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ये सुनने में बेशक अटपटा लगे, लेकिन इस सवाल ने मध्य प्रदेश में मतदान से ठीक पहले राजनीतिक बहस को अपनी ओर मोड़ा. ये सब तब शुरू हुआ जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राजस्थान में सोमवार को चुनाव प्रचार के बीच प्रसिद्ध पुष्कर मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे. पूजा कराने वाले पुजारी के मुताबिक “ राहुल गांधी ने बताया कि उनका गोत्र दत्तात्रेय है. दत्तात्रेय कौल हैं और कौल कश्मीरी ब्राह्म्ण होते हैं.”
इस घटनाक्रम के तत्काल बाद बीजेपी नेताओं और समर्थकों ने गोत्र को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष पर निशाना साधना शुरू कर दिया. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अपने ट्वीट में फिल्म ‘जॉली एलएलबी’ की एक क्लिप को भी अपलोड किया. इस क्लिप में एक मुस्लिम किरदार ‘ब्राह्मण पुजारी’ का फ़र्जी वेश धरे हुए होता है लेकि गोत्र पूछे जाने पर उसका झूठ पकड़ा जाता है. हज़ारों ने इसे शेयर किया और अपनी प्रतिक्रिया दी. कई बीजेपी समर्थकों ने राहुल पर निशाना साधते हुए कहा- राहुल दत्तात्रेय गोत्र से कैसे हो सकते हैं जबकि उनके दादा (फिरोज़ गांधी) हिन्दू नहीं थे. हिन्दू परंपरा में किसी शख्स को उसका गोत्र पिता से विरासत में मिलता है.
राहुल गांधी से जुड़े गोत्र विवाद को लेकर इंडिया टुडे आपके लिए उन सभी सवालों के जवाब ले कर आया है जिन्हें कि आप जानना चाहते हैं.
गोत्र क्या है?
प्रसिद्ध इतिहासकार एएल बाशम के मुताबिक ‘गोत्र’ शब्द असल में गोशाला से निकला है और इसका पहली बार इस्तेमाल अथर्व वेद में हुआ. अपनी किताब ‘द वंडर दैट वाज़ इंडिया’ में बाशम लिखते हैं- ‘सारे ब्राह्मण ऋषियों में से एक या पौराणिक सिद्ध पुरुषों के वंशज माने जाते हैं जिनसे उनके गोत्र के नाम पड़े.’ बाशम के मुताबिक एक ही गोत्र में शादियां प्रतिबंधित हैं क्योंकि एक ही गोत्र के लोग समान पूर्वजों के वंशज माने जाते हैं.
समाजशास्त्री और तेजपुर सेंट्रल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर चंदन कुमार शर्मा ने कहा,”‘गोत्र’ व्यवस्था पारंपरिक तौर पर ब्राह्मणवादी है और पुरुष प्रधान सत्ता से जुड़ी है.” क्योंकि किसी को गोत्र अपने पिता से मिलता है मां से नहीं.
नेहरूओं को कैसे उनका उपनाम मिला और उनका गोत्र क्या है?
पंडित मोती लाल नेहरू के पूर्वज कौल ब्राह्मण थे और कश्मीर के रहने वाले थे. कश्मीर में कौल ब्राह्मणों का गोत्र दत्तात्रेय है. 1716 में उनके पूर्वज पंडित राज कौल दिल्ली में शिफ्ट हो गए और नहर के किनारे बने एक घर में रहने लगे. लोगों ने उन्हें नेहरू बुलाना शुरू कर दिया. नेहरू यानि नहर के किनारे रहने वाले. बाद में उन्होंने कौल हटा दिया और उपनाम के तौर पर बस नेहरू ही इस्तेमाल करने लगे.
राहुल गांधी के दादा फिरोज गांधी का धर्म क्या था?
फिरोज जहांगीर घांडी (इंदिरा गांधी के पति और राहुल गांधी के दादा) का जन्म पारसी परिवार में 12 सितंबर 1912 को मुंबई के तहमुलजी नरीमन अस्पताल में हुआ था. स्वीडन के पत्रकार बर्टिल फाल्क की फिरोज गांधी पर लिखी बायोग्राफी ‘फिरोज- द फॉरगॉटेन गांधी’ के मुताबिक फिरोज के पिता जहांगरी फेरदून घांडी भरूच, गुजरात के मरीन इंजीनियर थे. वो पारसी समुदाय के धार्मिक व्यक्ति थे. फिरोज उनकी पांचवीं और अंतिम संतान थे. जब वो कुछ ही महीने के थे तो उनकी रिश्तेदार शिरीन कमिस्सेरियट ने उन्हें गोद ले लिया. शिरीन डॉक्टर थीं और इलाहाबाद में रहती थीं. शिरीन अविवाहित थीं लेकिन उन्होंने फिरोज को अपने बेटे की तरह पाला.
