
सीबीआई जज बीएच लोया की मौत से जुड़ा मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है. इस बीच पर मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों के नेता कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में शुक्रवार शाम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेंगे. यह मुलाकात शाम 5 बजे होगी. गौरतलब है कि विपक्षी पार्टियां जज लोया की मौत पर पहले ही निष्पक्ष जांच की मांग कर चुकी हैं.
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने बताया कि सभी विपक्षी नेता शाम को राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे. उनकी मांग है कि इस मामले की जांच मौजूदा सुप्रीम कोर्ट के जज की अगुवाई में एक एसआईटी को करनी चाहिए. सुरजेवाला ने बताया कि वह इससे जुड़ा एक ज्ञापन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सौपेंगे.
राहुल पहले भी खड़े कर चुके हैं सवाल
सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा इस मसले पर उठाए गए सवालों के बाद राहुल गांधी ने भी मीडिया से बात की थी. उन्होंने तब अपील की थी कि चारों जजों के आरोप बेहद अहम है. जज लोया मामले की जांच सही तरीके से होनी चाहिए.
राहुल ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के शीर्ष स्तर पर जज लोया के मामले की जांच होनी चाहिए, जो हमारा लीगल सिस्टम है, उस पर हम विश्वास करते हैं. एक गंभीर बात उठी है, इसलिए हम ये बात कर रहे हैं.
SC में हो रही है इस मामले की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच कर रही है. पिछली सुनवाई में CJI ने कहा था कि वह सिर्फ जज लोया की मौत से जुड़े मामले पर सुनवाई करेंगे. उससे जुड़े किसी अन्य मुद्दे पर सुनवाई नहीं करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले से जुड़ी सभी याचिकाओं को हाईकोर्ट से उनके पास ट्रांसफर करने को कहा था.
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि जस्टिस लोया बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख मामले की सुनवाई कर रहे थे. 2005 में सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर को गुजरात पुलिस ने अगवा किया और हैदराबाद में हुई कथित मुठभेड़ में उन्हें मार दिया गया था. सोहराबुद्दीन मुठभेड़ के गवाह तुलसीराम की भी मौत हो गई थी. इस मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का भी नाम जुड़ा था.
मामले से जुड़े ट्रायल को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में ट्रांसफर किया था. इस मामले की सुनवाई पहले एक अन्य जज कर रहे थे, लेकिन इस मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के पेश नहीं होने पर उन्होंने नाराजगी व्यक्त की थी, जिसके बाद उनका तबादला हो गया. फिर जस्टिस लोया के पास इस मामले की सुनवाई आई.
दिसंबर, 2014 में जस्टिस लोया की नागपुर में मौत हो गई थी, जिसे संदिग्ध माना गया था. जस्टिस लोया की मौत के बाद जिस जज ने इस मामले की सुनवाई की, उन्होंने अमित शाह को मामले में बरी कर दिया था.
हाल ही में कुछ समय पहले एक मैग्जीन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि जस्टिस लोया की मौत साधारण नहीं थी बल्कि संदिग्ध थी. जिसके बाद से ही यह मामला दोबारा चर्चा में आया. लगातार इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी भी जारी रही है. हालांकि, जज लोया के बेटे अनुज लोया ने कुछ दिन पहले ही प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे को बड़ा करने पर नाराजगी जताई थी. अनुज ने कहा था कि उनके पिता की मौत प्राकृतिक थी, वह इस मसले को बढ़ावा नहीं देना चाहते हैं.
एजेंडा आजतक 2017 के मंच पर अमित शाह ने इस मुद्दे पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा था कि कारवां मैग्जीन ने जस्टिस लोया की मौत को लेकर खबर छापी है तो दूसरी ओर एक अंग्रेजी अखबार ने भी खबर छापी है. जिसको भी संदेह है वो तथ्य देख ले. क्या ये उनके खिलाफ कोई राजनीतिक षड़यंत्र है? इस सवाल पर अमित शाह ने कहा कि मैं ऐसा कुछ नहीं कहना चाहता. मैं क्यों पचड़े में पड़ूं? जिसको भी संदेह है वो नागपुर जाकर देख ले.