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'सत्ता जहर जैसी' से PM पद के उम्मीदवार तक, 5 साल में कितना बदल गए राहुल

लेकिन अगर इतिहास को खंगाले तो दिखता है कि पिछले पांच साल में राहुल गांधी की राजनीति किस तरह से बदली है, और ये उनके बयान में भी झलकता है.

5 साल में बदले राहुल गांधी के तेवर! 5 साल में बदले राहुल गांधी के तेवर!
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 10 मई 2018,
  • अपडेटेड 9:17 AM IST

कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के एक बयान ने 2019 आम चुनाव से पहले एक नई बहस को हवा दे दी है. मंगलवार को राहुल गांधी ने कहा कि अगर 2019 में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर आती है तो वह जरूर प्रधानमंत्री बनेंगे. इस बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राहुल को घेरा. लेकिन अगर इतिहास को खंगाले तो दिखता है कि पिछले पांच साल में राहुल गांधी की राजनीति किस तरह से बदली है, और ये उनके बयान में भी झलकता है.

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2013 में कहा था 'सत्ता जहर के समान'

दरअसल, 2013 में राहुल गांधी को जब कांग्रेस पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया. तब जयपुर में कांग्रेस के सम्मेलन में राहुल गांधी ने अपने बयान में सत्ता को जहर के समान बताया था. राहुल ने कहा, '' बीती रात मेरी मां मेरे पास आईं और कहा कि सत्ता जहर के समान है जो ताकत के साथ खतरे को भी साथ में लाती है. उन्होंने कहा था कि सत्ता पर हर भारतीय का बराबरी का हक है, ऐसे में सत्ता की चाभी सिर्फ कुछ ही लोगों के हाथ में क्यों होनी चाहिए.

2018 में बोले- मैं बनूंगा प्रधानमंत्री

दरअसल, मंगलवार को कर्नाटक में लोगों से बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा था, ''आप लोग अभी मेरे बयान पर हसेंगे लेकिन 2019 में बीजेपी सरकार नहीं बनाएगी.'' उन्होंने कहा कि आज विपक्ष एक है, यही कारण है कि बीजेपी के लिए 2019 में मुश्किल होगी. जब राहुल गांधी से प्रधानमंत्री पद के लिए सवाल पूछा गया, कि क्या वे प्रधानमंत्री बनेंगे. तो उन्होंने कहा, ''अगर कांग्रेस पार्टी सत्ता में आती है तो क्यों नहीं. उन्होंने कहा कि अगर 2019 में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनती है तो वह पीएम बन सकते हैं.''

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5 साल में कितने बदले राहुल?

गौरतलब है कि पिछले कुछ समय में राहुल गांधी की राजनीति में काफी बदलाव आया है. राहुल का भाषण देने का तरीका, इसके अलावा सोशल मीडिया का इस्तेमाल काफी आक्रामक हुआ है. कांग्रेस अध्यक्ष अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे तौर पर हमला बोलते हैं. हालांकि, इन पांच साल में कांग्रेस पार्टी को राहुल की अगुवाई में ही कई राज्यों में हार का भी सामना करना पड़ा है.

लेकिन बीते साल हुए गुजरात चुनाव में जिस तरह कांग्रेस ने पीएम मोदी और अमित शाह के गढ़ गुजरात में बीजेपी को टक्कर दी, उससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं का उत्साह चरम पर था. अध्यक्ष पद संभालने के बाद भी राहुल ने पार्टी स्तर पर बड़े बदलाव किए और युवाओं को मौका देने का वादा किया.

वहीं, इससे पहले कभी भी राहुल गांधी ने खुद प्रधानमंत्री पद की दावेदारी पेश नहीं की थी. ऐसा पहली बार ही है जब उन्होंने कहा हो कि वह प्रधानमंत्री बनने को तैयार हैं.

साथियों को संदेश देने की तैयारी!

राहुल गांधी का बयान इसलिए भी काफी अहम हो जाता है क्योंकि देश में कई राजनीतिक दल गैर-बीजेपी, गैर-कांग्रेस मोर्चा बनाने की कवायद में जुटे हैं. विपक्ष की कई पार्टियों और नेताओं ने कई मौकों पर ऐसा कहा है कि राहुल गांधी में नेतृत्व की क्षमता नहीं है. कई मौके ऐसे भी आए हैं जिसमें राहुल की वजह से कांग्रेस के साथी छिटकते हुए नज़र आए हैं.

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राहुल ने पिछले एक साल में विपक्ष को साधने की कोशिश की है और खुद को विपक्ष के बड़े नेता के तौर पर प्रोजेक्ट भी किया है. फिर चाहे नोटबंदी का विरोध हो या फिर जीएसटी के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलना. हाल ही में उन्नाव-कठुआ गैंगरेप के मुद्दे पर भी जिस तरह उन्होंने मोदी सरकार को घेरा उसपर भी उनकी काफी तारीफ हुई. विपक्षी एकता के लिए राहुल ने हाल ही में राजद प्रमुख लालू यादव से भी मुलाकात की थी, वहीं अन्य पार्टियों से भी कांग्रेस लगातार संपर्क में है.

PM ने भी कसा है तंज

राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बयान पर पीएम मोदी ने भी टिप्पणी की. बुधवार को कर्नाटक में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता का बयान नामदार के अहंकार को दर्शाता है. कोई कैसे अपने आप को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर सकता है. उन्होंने कहा कि ये ऐसे नामदार हैं जिन्हें अपने साथी नेताओं पर भी भरोसा नहीं है. जिनका अहंकार ही सातवें आसमान पर पहुंच गया हो, ऐसे 'Immature नामदार' को क्या देश की जनता स्वीकार करेगी.

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