Advertisement

रामगोपाल ने उठाया मेरिट का सवाल, तो अमित शाह ने याद दिलाया 'मुस्लिम आरक्षण'

Quota for general category राज्यसभा में सामान्य वर्ग को आरक्षण देने के मसले पर बुधवार को बहस हुई. चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी नेता रामगोपाल यादव और भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह के बीच तीखी बहस देखने को मिली.

BJP President Amit Shah (File) BJP President Amit Shah (File)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 5:16 PM IST

सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण देने के मुद्दे पर बुधवार को राज्यसभा में तीखी बहस हुई. सदन में चर्चा के दौरान जब समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव बोल रहे थे तब उनके और भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह के बीच तीखी बहस छिड़ गई. रामगोपाल यादव ने कहा कि सरकार जो बिल ला रही है उससे कोई लाभ नहीं होगा, तब तुरंत अमित शाह ने उन्हें मुस्लिम आरक्षण की याद दिला दी.

Advertisement

क्या हुआ सदन में…?

दरअसल, सामान्य वर्ग को मिलने वाले 10 फीसदी आरक्षण के लिए पेश किए गए संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान रामगोपाल यादव ने कहा, ‘सरकार जो बिल ला रही है उससे कोई लाभ होने वाला नहीं है, जिन गरीबों के लिए सरकार बात कर रही है उन्हें लाभ ही नहीं मिलेगा.’

सपा नेता रामगोपाल यादव बोले, ‘...क्योंकि उन लड़कों की मेरिट जो आएगी वो तो काफी ऊपर आएगी. मतलब, जो मेरिट का आंकड़ा था वो आपने छोटा कर दिया, आपने मेरिट को शॉर्ट कट कर दिया और संख्या को बढ़ा दिया. एक साल बाद आपको असर दिखने लगेगा.’

भड़के अमित शाह ने दिया जवाब...

रामगोपाल यादव के इसी वाक्य के साथ ही बीच में टोकते हुए भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने कहा, ‘मैंने बैठे हुए कोई टिप्पणी नहीं की, आप मेरिट की बात कर रहे हैं लेकिन जब आप मुस्लिम आरक्षण लाए तो तब क्या मेरिट की संख्या कम नहीं होगी. आप तो मुस्लिम आरक्षण ले आए, तो मेरिट के बच्चों का क्या होगा. आप अपना 2012 का मेनिफेस्टो देख लीजिए.’’

Advertisement

पहले क्यों नहीं लाए बिल?

इस पर जवाब देते हुए रामगोपाल यादव ने कहा, ‘हमारे मेनिफेस्टो में तो आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग क आरक्षण देने के लिए केंद्र से अपील की भी बात थी.’

चर्चा के दौरान रामगोपाल ने कहा कि उनकी पार्टी इस बिल का समर्थन करती है. उन्होंने कहा कि सरकार यह बिल कभी भी ला सकती थी, लेकिन सरकार का लक्ष्य आर्थिक रूप से गरीब सवर्ण नहीं बल्कि 2019 का चुनाव है. अगर इनकी दिल में ईमानदारी होती तो 3-4 साल पहले यह बिल आ जाता.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement