
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के तेवर सिर्फ रैलियों में लोगों को संबोधित करने के दौरान या सोशल मीडिया पर चुटीले ट्वीट्स करते वक्त ही बदले नजर नहीं आते बल्कि अब पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से रू-ब-रू होते वक्त भी उनके अंदाज अलग दिखाई दे रहे हैं. राहुल कहानियों के जरिए पार्टी काडर तक अपना संदेश पहुंचाने के साथ-साथ नसीहतें भी दे रहे हैं. राहुल दो टूक कह रहे हैं कि कांग्रेस में दलालों की जरूरत नहीं, पार्टी में किसी ने जनता के बीच रह कर मेहनत की या नहीं की, ये सिर्फ चुनाव नतीजे तय करेंगे.
जैसा कि ‘आज तक’ पहले ही एक रिपोर्ट में बता चुका है कि राहुल ने अपने करीबी नेताओं को साफ कर दिया है कि वे 9 दिसंबर से पहले कांग्रेस अध्यक्ष पद संभालने का मन बना चुके हैं. 9 दिसंबर को ही गुजरात में पहले चरण का मतदान होना है. जाहिर है कि पार्टी में सबसे बड़े पद की ओर बढ़ने की जिम्मेदारी का असर राहुल के बोलने-उठने-बैठने में दिखने लगा है.
राहुल के ऐसे ही अंदाज कांग्रेस के असंगठित कामगार ग्रुप के देश भर से आये पदाधिकारियों की बैठक को संबोधित करते भी दिखे. सूत्रों के मुताबिक राहुल ने बैठक में साफ कहा कि दिल्ली के चक्कर काटने से बात नहीं बनेगी, अपने कार्यक्षेत्र में काम करिए, सिर्फ काम ही देखा जाएगा. राहुल ने बिना कोई लाग लपेट संदेश दिया कि सिस्टम में दलालों की नहीं बल्कि जमीन पर काम करने वालों की ही कद्र होगी. राहुल ने अपनी बात कहने के लिए दो कहानियों का सहारा भी लिया.
राहुल की पहली कहानी
सूत्रों के मुताबिक राहुल ने पहली कहानी फैशन डिजाइनर की सुनाई. विदेश में फैशन शो अवॉर्ड समारोह में इस डिजाइनर को अवॉर्ड मिलने की उम्मीद थी. फिर भी कोई गड़बड़ ना हो इसलिए आयोजकों से कहा गया कि डिजाइनर के साथ रंगभेद नहीं होना चाहिए. इसके बावजूद उस डिजाइनर को अवॉर्ड नहीं मिला. बाद में जब आयोजकों से बात की गई तो पता चला कि डिजाइनर तो सिर्फ दलाल है. असल काम तो उसके पीछे करने वाले दर्जी हैं. राहुल ने कहानी सुनाने के साथ ही कहा कि मैं चाहूंगा कि असल मेहनतकश, हुनरमंद दर्जी को ही सम्मान मिले और वही आगे चलकर डिजाइनर बने.
राहुल ने ली माकन से चुटकी
राहुल यहीं नहीं रुके. सूत्रों के मुताबिक राहुल ने अपने तेवर बताने के लिए एक दूसरी कहानी भी सुनाई. साथ ही उन्होंने दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन से चुटकी भी ली. दरअसल, हुआ यूं कि असंगठित कामगार कांग्रेस के अध्यक्ष अरविंद सिंह की ओर से कहा गया कि दिल्ली में असंगठित क्षेत्र के कामगारों के हक के लिए ज़्यादा लड़ाई नहीं लड़ी गई. इस पर तुरन्त माकन ने दिल्ली कांग्रेस की ओर से आयोजित धरने-प्रदर्शनों की गिनती याद दिला दी. इस पर राहुल ने माकन को हल्के फुल्के अंदाज़ में कहानी सुनाते हुए शायद ये एहसास कराया कि, आपने क्या किया ये चुनावी जीत बताती है वोट प्रतिशत नहीं.
राहुल की दूसरी कहानी
सूत्रों के मुताबिक राहुल ने कहा कि ‘वे कई बार पंजाब गए हैं, वहां कई लोगों ने अपने घरों में शेर और हिरन के सर दीवारों पर टांग रखे हैं. वो लोग बताते हैं कि उनके पूर्वजों ने इन जानवरों का शिकार किया था, इसलिए सुबूत के तौर उन्हें टांग रखा है. अन्यथा कोई शिकारी ये कहे कि उसने इतनी गोलियां चलाई लेकिन वो सुबूत ना दे तो कौन मानेगा कि उसने शिकार किया. तो आपने जनता से जुड़ने के लिए, उनके मुद्दे उठाने के लिए क्या किया, ये चुनाव में नतीजे बताएंगे.’
राहुल की इस कहानीनुमा नसीहत को दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष माकन ने मुस्कुरा कर लिया. बता दें कि दिल्ली में पिछले कई चुनाव से कांग्रेस लगातार हार का सामना कर रही है.
कुल मिलाकर राहुल भले ही बात असंगठित क्षेत्र के पार्टी पदाधिकारियों से कर रहे थे, लेकिन उनके निशाने पर चुनाव जीतने के लिए पार्टी के समस्त पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को नसीहत देना था. गुजरात चुनाव से पहले अपनी दो कहानियां सुनाकर उन्होंने अपनी मंशा साफ कर दी कि वो गुजरात चुनाव में जीत को ही सफलता मानेंगे. और दूसरा ये कि पार्टी में चुनावी रण में ज़मीन पर काम करने वालों और वोट दिलाने वालों को ही आगे बढ़ाया जाएगा, हवाबाज़ों और दलालों की दाल नहीं गलेगी.