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राफेल पर कांग्रेस ने खोला मोर्चा, बताया सबसे बड़ा स्कैंडल, JPC बनाने की मांग

शुक्रवार को ही मॉनसून सत्र का आखिरी दिन है. सरकार आज ही तीन तलाक बिल को पास करवाना चाहती है, लेकिन कांग्रेस ने ऐसे समय पर राफेल मुद्दे को उठा दिया है.

राफेल डील पर कांग्रेस का प्रदर्शन राफेल डील पर कांग्रेस का प्रदर्शन
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 10 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 12:01 PM IST

संसद के मॉनसून सत्र के आखिरी दिन कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार पर राफेल डील मुद्दे पर हमला बोला है. कांग्रेस पार्टी राफेल डील के मामले को जाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) में भेजने की मांग कर रही है. इसको लेकर खुद यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने मोर्चा संभाला है.

शुक्रवार को सोनिया गांधी पूरे विपक्ष के साथ संसद परिसर के बाहर राफेल डील मुद्दे पर प्रदर्शन में शामिल हुईं. इसके अलावा कांग्रेस ने सदन में भी इस मुद्दे को उठाया.

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राज्यसभा में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पूरी सरकार पर आरोप लगाए. इस दौरान सरकार की ओर से विजय गोयल ने उन्हें जवाब दिया.

विजय गोयल ने कहा कि संसद कानून बनाने के लिए है न कि बेबुनियाद और झूठे आरोप लगाने के लिए. उन्होंने कहा कि आप प्रधानमंत्री पर झूठे आरोप लगाएं, यह ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि आप लोगों ने सदन में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को बोलने नहीं दिया, किसानों के मुद्दे पर चर्चा नहीं होने दी गई. गोयल ने कहा कि सदन में किसी को प्रधानमंत्री पर झूठे आरोप लगाने का अधिकार नहीं है.

राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरा. आजाद ने कहा विपक्ष को एक बार भी मौका नहीं मिला है और हम चाहते हैं राफेल डील पर चर्चा हो, हमने इसपर नोटिस भी दिया है. आजाद ने कहा कि राफेल विश्व का सबसे बड़ा घोटाला है और इसपर जेपीसी बननी ही चाहिए.

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क्या हैं कांग्रेस के आरोप?

आपको बता दें कि कांग्रेस राफेल डील को लेकर लंबे समय से मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठा रही है. सड़क से लेकर संसद तक और प्रेस कॉन्फ्रेंस से लेकर सोशल मीडिया तक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनके नेता मोदी सरकार पर राफेल डील में घोटाले का आरोप लगाते रहे हैं. कांग्रेस का दावा है कि यूपीए सरकार ने जिस विमान की डील की थी, उसी विमान को मोदी सरकार तीन गुना कीमत में खरीद रही है.

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि इस नई डील में किसी भी तरह की टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर की बात नहीं हुई है. पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा कि यूपीए सरकार की डील के अनुसार, 126 में से 18 एयरक्राफ्ट ही फ्रांस में बनने थे बाकी सभी HAL के द्वारा भारत में बनने थे.

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