयार्क में रहने डब्ल्यू वाला राणा सिंह नाम के सिख को कहते सुना जा सकता है कि तिरंगे ने सिखों को गुलाम बनाया और इस झंडे वाला देश 1984 के सिख विरोधी दंगों के लिए जिम्मेवार है. वह वीडियो के अंत में खालिस्तान जिंदाबाद के नारे भी लगाता है.
इंडिया टुडे को भेजे गए एक अन्य वीडियो में आधा दर्जन अज्ञात लोग दिखाई दे रहे हैं. जिनमें से सिर्फ़ तीन सिख हैं. वह बार-बार खालिस्तान के पक्ष में नारे लगाते हुए आखिर में तिरंगे को आग के हवाले कर देते हैं.
यूं तो पंजाब में बब्बर खालसा जैसे खालिस्तानी आतंकवादी संगठन भी सरगम हैं, लेकिन पिछले 2 सालों से न्यूयॉर्क से अपनी दुकान चला रहा 'सिख्स फॉर जस्टिस' नाम का खालिस्तानी संगठन पंजाब में आतंकवाद के जिन्न को फिर से जिंदा करने की फिराक में है. सिख फॉर जस्टिस अब तक सिख युवकों को बरगलाने और पंजाब में आतंक फैलाने की कई हरकतें कर चुका है. इसका विवरण इस प्रकार है-
3 जुलाई 2017: सिख फॉर जस्टिस के आतंकवादियों ने पंजाब के फतेहगढ़, रूपनगर ,धनौला और राजपुरा में रेफरेंडम 2020 के पोस्टर और होर्डिंग्स लगाए.
जुलाई 2017: सिख्स फॉर जस्टिस ने भारतीय जनता पार्टी को धमकी देते हुए कहा कि अगर उनकी होर्डिंग्स हटाने की कोशिश की गई तो दुष्परिणाम भुगतने होंगे.
जुलाई 7, 2017: पंजाब पुलिस ने सिख्स फॉर जस्टिस के पांच आतंकवादियों गुरुपतवंत सिंह पन्नुन, जगदीप सिंह और जगजीत सिंह (सभी जो सभी न्यूयॉर्क, अमेरिका में रहते हैं) और मोहाली के गुरप्रीत सिंह और जम्मू के हरपुनीत सिंह के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया.
अगस्त 12, 2018: सिख्स फॉर जस्टिस ने लंदन के ट्राफाल्गर स्क्वेयर में रेफरेंडम 2020 की रैली आयोजित की.
अक्टूबर 19, 2018: अमृतसर पुलिस ने सिख्स फॉर जस्टिस के दो आतंकवादियों सुखराज सिंह उर्फ राजू और मलकीत सिंह उर्फ नीतू को गिरफ्तार किया जो रेफरेंडम 2020 के पोस्टर और बैनर टांग रहे थे. पुलिस जांच में सामने आया कि सिख्स फॉर जस्टिस ने इन दोनों को आतंकवाद फैलाने के लिए हवाला से दो लाख रुपये भिजवाए थे.
दिसंबर 2018: सिख्स फॉर जस्टिस के गुरुपतवंत सिंह पनुन ने पाकिस्तान से करतारपुर में रेफरेंडम 2020 कॉन्फ्रेंस आयोजित करने के लिए राजनीतिक सहयोग मांगा. यह आतंकवादी संगठन पाकिस्तान के लाहौर में अपना दफ्तर खोलने की घोषणा भी कर चुका है.
2018: पुलिस जांच में सामने आया कि गुरुपतवंत सिंह पन्नुन के कई खालिस्तानी संगठनों से तालुकात हैं. उसका संबंध एक कश्मीरी आतंकवादी संगठन से ताल्लुक रखने वाले गुलाम नबी फाई के साथ भी पाया गया है.
गौरतलब है कि सिख्स फॉर जस्टिस पंजाब में अब तक कई आपराधिक और आतंकवाद की कई वारदात कर चुका है. पाकिस्तान के सहयोग से चलाया जा रहा यह संगठन दो समुदायों के भीतर नफरत पैदा करने की कोशिश कर रहा है. वह न केवल सिख युवकों को कट्टरवादी बनाने की कोशिश कर रहा है, बल्कि आईएसआई के इशारे पर पंजाब में आतंकवादी गतिविधियां भी फैला रहा है.
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले ही आगाह कर चुके हैं कि पाकिस्तान की आईएसआई करतारपुर कॉरिडोर का दुरुपयोग भारत विरोधी गतिविधियों के लिए कर सकती है.
