
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कर्नाटक चुनाव की व्यस्तता के साथ ही कुछ राज्यों में पार्टी संगठन में फेरबदल की तैयारी कर रहे हैं. इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, हरियाणा और मध्य प्रदेश शामिल हैं. मध्य प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. सूत्रों के मुताबिक 29 अप्रैल के बाद कभी भी इन तीन राज्यों के लिए पार्टी संगठन में बदलाव का एलान किया जा सकता है. बिहार में भी प्रदेश पार्टी अध्यक्ष का पद खाली पड़ा है. इस पद के लिए भी नियुक्ति की घोषणा की जा सकती है.
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ‘उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा की प्रदेश कांग्रेस समितियों में ऊपर से नीचे तक बदलाव किया जाना है. पार्टी की जनाक्रोश रैली की वजह से इसके एलान को टाला गया. अब 29 अप्रैल के बाद ये एलान किया जाएगा.’
सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर कमल नाथ की नियुक्ति तय है. मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से सांसद और कांग्रेस महासचिव कमल नाथ अभी पार्टी प्रभारी के नाते हरियाणा से जुड़े मामलों को देखने की जिम्मेदारी है. कमल नाथ छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से से नौ बार सांसद चुने गए हैं.
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नेतृत्व को भी बदले जाने की तैयारी हैं. सूत्रों के मुताबिक हरियाणा में पार्टी की कमान अशोक तंवर से ले कर किसी दलित चेहरे को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठाया जा सकता है.
देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में पार्टी संगठन में बदलाव के लिए कांग्रेस ने विस्तृत खाका तैयार किया है. इसके मुताबिक उत्तर प्रदेश को पांच जोन में बांटा जाएगा. उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के लिए अध्यक्ष तो एक ही रहेगा लेकिन पांचों जोन के लिए एक-एक उपाध्यक्ष होगा. हर उपाध्यक्ष के साथ 4-5 सचिव काम करेंगे. बहुत संभावना है कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष किसी ब्राह्मण चेहरे को ही बनाया जाएगा.
कमल नाथ होंगे मध्य प्रदेश में पार्टी के नाथ
मध्य प्रदेश में कमल नाथ को पार्टी का नाथ बनाने की भूमिका करीब 6 महीने पहले ही बंध गई थी. तब संसद में राहुल गांधी और कमल नाथ के बीच मध्य प्रदेश की स्थिति को लेकर लंबी बातचीत हुई थी. मध्य प्रदेश में पार्टी के एक और हेवीवेट नेता माने जाने वाले दिग्विजय सिंह का समर्थन भी कमल नाथ को बताया जाता है. दिग्विजय सिंह ने हाल ही में 9 अप्रैल को अपनी छह महीने लंबी नर्मदा परिक्रमा यात्रा को पूरा किया है.
कमल नाथ का नाम इसी साल के शुरू में कांग्रेस के कोषाध्यक्ष पद के लिए भी उछला था. कमल नाथ ने उस वक्त ये भी कहा था कि अगर लोकसभा में पार्टी के सचेतक ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्य प्रदेश में पार्टी अध्यक्ष चुना जाता है तो वो उनका पूरा समर्थन करेंगे.
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के तीन दिग्गजों में कमल नाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह का नाम लिया जाता है. सूत्रों के मुताबिक तीनों नेता इस बात पर एक राय हैं कि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के खिलाफ बड़ा एंटी इंकम्बंसी फैक्टर काम कर रहा है. तीनों नेता अलग अलग मौकों पर कांग्रेस आलाकमान तक अपनी राय पहुंचा चुके हैं कि प्रदेश में कांग्रेस संगठन में बदलाव का एलान जितनी जल्दी कर दिया जाए उतना ही अच्छा रहेगा क्योंकि विधानसभा चुनाव में ज्यादा वक्त नहीं बचा है. ऐसा किया जाता है तो 2019 लोकसभा चुनाव के लिए भी बीजेपी को प्रदेश में सशक्त चुनौती देने में आसानी रहेगी.
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक पार्टी मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के लिए अपने चेहरे का एलान नहीं करेगी. ऐसा मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद ही किया जाएगा.
सूत्रों का कहना है कि नर्मदा परिक्रमा यात्रा के पूरा होने के बाद दिग्विजय सिंह ने साफ किया था कि उनका समर्थन पुराने दोस्त कमल नाथ के साथ है. दिग्विजय के ऐसा कहने के बाद ही कमल नाथ के मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष चुने जाने का रास्ता साफ हुआ.
इस बीच सूत्रों ने ये भी बताया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी की कैम्पेन कमेटी की कमान सौंपी जा सकती है या उन्हें बहुत महत्वपूर्ण माने जानी वाली समन्वय समिति का प्रमुख बनाया जा सकता है.
