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देश के तमाम कॉलेजों में नए सत्र शुरू होने वाले हैं और आशंका है कि हर साल की तरह रैगिंग के मामले भी सामने आ सकते हैं. लाख प्रतिबंध और कारवाई के बावजूद आज भी रैगिंग से जुड़े खौफनाक मामले सुनने को मिलते हैं. 15 राज्यों ने कॉलेजों में होने वाली रैगिंग पर पूरी तरह रोक लगाई है.
नहीं थम रही रैगिंग!
26 जून: कर्नाटक में 19 साल की दलित नर्सिंग की छात्रा के साथ उसके सीनियरों ने दुर्व्यवहार किया. पीड़ित लड़की को जबरन पेशाब पिलाने की कोशिश की गई और जब उसे अस्पताल में दाखिल किया तो उसके कई अंग भी क्षतिग्रस्त हो चुके थे.
कॉलेजों में रैगिंग के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है:
टॉप 5 राज्य:
उत्तर प्रदेश: 565
प. बंगाल: 375
मध्य प्रदेश: 313
ओडिशा: 289
महाराष्ट्र: 170
स्रोत: UGC, साल 2009 से 2015 का डाटा
आवाज़ उठाना ज़रूरी है:
- ज़्यादातर नए छात्रों के साथ रैगिंग की वारदातें होती हैं
- देश भर के कॉलेजों में करीब 40 फीसदी छात्र-छात्राओं को रैगिंग का सामना करना पड़ता है
- लेकिन उनमें से सिर्फ 8.6 फीसदी घटनाएं दर्ज की जाती हैं
रैगिंग के कारण!
- रैगिंग के 25 फीसदी मामले धर्म और जाति पर आधारित थे
- 8 फीसदी रैगिंग के मामलों के पीछे का कारण जाति था
छात्रों पर असर!
- रैगिंग के चलते 25 फीसदी छात्र अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं लगा पाते
- 65 फीसदी छात्रों का आत्मविश्वास इन हादसों के कारण ख़त्म हो जाता है
क्या कहता है नियम?
- रैगिंग को लेकर UGC ने अपनी गाइडलाइन तैयार की हैं
- रैगिंग विरोधी समितियों के गठन का जनादेश
- कॉलेज-हॉस्टल में रैगिंग विरोधी दस्तों की छापेमारी होती है
- कॉलेज कैंपसों में रैगिंग रोकने के लिए CCTV लगाए गए हैं
- शैक्षणिक सत्रों की शुरुआत के दौरान ख़ास-ख़ास जगहों पर पुलिस की मौजूदगी रहती है
क्या होती है कार्रवाई?
रैगिंग के किन मामलों में पैनल कारवाई कर सकता है
- आपराधिक साजिश
- सार्वजनिक उपद्रव
- चोट आदि लगने पर
- यौन हिंसा
- मानसिक या शारीरिक शोषण
- धमकी या जबरन वसूली पर
सौजन्य: NEWSFLICKS