सूत्रों के मुताबिक सिख फॉर जस्टिस का कथित लीगल एडवाइजर गुरुपतवंत सिंह पन्नुन बार बार पंजाब को भारत से अलग कर खालिस्तान बनाने के बयान जारी कर रहा है. सूत्रों के मुताबिक रेफरेंडम 2020 नाम के विवादित दुष्प्रचार अभियान के लिए उसका साथ एक कश्मीरी आतंकवादी गुलाम नबी फाई भी दे रहा है, जो अमेरिका में आईएसआई के लिए काम करने के आरोप में जेल की हवा खा चुका है.
खालिस्तानियों को पंजाब के लोगों ने आईना दिखा दिया है. एक दशक तक आतंकवाद का दंश झेल चुके पंजाब के लोगों ने खालिस्तान का सपना देखने वाले लोगों को आइना दिखा दिया है. इसका नमूना पिछले साल देखने को मिला था, जब सिख्स फॉर जस्टिस की अपील के बाद भी लोग उसकी लंदन रैली में नहीं पहुंचे.
पंजाब की राजनीतिक पार्टियां भी इस मामले को लेकर एकजुट हैं. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता विनीत जोशी ने गुरपतवंत सिंह पन्नुन को ललकारते हुए कहा है कि अगर उसके भीतर हिम्मत है तो वह भारत में आकर तिरंगा जलाए. विनीत जोशी ने कहा कि पन्नुन जल्द ही सलाखों के पीछे होगा.
कांग्रेस प्रवक्ता जगपाल सिंह अबुलखुराना ने कहा की सिख्स फॉर जस्टिस एक फर्जी संगठन है. जिसमें गुरुपतवंत सिंह को छोड़कर बाकी सदस्य कभी सामने नहीं आए. उन्होंने कहा कि सिख सबसे पहले देश भक्त हैं. और धर्म उनके लिए दूसरी जगह पर है.
अकाली दल के महासचिव डॉ दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि सिख फॉर जस्टिस को पंजाब से समर्थन नहीं मिला तो पाकिस्तान का समर्थन मांग रहा है. उन्होंने कहा कि जिस तरह सिख्स फॉर जस्टिस की लंदन रैली फ्लॉप हुई, उसी तरह उसका तिरंगा जगाओ अभियान भी मुंह की खाएगा. पंजाब सिख फॉर जस्टिस जैसे खाली स्थानीय संगठनों से निपटने के लिए तैयार है. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले से ही आगाह कर चुके हैं कि पंजाब की पुलिस फोर्स किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार है.
उधर, पंजाब के कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने आज तक को बताया कि पंजाब सरकार सिख्स फॉर जस्टिस समेत दूसरे खालिस्तानी संगठनों पर नजर रखे हुए हैं, क्योंकि उनके पीछे पाकिस्तान का हाथ है. और वह आईएसआई की कठपुतली हैं.
सूत्रों के मुताबिक भारत सरकार जल्द ही गुरुपतवंत सिंह पन्नुन के प्रत्यर्पण का मामला अमेरिका सरकार से उठा सकता है क्योंकि वह जुलाई 2017 में पंजीकृत एक देशद्रोह के मामले में वांछित है. भारत सरकार ने इससे पहले ब्रिटिश सरकार को सिख्स फॉर जस्टिस द्वारा छेड़े गए भारत विरोधी अभियान को लेकर चेताया था.
सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान हिंदू और दूसरे धर्मों के धार्मिक स्थलों को श्रद्धालुओं के लिए खोलने की बात नहीं करता वह जानबूझकर सिख कट्टरपंथियों को रिझाने में लगा हुआ है. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिख्स फॉर जस्टिस की हरकतों का हवाला देते हुए केंद्र सरकार को चेताया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई करतारपुर साहिब की आड़ में भारत में खालिस्तानी और कश्मीरी आतंकवादियों की घुसपैठ करवा सकती है.
सिख्स फॉर जस्टिस का कथित कानूनी सलाहकार गुरुपतवंत सिंह पन्नुन पंजाब में अशांति फैलाने की कई वारदातों में शामिल है. पटवंत और दो उसके दो अन्य साथी साथियों की पंजाब पुलिस को सरगर्मी से तलाश है. देखना दिलचस्प होगा कि क्या पंजाब पुलिस गुरपतवंत सिंह पर उनको भारत लाने में कामयाब होती है या नहीं.