रामचंद्र गुहा ने अपनी किताब ‘इंडिया ऑफ्टर गांधी’ में लिखा है कि फिरोज ने महात्मा गांधी से प्रभावित होकर स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ने के बाद अपने उपनाम को ‘घांडी’ से ‘गांधी’ में बदल लिया. हालांकि कई लोगों का मानना है कि फिरोज, महात्मा गांधी से किसी तरह रिश्ते से जुड़े थे, जो कि सच नहीं है.
क्या फिरोज गांधी ने हिन्दुत्व को अपनाया था?
ऐसा कोई पुख्ता सबूत नहीं जो फिरोज गांधी के इंदिरा से शादी के बाद हिन्दुत्व को अपनाने का संकेत देता हो. नेहरू भी सिर्फ शादी के लिए धर्म परिवर्तन के खिलाफ थे. लेकिन अंतर्जातीय विवाह होने की वजह से शादी किस रीति-रिवाज से होगी, ये तब जटिल सवाल था. साथ ही उस वक्त तक अंतर्जातीय विवाह को अगर वो सिर्फ़ हिन्दू रीति रिवाज से होता था तो उसे कानूनी मान्यता भी प्राप्त नहीं थी. कोर्ट में सिविल मैरिज करना ज़रूरी था. फिरोज और इंदिरा ने क्या अपनी शादी के रीति-रिवाजों के बाद सिविल मैरिज भी की थी, इसको लेकर कई तरह की थ्योरी हैं.
विनोद मेहता की किताब ‘द संजय स्टोरी’ के मुताबिक ‘फिरोज ने हिन्दुत्व को हिन्दू कानूनों को लेकर रूढ़िवादी विचारों को संतुष्ट करने के लिए अपनाया था, साथ ही किसी संभावित कानूनी आपत्ति से बचने के लिए उन्होंने ऐसा किया. दोनों ने कश्मीर में छोटे हनीमून के बाद सिविल मैरिज भी की.’
मेहता ने अपनी किताब में ये तक कहा, अन्य बायोग्राफर्स और ऑब्ज़र्वर्स ने भी ये पुष्टि की है कि फिरोज ने धर्म परिवर्तन किया और सिविल मैरिज का रास्ता अपनाया. हालांकि किताब के मुताबिक जब इंदिरा गांधी से फिरोज के धर्म परिवर्तन के बारे में पूछा गया था उन्होंने ज़ोर देकर खंडन करते हुए कहा था- ‘निश्चित रूप से नहीं.’
राहुल का दत्तात्रेय गोत्र के साथ कौल ब्राह्मण होने का दावा?
ये साफ है कि राहुल गांधी अपने पिता के नाना जवाहर लाल नेहरू की वंशावली के आधार पर दत्तात्रेय गोत्र का होने का दावा कर रहे हैं. ऐतिहासिक रिकॉर्डों के मुताबिक इंदिरा गांधी ने भी इसी पुष्कर मंदिर में अपना गोत्र पिता वाला ही बताया था. हालांकि कई समाजशास्त्रियों के मुताबिक, ये हिन्दू परंपराओं के मुताबिक नहीं है. दिल्ली यूनिवर्सिटी के इतिहासकार डॉ प्रेम चौधरी कहते हैं, ‘अगर कोई व्यक्ति हिन्दुत्व को अपनाता भी है तो उसे गोत्र नहीं मिलता. इसलिए फिरोज गांधी के हिन्दुत्व को अपनाने के बाद भी हिन्दू परंपरा के मुताबिक उन्हें कभी गोत्र नहीं मिला.’
फिरोज के धर्म को लेकर विवाद उनके निधन के बाद भी नहीं थमा था. उनका अंतिम संस्कार हिन्दू और पारसी दोनों परंपराओं के मुताबिक किया गया था. फिरोज गांधी की पार्थिव देह का दिल्ली में दाह संस्कार हुआ था. बाद में उनकी अस्थियों को इलाहाबाद में पारसी सीमेट्री में रखा गया.
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