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फिर बोले रघुराम राजन, नोटबंदी से गिरी ग्रोथ रेट और बंद हो रहा कारोबार

राजन ने कहा, "मैं समझता हूं कि अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता. हम इस पर तर्क-वितर्क करते रहेंगे कि इससे कर अनुपालन बढ़ा है, जबतक कि पिछली कर वसूली के आंकड़े नहीं आ जाते. इसलिए इस बारे में अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता.

फिर बोले रघुराम नोटबंदी से हुआ नुकसान फिर बोले रघुराम नोटबंदी से हुआ नुकसान
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 25 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 1:34 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का मानना है कि भारत में विकास दर में आई गिरावट का मुख्य कारण साल 2016 के नवंबर में की गई नोटबंदी है. राजन ने कहा, "मैं समझता हूं कि अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता. हम इस पर तर्क-वितर्क करते रहेंगे कि इससे कर अनुपालन बढ़ा है, जबतक कि पिछली कर वसूली के आंकड़े नहीं आ जाते. इसलिए इस बारे में अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता. मुझे संदेह है कि विकास दर में गिरावट का कारण इसका (नोटबंदी) प्रभाव है.. इसका प्रभाव अनौपचारिक अर्थव्यवस्था पर भी था, जिसे तुरंत पकड़ा नहीं जा सका है, जैसा कि हम देख रहे हैं. व्यापार बंद हो रहे हैं, क्योंकि वे इससे उबर नहीं सके."

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नोटबंदी का फायदा समझने के लिए करें इंतजार

रघुराम राजन ने कहा कि नोटबंदी के सकारात्मक प्रभाव को समझने के लिए 'हमें इंतजार करना होगा और फिर देखना होगा.' राजन ने कहा, "मुझे लगता है कि यह डिजिटल भुगतान प्रणाली को कुछ प्रोत्साहन देता है. लेकिन यह अन्य (पहलुओं) की तुलना में अपेक्षाकृत छोटा है."

नोटबंदी एक कठिन फैसला

राजन से सवाल किए जाने पर कि क्या वह अपने कार्यकाल में नोटबंदी को मंजूरी देते? राजन ने कहा, "इसका सरल जबाव इस मंशा से प्रकट होता है कि मुझे लगता है कि सरकार ने उस समय हमसे हमारे विचार पूछे थे.. हमने उन्हें जबाव दे दिया था. लेकिन हमने इस फैसले को बहुत ही कठिन समझा था. मैं नहीं समझता था कि इससे वांछित लाभ होगा और इसकी लागत भी काफी अधिक होने वाली थी."

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रिजर्व बैंक पांचवा स्तंभ?

राजन ने कहा, "हां, किसी भी मौद्रिक अर्थशास्त्री का यही कहना होगा कि मुद्रा को प्रचलन से बाहर करने से पहले उसकी पर्याप्त छपाई कर लें. लेकिन मुझे लगता है कि असली सवाल यह है कि क्या आरबीआई को पांचवां स्तंभ होना चाहिए, अगर सरकार किसी निर्णय पर आगे बढ़ना चाहती है या कुछ करना चाहती है. मेरा अनुमान है कि कानूनी तौर पर और नैतिक तौर पर आप संस्थान को रोक नहीं सकते. आप उनके साथ जाने से इंकार कर सकते हैं, लेकिन आप संस्थान को रोक नहीं सकते हैं."

लंबे अंतराल में होगा जीएसटी का फायदा

वस्तु और सेवा कर प्रणाली के बारे में उन्होंने कहा, "अब मुझे लगता है कि दीर्घकालिक अवधि में जीएसटी का काफी सकारात्मक असर होगा. ऐसे लोग हैं, जो कहते हैं कि हमें बेहतर तरीके से तैयारी करनी चाहिए थी. हमें इसे लागू करने में थोड़ी देर करनी चाहिए थी. मेरा मानना है कि ऐसा करने से कई समस्याएं कम हो जातीं. इसलिए हम उन समस्याओं का निदान कर इस पर आगे बढ़ते तो उससे बहुत फायदा होता."

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