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डेटा लीक: सर्वर भारत में लगा तो भी सुरक्षित नहीं होगा डेटा

फेसबुक जैसे वैश्विक इंटरनेट और सोशल मीडिया दिग्गजों के यूजर्स के डेटा लीक होने या उनके साथ छेड़छाड़ की खबरों से पीएम मोदी चिंतित हैं. पीएम ने निर्देश दिया है कि भारत में डेटा शेयरिंग को रेगुलेट किया जाए और सोशल मीडिया सर्वर देश में ही स्थापित करने की संभावना देखी जाए. सूत्रों के अनुसार पिछले हफ्ते केंद्रीय कैबिनेट की एक बैठक के दौरान इस मसले पर चर्चा हुई थी.

सर्वर की प्रतिकात्मक फोटो सर्वर की प्रतिकात्मक फोटो
साकेत सिंह बघेल
  • नई दिल्ली,
  • 11 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 7:29 PM IST

फेसबुक जैसे वैश्विक इंटरनेट और सोशल मीडिया दिग्गजों के यूजर्स के डेटा लीक होने या उनके साथ छेड़छाड़ की खबरों से पीएम मोदी चिंतित हैं. पीएम ने निर्देश दिया है कि भारत में डेटा शेयरिंग को रेगुलेट किया जाए और सोशल मीडिया सर्वर देश में ही स्थापित करने की संभावना देखी जाए. सूत्रों के अनुसार पिछले हफ्ते केंद्रीय कैबिनेट की एक बैठक के दौरान इस मसले पर चर्चा हुई थी.

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पीएम मोदी की चिंता लाजमी है और सर्वर भारत में स्थापित होने से एक बदलाव भी जरूर आएगा वो ये कि सर्वर भारतीय कानून के अंतर्गत आ जाएगा. लेकिन यहां भी एक परेशानी है, वो ये है कि यदि वॉट्सऐप या फेसबुक जैसी कोई कंपनी अपना सर्वर भारत में स्थापित करती है और अपने नियम और निजी शर्तों में परिवर्तन नहीं करती तब भी सरकार को डेटा के संबंध में कोई अधिकार नहीं मिलेगा.

उदाहरण के तौर पर वॉट्सऐप की शर्तें कहती हैं कि कंपनी दो लोगों की आपसी बातें वो किसी से साझा नहीं करती है. ऐसे में अगर कोई सरकारी एजेंसी किसी खास व्यक्ति का डेटा चाहती है तो उन्हें कंपनी से लिखित में मांगना होगा और ये काम सर्वर के कहीं भी मौजूद होने पर भी किया जा सकता है.  

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लेकिन प्रश्न ये है कि सर्वर को भारत में स्थापित किए जाने के बाद ही क्या बदलाव आ जाएगा. बदलाव नहीं आने के पीछे तर्क कुछ यूं है कि सर्वर एक मशीन है जिसका उसके स्थान से कोई लेना देना नहीं है. अगर हैकिंग जैसी स्थिति की बात करें तो सर्वर अमेरिका में हो या भारत में कोई खास फर्क नहीं पड़ता.

यहां पर भी उदाहरण के तौर पर बात करें तो कई सरकारी वेबसाइट्स को होस्ट करने वाले सर्वर्स भारत में मौजूद हैं, लेकिन उनके यहां मौजूद होने के बावजूद यहां हैकिंग की घटनाएं आम हैं. पिछले साल NIT श्रीनगर की वेबसाइट हैक हो गई थी. हाल ही में गाजीपुर, यूपी में सरकारी गर्ल्स कॉलेज की वेबसाइट हैक कर ली गई थी.

पिछले साल ही रैनसमवेयर अटैक ने दुनियाभर को अपने चपेट में ले लिया था. इसमें काफी भारतीय वेबसाइट्स भी शामिल थीं. इसमें गुजरात के कई सरकारी दफ्तर जैसे स्वास्थ्य मंत्रालय, अहमदाबाद पुलिस स्टेशन, अहमदाबाद आरटीओ ऑफिस और मेहसाना जिला कलोक्टोरेट का नाम जुड़ा हुआ था. जिस रैनसमवेयर साइबर अटैक ने 150 देशों को अपने चपेट में ले लिया था. उसली अटैक ने आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुमाला तिरुपति मंदिर के कम्प्यूटर्स को भी प्रभावित किय था. मंदिर प्रांगण में मौजूद कम्प्यूटर्स पर WannaCry रैनसमवेयर साइबर अटैक किया गया था.  

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इन सबके अलावा बिटकॉइन माइनिंग में लिप्त हैकर्स भी दूर देशों में बैठकर दुनियाभर के किसी भी सर्वर को हैक करने का प्रयास करते रहते हैं और इसमें सफल भी होते हैं. हाल में बिटकॉइन संबंधित घटनाएं भी हुई हैं. इन तमाम उदारहणों से एक बात तय है कि सर्वर से छेड़छाड़ की घटनाओं में सर्वर का किसी एक निश्चित जगह पर होना जरूरी नहीं है. ऐसे में प्रश्न उठता है कि सर्वर के भारत में होने से भी क्या बदलाव आएगा?

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