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भारत छोड़ो आंदोलन के 75 साल: संसद में बोले जेटली- आतंकवाद सबसे बड़ी चुनौती

अरुण जेटली ने कहा कि हमारे देश के जवानों में देश की सुरक्षा करने की क्षमता है. देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती आतंकवाद है.

सुषमा स्वराज और अरुण जेटली देंगे भाषण सुषमा स्वराज और अरुण जेटली देंगे भाषण
हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 09 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 12:19 PM IST

संसद में आज भारत छोड़ों आंदोलन के 75 साल पूरे होने पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. इस पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि हमारे देश के जवानों में देश की सुरक्षा करने की क्षमता है. देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती आतंकवाद है. जेटली ने कहा कि देश के कई हिस्सों में जो लोग संविधान को नहीं मानते हैं, वो संविधान पर आक्रमण कर रहे हैं.

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जेटली बोले कि देश के अंदर अलग-अलग विचार रखने वाले लोगों को निर्णायक प्रक्रिया में लाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि पक्ष और विपक्ष में जो लक्ष्मण रेखा बनी हुई है, वो बनी रहनी चाहिए. जेटली ने कहा कि आज देश की राजनीति को देखकर बहुत प्रश्न खड़े होते हैं, जिनके जवाब ढूंढना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमने 1962 की जंग से सबक सीखा और अपनी सेना को मजबूत किया. जिसका असर 1965 और 1971 में दिखा. हमने आतंकवाद की वजह से एक पीएम और एक पूर्व पीएम को खोया है.

आपको बता दें कि 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत मानी जाती है. पर बहुत कम लोगों को पता है कि ये आंदोलन 8 अगस्‍त 1942 से आरंभ हुआ था. दरअसल, 8 अगस्‍त 1942 को बंबई के गोवालिया टैंक मैदान पर अखिल भारतीय कांग्रेस महासमिति ने वह प्रस्ताव पारित किया था, जिसे 'भारत छोड़ो' प्रस्ताव कहा गया. इसके बाद से ही ये आंदोलन व्‍यापक स्‍तर पर आरंभ किया गया.

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गांधी जी का ऐतिहासिक भाषण

गोवालिया टैंक मैदान से गांधीजी ने भाषण दिया. उन्‍होंने कहा, 'मैं आपको एक मंत्र देना चाहता हूं जिसे आप अपने दिल में उतार लें, यह मंत्र है, करो या मरो'. बाद में इसी गोवालिया टैंक मैदान को अगस्त क्रांति मैदान के नाम से जाना जाने लगा.

 

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