230 सदस्यों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए इस साल के आखिर में चुनाव होने हैं. राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी से कांग्रेस का सीधा मुकाबला है.
जाट बहुल हरियाणा में दलित चेहरे को कमान?
जाटों की बहुलता वाले हरियाणा का बॉर्डर दिल्ली से सटा है. हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी के चलते काफी उठा पटक रही है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस आलाकमान राज्य में पार्टी के अध्यक्ष पद से अशोक तंवर को हटा कर किसी दलित चेहरे को लाना चाहती है. हरियाणा के एक और दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा का नाम पार्टी के केंद्रीय संगठन महासचिव की दौड़ में बताया जा रहा है.
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद के लिए कुमारी शैलजा का नाम आगे बताया जा रहा है. हरियाणा की पूर्व मंत्री गीता भुक्कल और पार्टी विधायक उदय भान के नाम भी प्रदेश में पार्टी के अध्यक्ष की दौड़ में बताए जा रहे हैं.
दलित चेहरे को इस पद पर लाने के पीछे हरियाणा के जाट आंदोलन और उसके बाद की उत्पन्न स्थितियों को माना जा रहा है. कांग्रेस सूत्रों का इस बारे में कहना है, ‘बीजेपी जहां तक हरियाणा विधानसभा चुनाव या 2019 लोकसभा चुनाव का सवाल है तो राज्य में चुनावी लड़ाई को जाट बनाम अन्य 35 समुदाय बनाना चाहती है. वहीं कांग्रेस संदेश देना चाहती है कि वो राज्य की सभी 36 बिरादरियों (समुदायों) के साथ है.
आजतक/इंडिया टुडे से बातचीत में पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने बताया कि वे कुछ महीने पहले राहुल गांधी से मिले थे और हरियाणा के राजनीतिक हालात पर विस्तार से चर्चा की थी.
हुड्डा ने कहा, राहुलजी मेरे नेता हैं और वो जो भी फैसला करेंगे, मैं उसका पालन करूंगा. मैं 36 के 36 समुदायों की नुमाइंदगी करता हूं और मेरा एकमात्र उद्देश्य कांग्रेस को हरियाणा की सत्ता में वापस लाना है.
ब्राह्मण को मिलेगी उत्तर प्रदेश की कमान!
देश की राजनीति में ये पुरानी कहावत है कि दिल्ली की गद्दी का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर निकलता है. तमाम कोशिशों के बाद भी कांग्रेस की उत्तर प्रदेश में हालत पतली है. बीते साल हुए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत लचर रहा था. पार्टी की अब कोशिश है कि 2019 लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से पार्टी की सीटों की संख्या में हर हाल में इजाफा हो.
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद की कमान अभी अभिनेता से नेता बने राज बब्बर के पास है. गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में कांग्रेस की बहुत बुरी गत बनने के बाद राज बब्बर ने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का एलान किया था लेकिन पार्टी आलाकमान ने उन्हें अगले फैसले तक पद पर बने रहने के लिए कहा था.
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस उत्तर प्रदेश के सियासी समीकरणों को देखते हुए ब्राह्मण चेहरे को राज्य में पार्टी की कमान सौंप सकती है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए पूर्व विधायक ललितेशपति त्रिपाठी, पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद और पूर्व सांसद राजेश मिश्रा के नाम लिए जा रहे हैं. साथ ही राज्य को पांच जोन में बांटकर बनाए जाने वाले पांच उपाध्यक्षों को जमीनी स्तर पर कांग्रेस को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी.
सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के प्रभारी गुलाम नबी आजाद की जगह भी नए प्रभारी को भेजा जायेगा. आज़ाद यूपी के लिए पार्टी प्रभारी महासचिव होने के साथ ही राज्यसभा में विपक्ष के नेता भी हैं. ऐसे में राहुल राज में ‘एक व्यक्ति, एक पद’ के सिद्धांत के आधार पर आज़ाद को प्रभारी पद छोड़ना होगा.
इसके अलावा बिहार में भी जल्दी ही पार्टी नए अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी जाएगी. अशोक चौधरी के पार्टी छोड़ने के बाद से कोकब क़ादरी को बतौर कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया था. अब उनकी जगह पूर्णकालिक अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी जायेगी. बिहार की राजनीति के मद्देनजर पार्टी वहां इस पद के लिए अगड़ी जाति पर दांव लगा सकती है.
बहरहाल, अब देखना है कि 29 अप्रैल की जनाक्रोश रैली के बाद कब कांग्रेस आलाकमान की ओर से तीन राज्यों में सांगठनिक बदलावों की घोषणा की जाती है.