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खालिस्तान उग्रवादियों के निशाने पर कांग्रेसी नेता टाइटलर और सज्जन

1984 सिख विरोधी दंगों के आरोपी कांग्रेसी नेता जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार खालिस्तानी उग्रवादियों के निशाने पर हैं. पंजाब पुलिस द्वारा हाल ही में हिन्दूवादी और आरएसएस नेताओं की हत्याओं के आरोप में गिरफ्तार किए गए चार खालिस्तानी उग्रवादियों से पूछताछ में ये खुलासा हुआ है.

कांग्रेसी नेता जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार कांग्रेसी नेता जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार
मुकेश कुमार/मनजीत सहगल
  • चंडीगढ़,
  • 16 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 9:49 AM IST

1984 सिख विरोधी दंगों के आरोपी कांग्रेसी नेता जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार खालिस्तानी उग्रवादियों के निशाने पर हैं. पंजाब पुलिस द्वारा हाल ही में हिन्दूवादी और आरएसएस नेताओं की हत्याओं के आरोप में गिरफ्तार किए गए चार खालिस्तानी उग्रवादियों से पूछताछ में ये खुलासा हुआ है.

गैंगस्टर जिम्मी सिंह, जगतार सिंह जोहल उर्फ जग्गी, धर्मेंद्र उर्फ गुगनी और शार्प शूटर हरदीप शेरा से हुई पूछताछ में पता चला कि इनका अगला निशाना जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार थे. उग्रवादियों और अपराधियों से मिली सूचना के आधार पर पंजाब पुलिस ने दिल्ली पुलिस को सूचित कर दिया है.

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दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार की सुरक्षा बढ़ाने की तैयारी की जा रही है. गिरफ्तार किए गए गैंगस्टर और आतंकवादी पुलिस रिमांड पर चल रहे हैं. पुलिस इन आरोपियों से आईएसआई और खालिस्तानी उग्रवादियों के हथकंडे पता लगाने की कोशिश कर रही है.

गिरफ्तार किए गए दो उग्रवादियों जिम्मी सिंह और जगतार सिंह का संबंध खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) से है. इसका प्रमुख हरमीत सिंह पीएचडी उर्फ डॉक्टर पाकिस्तान में छिपा हुआ है. केएलएफ का दूसरा बड़ा सरगना परमजीत सिंह पम्मा उर्फ बाईजी इंग्लैंड में रहता है.

बताते चलें कि पंजाब में हिंदू संगठनों के नेताओं पर हो रहे हमलों के लिए धार्मिक कट्टरवाद जिम्मेवार है. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक पंजाब में इन हमलों के पीछे खालिस्तानी उग्रवादी संगठनों का हाथ है. 26 सितंबर 2017 को लुधियाना से पकड़े गए बब्बर खालसा के उग्रवादियों ने इस खुलासा किया था.

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सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, पंजाब में हुई हत्याओं को अंजाम देने का तरीका लगभग एक जैसा था. हत्या के लिए एक ही किस्म के घातक हथियारों जैसे .32 बोर रिवॉल्वर और 9 एमएम गन का इस्तेमाल किया गया था. हिंदू नेताओं पर हमले करने वाले ज्यादातर हमलावर दोपहिया वाहनों पर ही सवार होते थे.

सिख कट्टरपंथियों ने साल 2002 में राष्ट्रीय सिख संगत को सिख विरोधी करार दिया था. बब्बर खालसा नामक खालिस्तानी संगठन ने 2009 में राष्ट्रीय सिख संगत के अध्यक्ष रुलदा सिंह की पटियाला में गोली मार कर हत्या कर दी थी. उसके बाद कई वरिष्ठ RSS नेताओं को निशाना बनाया गया.

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