
मोसुल की वह जेल जिसमें 39 भारतीयों को क़ैद किया गया था, भले ही तबाह कर दी गई हो, लेकिन इसमें रह चुके कमलजीत और गुरदीप की माओं को यकीन है की उनके बेटे जिंदा हैं और वह एक रोज ज़रूर सकुशल घर लौट आएंगे.
होशियारपुर के कमलजीत, गुरदीप और कुलविंदर एक अन्य युवक के साथ 17 अगस्त 2013 को इराक़ के लिए रवाना हुए थे और 10 जून 2014 को उनका अपहरण हो गया था. 15 जून, 2014 को कमलजीत ने आख़िरी बार अपनी माता संतोष कौर के साथ बात की थी. आंखों से बहते आंसुओं के बीच संतोष कौर कहती हैं, 'बेटे का फ़ोन आया था. उसने कहा कि वह सही-सलामत है और उनको अपहरण करने वाले खाना दे रहे हैं. बच्चों का ख़याल रखना.'
कमलजीत के साथ इराक़ गये गुरदीप की मां सुरेंदर कौर के आंसू भी थमने का नाम नही ले रहे हैं. गुरदीप ने भी उनको अपहरण होने के बाद 15 जून 2014 को ही फ़ोन किया था, लेकिन उसके बाद उससे कोई संपर्क नही हो पाया. गुरदीप शादीशुदा है और उसके एक बेटा और बेटी है. उसकी शादी सात साल पहले अनीता रानी से हुई थी. अनीता को आज भी आस है कि उसका पति एक दिन घर ज़रूर लौटेगा. इस उम्मीद का कारण एक फ़ोन है, जो अपहरण के एक साल बाद आया था.
एक तरफ जहां, अब ये साबित हो चुका है की मोसुल की बादुश जेल को तबाह किया जा चुका है और उसमें रखे गये लोगों का कोई अता-पता नही है, वहीं मोसुल में लापता हुए 39 भारतीयों के परिजन इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हैं कि उनका जिंदा बचना संभव नहीं है. उनके इस विश्वास के पीछे है, एक फ़ोन कॉल जो अपहरण के एक साल बाद संतोष कौर के लिए आया था. संतोष कौर के मुताबिक 2015 में उनको रात के वक्त एक फ़ोन आया था और फ़ोन करने वाला कमलजीत ही था, क्योंकि उसने अपने बच्चों का हाल -चाल पूछा और फिर फ़ोन कट गया. संतोष कौर ने जब फ़ोन नंबर को री-डायल किया तो किसी ने अरबी भाषा में बात की.
संतोष कौर को यकीन है की अपहृत भारतीय मोसुल में नही है और कहीं और निकल कर सुरक्षित हैं.
दो महीने के बाद परिजन करेंगे प्रदर्शन
गुरदीप सिंह की पत्नी अनीता रानी के मुताबिक लापता हुए 39 भारतीयों के परिजनों ने सरकार को दो महीने के भीतर उनको ढूंढ़ने का समय दिया है. अगर सरकार उनको कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाई, तो वह दिल्ली कूच करेंगे और संघर्ष का बिगुल बजाने पर मजबूर हो जाएंगे.
अनीता रानी कहती हैं, 'हमने बहुत देख लिया, सरकार कभी कुछ कहती है, कभी कुछ. हम एक या दो महीने तो चुप रहेंगे और उम्मीद करेंगे कि सरकार मेरे पति और बाकी लोगों को ढूंढ कर लाए. अगर कुछ न हुआ तो हम सब दिल्ली जाकर प्रदर्शन करेंगे.'