
कहते हैं सियासत में जब मुद्दों की धार मंद पड़ जाती है तब सहानुभूति हमेशा काम आती है, ऐसे में जेल में बंद लालू यादव को जब जमानत नहीं मिली तो विना वक्त गंवाए लालू का कुनबा अब उनकी राजनीतिक विरासत को भुनाने निकल पड़ा है, जिसमें संवेदना भी है और मुद्दे भी. चुनावी सरगर्मी बढ़ने लगी है. लालू बिहार की राजनीतिक पटल से गायब है. ऐसे में लालू की गैरमौजूदगी कहीं पार्टी पर भारी न पड़े, इसलिए राबड़ी ने कमान हाथ में ली और अपने दोनो बेटों तेजस्वी और तेजप्रताप को आगे कर लोगों के बीच सहानुभूति के नाम पर सियासत गरमाने में जुट गई है.
इस समय भले ही देश के पांच राज्यों में चुनावी सियासत से गरमाई हो पर बिहार में लालू की गैरमौजूदगी नई सियासत को जन्म दे रही है. अब लालू के बेटे न सिर्फ उनकी जगह भरने को तैयार हैं बल्कि लालू की सजा को परिवार मौके में तब्दील करने में जुटा है. लालू रांची की जेल में बंद हैं पर उनके प्रचार अभियान में कोई कमी नहीं है. बिहार में परिवर्तन रैली के नाम पर राबड़ी रैलियां कर रही हैं पर इस रैली के बहाने लालू ने अपने बेटों को राजनीति की कमान थमा दी है.
बुधवार को जब लालू का ये कुनबा रोहतास के कोचस में परिवर्तन रैली के लिए निकला तो कोशिश थी लालू की कमी को पूरा कर दिया जाए. सड़क के रास्ते जा रही राबड़ी देवी और उनके बेटों ने वही लटके झटके आजमाए जो लालू के खास अंदाज थे. ढोल-नगाड़े गाजे-बाजे और जगह-जगह कार्यकर्ताओं के हाथों अभिनंदन. कहीं बड़ा बेटा तेज प्रताप लोगों के बीच उतर रहा है तो कहीं छोटा बेटा तेजस्वी कार्यकर्ताओं से मिल रहा है. कहीं नाच-गाने वालों का इंतजाम है तो कहीं ये परिवार मारे गये कार्यकर्ता को श्रद्धांजलि दे रहा है.
मंच पर राबड़ी अपने दोनो बेटों के बीच बैठती हैं, उत्साही भीड़ के सामने दोनो बेटों का अभिनंदन होता है ताकि समर्थकों और कार्यकर्ताओं के बीच तेजस्वी की पहचान एक गंभीर नेता और पिता की विरासत के हकदार को स्वीकार्यता मिल जाए, जिसे तेजस्वी बखूबी भुना रहे हैं. तेजस्वी यादव भाषण लालू और भीड़ से जोड़कर देते हैं.
तेजस्वी ने यहां लोगों से कहा, 'मेरे पिता कहा करते थे बेटे जब भी निराशा हो अपने मालिक के बीच चले जाओ, वहां तुम्हे ताकत मिलेगी, ऊर्जा मिलेगी. मेरे मालिक आप लोग है. पिता जेल में हैं लेकिन मैं आपके बीच में हूं.'
तेजस्वी चारा घोटाले में पिता को हुई जेल को लेकर लोगों के बीच जाते हैं. दावा करते हैं लालू यादव को जेल घोटाले की वजह से नहीं बल्कि गरीबों-दलितों और मुसलमानों को आवाज देने वजह से हुई है, और अगर ये गलती है तो उनका परिवार बार-बार ये गलती करेगा.
तेजस्वी ने कहा, '1995 में चारा घोटाला का मामला दर्ज हुआ पर ये तो 1975 से चल रहा था. मेरे पिता ने मामले को निकाला. 41 एफआईआर किया. पर उन्हे ही फंसा दिया गया.'
लालू और सहानुभूति के बाद तेजस्वी नीतीश के खिलाफ बरसते हैं, 'कहां से सुशासन. सबसे ज्यादा अपराध और सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार बिहार में है. जन्म-प्रमाणपत्र बनाओ या मृत्यु प्रमाणपत्र, बिना 500-1000 दिये काम ही नहीं होता.'
राबड़ी देवी मंच से लोगों को लालू का प्रणाम बोलती हैं. उन्हे फंसाने की बात कहती हैं और फिर नीतीश और बीजेपी पर हमला बोलती हैं. राबड़ी के भाषण में बीजेपी और जेडीयू दोनों को अलग-अलग नामों से संबोधित करती हैं. राबड़ी के शब्दों में बीजेपी रावण है तो नीतीश कंस लेकिन ये नाम उन्होंने क्यों दिया इसका खुलासा नहीं करती.
दरअसल ये बेटों की लांचिंग के साथ-साथ लालू की अग्निपरीक्षा भी है. बिहार में इस समय लालू अपनी ताकत कांग्रेस को दिखाने पर आमादा हैं ताकि गठबंधन पर विचार कर रही कांग्रेस उनकी ताकत को नजरअंदाज ना कर सके. यह कोशिश दूसरी पीढ़ी पर पिता की विरासत संभालने की भी है और साथ ही इसका भी ध्यान रखा जा रहा है कि अगर लालू जेल से नहीं छूटेते हैं तो कार्यकर्ताओं में भी निराशा नहीं आ सके.