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अंबाला एयरबेस: राफेल का नया आशियाना जो 1965 और 1971 के युद्ध में बना था गेमचेंजर

पांच राफेल विमान आज अंबाला एयरबेस पहुंचने वाले हैं. रक्षा विशेषज्ञों की माने अंबाला एयरबेस ने कई बार पाकिस्तान के साथ युद्ध में अहम भूमिका निभाई है. आइए जानते हैं अंबाला एयरबेस के बारे में-

राफेल विमान राफेल विमान
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 8:35 AM IST

भारतीय वायुसेना का अंबाला एयरबेस बाहें खोलकर राफेल विमानों के स्वागत में खड़ा है. आज दोपहर तक पांच राफेल विमान एयरबेस की हवाई पट्टी को चूमेंगे और पाकिस्तान व चीन बॉर्डर की निगहबानी करने के लिए तैनात हो जाएंगे. अंबाला एयरफोर्स स्टेशन में ही राफेल के पहले स्क्वाड्रन की तैनाती की गई है. राफेल विमान फ्रांस से सीधे अंबाला एयरबेस आ रहे हैं.

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41 साल पहले भी ब्रिटेन से जगुआर फाइटर जेट की पहले खेप अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पहुंची थी. अंबाला एयरबेस में पहले जगुआर और अब राफेल की तैनाती के पीछे रक्षा विशेषज्ञ सामरिक और रणनीतिक वजह बताते हैं. रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो अंबाला एयरबेस ने कई बार पाकिस्तान के साथ युद्ध में अहम भूमिका निभाई है. आइए जानते हैं अंबाला एयरबेस के बारे में-

अंग्रेजों ने अंबाला में बनाई थी सैन्य छावनी

हरियाणा स्थित अंबाला में सैन्य छावनी की स्थापना अंग्रेजों ने 1843 में की थी. इससे पहले सैन्य छावनी करनाल में थी, लेकिन 1841 में वहां मलेरिया फैलने के कारण इसे अंबाला में शिफ्ट किया गया था. इस बात की तस्दीक इंडियन एक्सप्रेस ने अंबाला जिले के इतिहास के हवाले से भी अपनी रिपोर्ट में किया है.

शिमला के कारण अंबाला में बनी थी छावनी!

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हालांकि, लोगों का मानना है कि करनाल से सैन्य छावनी को अंबाला शिफ्ट करने की सबसे बड़ी वजह दिल्ली-लाहौर रोड पर अपनी पकड़ को मजबूत करना था. इस सड़क के जरिए सैन्य छावनी शिमला से भी सीधे जुड़ जाती थी, जो उस समय देश की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करती थी.

1919 में रॉयल एयरफोर्स ने बनाया बेस

हाल ही में भारतीय वायुसेना द्वारा अंबाला वायु सेना स्टेशन के इतिहास पर एक पुस्तिका प्रकाशित की गई थी, जिसमें कहा गया था कि सितंबर 1919 में रॉयल एयर फोर्स (आरएएफ) का 99 स्क्वाड्रन उमबाला (Umbala) में बेस था. तब अंबाला को उमबाला ही कहा जाता था. बताया जाता है कि 99 स्क्वाड्रन को बाद में 114 आरएफए स्क्वॉड्रन बना दिया गया था.

आसमान में रिफ्यूलिंग करता राफेल विमान

1920 में अंबाला एयरबेस को बनाया गया था सेना मुख्यालय

इसके बाद फिर 114 आरएफए स्क्वाड्रन को 29 आरएफए स्क्वाड्रन बना दिया गया, जो फरवरी, 1939 तक अंबाला एयरबेस से संचालित होता रहा. 1920 में अंबाला एयर फोर्स स्टेशन को आरएएफ इंडिया कमांड के मुख्यालय में बदल दिया गया था. इसके बाद 1922 में सेना मुख्यालय को शिमला में ट्रांसफर कर दिया गया था.

1938 में बनाया गया स्थायी वायुसेना अड्डा

अंबाला एयरफोर्स स्टेशन से शुरुआती दिनों के एयरक्राफ्ट डी हैविलैंड 9 ए और ब्रिस्टल F2B उड़ान भरते थे. जैसे-जैसे भारत में हवाई परिचालन बढ़ने लगा, उसके बाद अधिक अधिकारियों को अंबाला भेजा जाना शुरू कर दिया गया. अंबाला एयरफोर्स स्टेशन को 18 जून, 1938 को एक स्थायी वायुसेना अड्डा बना दिया गया. यहीं पर एडवांस्ड फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूल भी था.

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सुब्रतो मुखर्जी बने थे पहले स्क्वाड्रन लीडर

1939 में भारतीय वायुसेना के इतिहास में महत्वपूर्ण घटना हुई थी. तत्कालीन फ्लाइट लेफ्टिनेंट (बाद में एयर मार्शल) सुब्रतो मुखर्जी, अंबाला में स्क्वाड्रन लीडर बने थे. स्क्वाड्रन की कमान संभालने वाले वह पहले भारतीय अधिकारी थे. उन्होंने सीएच स्मिथ से कमान ली थी. 1947-48 में कश्मीर घाटी से घुसपैठियों को खदेड़ने में अंबाला एयरबेस का अहम योगदान था.

