
संसद का मॉनसून सत्र 18 जुलाई से शुरू हो रहा है. इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने महिला आरक्षण की मांग फिर उठाई है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर इसकी मांग की है. माना जा रहा है कि मोदी सरकार के ट्रिपल तलाक के जवाब में राहुल गांधी ने महिला आऱक्षण का दांव खेला है.
राहुल गांधी ने पीएम मोदी से कहा है कि वह संसद में महिला आरक्षण बिल लाएं, कांग्रेस उनका पूरा समर्थन करेगी. कांग्रेस इस संबंध में प्रेस कांफ्रेंस कर चिट्ठी जारी करने वाली है.
इससे पहले 20 सितंबर 2017 को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर लोकसभा में महिला आरक्षण बिल को पास करने का निवेदन किया था. पिछले साल कांग्रेस ने शीतकालीन सत्र के दौरान देश के अलग-अलग राज्यों से संसद और विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण के समर्थन में 33 लाख हस्ताक्षर जमा किए थे. बड़ी बड़ी कागज की पेटियां लेकर देश के अलग-अलग प्रदेशों से महिला कांग्रेस की कार्यकर्ताओं और नेता दिल्ली पहुंचीं थीं. महिला कांग्रेस के पदाधिकारियों और सदस्यों ने 33 लाख हस्ताक्षर जमा करने का दावा किया था.
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बता दें कि वर्ष 2010 में महिला आरक्षण विधेयक को राज्यसभा में पास कराया गया था. मगर लोकसभा में यह विधेयक पारित नहीं हो सका था. विधेयक के तहत संसद और राज्य विधान सभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव है.
महिला आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन होना है. संविधान में संसद और विधानसभा में महिला आरक्षण को लेकर कोई व्यवस्था नहीं है. 1993 में संविधान में 73वें और 74वें संशोधन के जरिए पंचायत और नगर निकाय में एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित की गई थीं. याद रहे कि महिला आरक्षण विधेयक स