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30 साल पुराने रोड रेज केस में सिद्धू के खिलाफ SC में सुनवाई शुरू

पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ सकती है. साल 1988 में पंजाब के पटियाला में नवजोत सिंह सिद्धू के ऊपर रोड रेज का मामला दर्ज किया गया था, जिसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में शुरू हो चुकी है. अमृतसर से तीन बार सांसद रह चुके सिद्धू वर्तमान में पंजाब सरकार में मंत्री हैं.

पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू
राम कृष्ण/सतेंदर चौहान
  • नई दिल्ली,
  • 21 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 10:02 PM IST

पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ सकती है. साल 1988 में पंजाब के पटियाला में नवजोत सिंह सिद्धू के ऊपर रोड रेज का मामला दर्ज किया गया था, जिसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में शुरू हो चुकी है. अमृतसर से तीन बार सांसद रह चुके सिद्धू वर्तमान में पंजाब सरकार में मंत्री हैं. 30 साल पुराने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू का राजनीतिक भविष्य तय कर सकता है.

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इस मामले में साल 2006 में सिद्धू को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली थी. मामले में अदालत ने उनको दोषी ठहराया था और सजा सुनाई थी. अब हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. नवजोत सिंह सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में रोड रेज के मामले में दायर अपनी अपील पर कहा कि यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है. लिहाजा वो इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, लेकिन जब उनको दोषी करार दिया गया था, तब उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया था और फिर जनता की अदालत में गए थे.

सिद्धू एक बार फिर से चुनाव लड़कर वापस इस पोजीशन पर पहुंचे हैं. आजतक से विशेष बातचीत में सिद्धू ने कहा कि वो देश के पहले ऐसे नेता होंगे, जिसने कोर्ट से मॉरल सर्टिफिकेट हासिल किया और उसके बाद फिर से चुनाव लड़कर राजनीति में लौटा है. सिद्धू ने इस पूरे मामले पर शायराना अंदाज में जवाब दिया. उन्होंने कहा कि अगर जिंदा हो, तो जिंदा दिखाना जरूरी है.

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सिद्धू फिलहाल पंजाब में कैबिनेट मंत्री हैं, लेकिन इस रोड रेज मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में शुरू होने के बाद से उनके विरोधी उनको निशाने पर लेना शुरू कर दिया है. कैबिनेट मंत्री विक्रम मजीठिया ने तो प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यहां तक कह डाला कि सिद्धू पर रोड रेज में हत्या का केस चल रहा है. वहीं, सिद्धू के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि वो निर्दोष हैं.

ये है मामला?

27 दिसंबर 1988 को कार पार्किंग को लेकर सिद्धू की गुरनाम सिंह नाम के एक बुजुर्ग से कहासुनी हुई और फिर देखते ही देखते हाथापाई होने लगी. इस दौरान गुरनाम सिंह के साथ उनका भांजा भी था. बताया जा रहा है कि हाथापाई के दौरान सिद्धू ने गुरनाम को घुटना मारकर सड़क पर गिरा दिया. इसके बाद गुरनाम को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इससे पहले ही वो दम तोड़ चुके थे. सिद्धू के साथ उस उक्त उनका दोस्त रुपिंदर सिंह संधू भी था.

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