
सोनिया गांधी अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर तो आ गईं हैं, लेकिन अगले कुछ हफ्तों तक डॉक्टरों ने आराम की सलाह दी है. इसलिए 15 अगस्त के दिन के लिहाज से सवाल आया कि इस बार पार्टी मुख्यालय में झंडा कौन फहराएगा? जवाब आसान था- राहुल गांधी.
फिर भी सवाल उठा क्योंकि 1998 में पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद महज एक बार ही ऐसा हुआ था, जब साल 2011 सोनिया अपनी बीमारी के चलते विदेश में थीं और उम्मीद लगाई गई कि सोनिया की जगह राहुल झंडा फहराएंगे. राहुल बाकायदा गांधी टोपी पहनकर कांग्रेस मुख्यालय आए भी, लेकिन ऐन मौके पर उन्होंने कोषाध्यक्ष और सीनियर नेता मोतीलाल वोरा से झंडा फहराने की गुजारिश कर दी और वोरा ने राहुल की बात का सम्मान करते हुए झंडा फहरा दिया. तब इसके दो मायने निकाले गए. पहला ये कि राहुल पार्टी महासचिव ही हैं, ऐसे में तकनीकी तौर पर ओहदे के लिहाज से पार्टी में और भी महासचिव हैं, जिसमें सबसे सीनियर मोतीलाल वोरा को जिम्मेदारी दी गई. दूसरा ये कि कांग्रेस का संचालन सोनिया और उनकी टीम के हाथों में ही है, अभी टीम राहुल सिर्फ दी गई जिम्मेदारी तक ही सीमित है और तुरंत टीम राहुल टेक ओवर नहीं करने जा रही है, ये संदेश भी दिया जाना था.
लेकिन इस बार आधिकारिक तौर पर पार्टी ने ऐलान कर दिया कि 15 अगस्त 2016 को कांग्रेस मुख्यालय में झंडा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी फहराएंगे. आखिर अब वो आधिकारिक तौर पर पार्टी के उपाध्यक्ष हैं यानी पार्टी में नंबर दो. वैसे अब ये भी सबको पता है कि सिर्फ तारीख का ऐलान बाकी है वरना अंदरखाने राहुल की ताजपोशी तय की जा चुकी है.
राहुल के झंडा फहराने के सियासी मायने
सियासी हलकों में तब मोतीलाल वोरा और अब राहुल के झंडा फहराने के मायने निकाले जा रहे हैं. संदेश सीधा है कि आने वाले दिनों में कभी भी कांग्रेस की कमान राहुल को सौंपी जानी है. सोनिया गांधी अपनी
जिम्मेदारियों का ट्रांसफर तेजी से राहल को कर रही हैं. उधर, सूत्रों के मुताबिक खुद राहुल भी पुराने और नए नेताओं के बीच सामन्जस्य के साथ पार्टी कमान संभालने को राजी हो गए हैं. इसीलिए इस बार सोनिया की
बीमारी के चलते कांग्रेस मुख्यालय में झंडा फहराने की जिम्मेदारी खुद राहुल निभाएंगे.
सोनिया की बीमारी के चलते टले कांग्रेस के कई कार्यक्रम
यूपी चुनाव के लिहाज से वैसे तो सोनिया का इस्तेमाल पार्टी सीमित ही करना चाहती थी, लेकिन अहम मौकों और जगहों पर वो सोनिया के प्रचार अभियान को भुनाने की तैयारी में थी. काशी के बाद इलाहाबाद में सोनिया
का कार्यक्रम अगस्त महीने में ही बन रहा था, लेकिन फिलहाल अब इस कार्यक्रम को टाल दिया गया है. साथ ही भविष्य में होने वाले सोनिया गांधी के कार्यक्रमों को भी होल्ड पर रखा गया है. जब तक सोनिया पूरी तरह
स्वस्थ नहीं हो जातीं, तब वो किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगी. जैसे 20 अगस्त को राजीव गांधी को जन्मदिन पर सद्भावना पुरस्कार के कार्यक्रम में भी उनके हिस्सा लेने के आसार कम ही बताए जा रहे
हैं.
सोनिया की जगह राहुल के कार्यक्रम कराने की तैयारी
यूपी और पंजाब चुनाव के मद्देनजर अब सोनिया गांधी की जगह राहुल गांधी के कार्यक्रम नए सिरे से तैयार किये जा रहे हैं. मसलन, इलाहाबाद में कांग्रेस के कार्यक्रम को थोड़ा आगे बढ़ाकर उसमें राहुल गांधी के जाने का
कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है.
महासचिवों से मुलाकात कर राहुल ही करेंगे फैसले
राज्य संगठनों से जुड़े मामले हों या फिर राष्ट्रीय राजनीति से जुड़े फैसले, सोनिया के ठीक होने तक अंतिम फैसला राहुल का ही होगा. वैसे अभी भी पार्टी के ज्यादातर अहम फैसले राहुल ही कर रहे थे, जिस पर सोनिया
मुहर लगाती थीं. लेकिन उस सूरत में कुछ एक फैसले सोनिया के दरबार में रिव्यू हो जाया करते थे या कह सकते हैं कि सोनिया वीटो पावर का इस्तेमाल कर लिया करती थीं. पर अब राहुल ही फैसला करेंगे और वही
अंतिम होगा.
सोनिया के ठीक होने पर ही राहुल संभालेंगे पार्टी की कमान
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने तय किया था कि संसद का मानसून सत्र खत्म होने के बाद से सही वक्त देखकर राहुल की ताजपोशी कर दी जाएगी. लेकिन अब टीम राहुल का ही कहना है कि सोनिया की तबीयत ठीक होने
पर ही इस बाबत कोई फैसला होगा. सोनिया के बीमार रहते राहुल का पार्टी की कमान संभालना ठीक नहीं रहेगा और ना ही इसके लिए खुद राहुल राजी होंगे.
प्रियंका का भी बढ़ा रोल
वैसे तो प्रियंका पार्टी के भीतर परदे पीछे लगातार सक्रिय हैं. अपनी मां सोनिया के लोकसभा क्षेत्र रायबरेली के लोगों का साप्ताहिक जनता दरबार भी उन्हीं के यहां लगता है. अहम फैसलों में राहुल ही नहीं पार्टी के वरिष्ठ
नेताओं से भी सलाह-मशविरा करती हैं. खासकर उत्तर प्रदेश के मामलों में तो उनका खासा दखल है. हाल ही पार्टी की राज्य की नई टीम की घोषणा से ठीक पहले प्रदेश के प्रभारी महासचिव के घर जाकर एक घंटे की
मुलाकात की तस्वीरें भी सामने आईं थी. साथ ही अंदरखाने यूपी के फाइनल किए गए 80 उम्मीदवारों की सूची में भी प्रियंका का अहम रोल रहा. सूत्रों के मुताबिक, अब सोनिया की बीमारी के चलते यूपी के मद्देनजर पार्टी
के नेताओं से बातचीत करके रोडमैप तैयार करने और उसको अन्तिम रूप देने में प्रियंका की भूमिका और बढ़ जाएगी.
इतना सब तो हो रहा है लेकिन राहुल गांधी को लेकर दो सवाल अरसे से जवाब की तलाश में हैं. पहला राजनीतिक है कि वो कांग्रेस अध्यक्ष कब बनेंगे और दूसरा व्यक्तिगत कि वो शादी कब करेंगे. फिलहाल तो सभी को सोनिया के ठीक होने का इंतजार है क्योंकि दोनों सवालों का जवाब फिलहाल तो आने वाला नहीं.