अर्जन सिंह ने संभाली थी अंबाला एयरबेस की कमान

आजादी मिलने के बाद अंबाला में भारतीय वायुसेना ने अपने 1 स्क्वाड्रन को तैनात किया था. आजादी के तुरंत बाद भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह ने अंबाला एयरबेस की कमान संभाली थी. उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले के उपर से पहले फ्लाईपास्ट का नेतृत्व किया था.

एरियल फोटोग्राफिक सर्वेक्षण का केंद्र भी बनाया गया

आजादी के बाद के शुरुआती वर्षों में भारत सरकार पूर्वी सीमा के इलाकों में हवाई मार्ग से ही पहुंच सकती थी और इस दौरान अंबाला एयरबेस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. तब इसे एरियल फोटोग्राफिक सर्वेक्षण का केंद्र भी बनाया गया था. अंबाला एयरबेस से वैम्पायर्स, टोफोरिस, मिस्ट्रेस और हंटर्स एयरक्राफ्ट का संचालन कॉम्बेट अभियानों में किया गया था.

1965 में पाकिस्तान ने एयरबेस पर किया था हमला

1965 में पाकिस्तान के B-57 बमवर्षकों द्वारा अंबाला एयरबेस पर हमला किया गया था. 20 सितंबर 1965 को तड़के 3 बजे पाकिस्‍तान के फाइटर जेट ने अंबाला एयरबेस को निशाना बनाया. मकसद अंबाला एयरबेस को ध्वस्त करना था लेकिन जो बम गिरा वो चर्च पर गिरा. एयरबेस के हैंगर और रनवे सुरक्षित थे.

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1971 में पाकिस्तान ने किया था हमला

1971 में पाकिस्तान ने अंबाला समेत कई एयरफोर्स स्टेशन को तबाह करने की कोशिश की थी, लेकिन वह नाकाम हुए थे. 14 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान वायु सेना के एफ-86 जेट विमानों ने श्रीनगर हवाई अड्डे को तबाह करने की कोशिश की. अंबाला एयरबेस के 18 स्क्वाड्रन में तैनात फ्लाइंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखों अपने जीनैट विमान के साथ रूटीन फ्लाइंग पर थे.

निर्मल जीत सिंह सेखों

निर्मल जीत सिंह सेखों ने दिया था जवाब

फ्लाइंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखों आदेश के बाद उड़ान भरने की तैयारी में थे, लेकिन आदेश नहीं आया. इसके बाद वह बिना आदेश उड़े. जैसे ही वह उड़े, अचानक हवाई अड्डे पर बम गिरा. इसके बाद उनपर पाकिस्तान के 6 सेबर फाइटर जेट ने हमला कर दिया. निर्मल जीत सिंह सेखों ने दो जेट मार गिराए. आखिर में उनका जेट विमान भी हादसे का शिकार हो गया.

बहादुरी के लिए मिला था परमवीर चक्र

निर्मल जीत सिंह सेखों ने अंतिम सांस तक उन पाकिस्तानी फाइटर जेट्स से संघर्ष करते रहे. सेखों की बहादुरी की बदौलत पाकिस्तानी वायुसेना अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाई थी. इसके बाद शहीद निर्मल जीत सिंह सेखों को परमवीर चक्र (मरोणारान्त) दिया गया था. वह इकलौते वायुसैनिक हैं, जिन्हें परमवीर चक्र भी मिला है. अंबाला एयरबेस को शहीद निर्मल पर गर्व है.

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यहीं से मिराज-2000 ने किया था ऑपरेशन सफेद सागर

1980 में अंबाला एयरबेस पर ही जगुआर एयरक्राफ्ट की तैनाती की गई थी. इसके बाद साथ ही मिग-21 बाइसन और मिराज-2000 को भी तैनात किया गया था. 1999 कारगिल युद्ध के दौरान अंबाला एयरबेस से ही मिराज-2000 के जरिए पाकिस्तानी घुसपैठियों के खिलाफ ऑपरेशन सफेद सागर को अंजाम दिया गया था.

यहीं से हुआ था बालाकोट एयरस्ट्राइक

बालाकोट एयरस्ट्राइक को भी अंबाला एयरबेस से उड़े मिराज-2000 विमानों ने अंजाम दिया था. इस एयरस्ट्राइक के जरिए पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकियों के शिविरों को तबाह कर दिया गया था.

नाल एयरबेस शिफ्ट किया गया मिग-21 बाइसन स्क्वाड्रन

अंबाला एयरबेस में राफेल के आने से पहले मिग 21 बाइसन को नाल (जोधपुर) एयर बेस शिफ्ट कर दिया गया है. उसकी जगह राफेल की तैनाती हो रही है. राफेल के लिए एयरफोर्स की 17वीं गोल्डन एरो स्क्वाड्रन को पिछले साल सितंबर में फिर से शुरू किया गया. इस स्क्वाड्रन की स्थापना 1 अक्टूबर 1951 में हुई थी और यह 2016 तक मिग-21 विमानों का संचालन करती थी.

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