
देश भर से आये 100 से ज़्यादा आदिवासी नेताओं से कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मुलाकात की. राहुल से मिलकर निकले नेताओं को सबसे ज़्यादा खुशी इस बात की थी कि तकरीबन 4 घंटे राहुल ने सभी नेताओं की बात सुनी. इन चार घंटों में खुद राहुल महज 5 मिनट ही बोले और इसके बाद 4 घंटों तक नेताओं की बात सुनी. मध्य प्रदेश से आदिवासी विधायक ओंकार सिंह ने आजतक से कहा कि राहुलजी पर विरोधी, इल्ज़ाम लगाते हैं कि वो किसी की सुनते नहीं, जबकि उन्होंने 4 घंटे आराम से हम सबको सुना.
शुरुआत में राहुल ने कहा कि आप लोग आदिवासियों के राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक मसलों पर अपनी बात कहिये. जिसके बाद सबने यहीं से शुरुआत कर दी. कांग्रेस पार्टी में अब आदिवासियों को तवज्जो नहीं दी जाती. इस पर राहुल को कहना पड़ा कि मानता हूं कि पार्टी में आदिवासियों के प्रति कुछ नेताओं की दुर्भावना होती है, पर मैं नई व्यवस्था बना रहा हूं. मीटिंग में आये नेताओं को हिंदी और अंग्रेजी में लिखित एक पर्चा भी बांटा गया जिसमें आदिवासियों से जुड़े 15 सवाल और उनसे जुड़े 12 मुद्दों के इर्द गिर्द ही अपनी बात रखने को कहा गया.
क्या होगी नई व्यवस्थामीटिंग के बाद आधिकारिक तौर पर मीडिया से मुखातिब हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री किशोर चंद्र देव ने कहा कि, मोदी सरकार आदिवासियों की दुश्मन है. इसके बाद उन्होंने 7 मुद्दों को केंद्र में रखकर अपनी रणनीति बनाने की बात कही-
2. खनन के पट्टों का आदिवासियों को उचित मुआवजा नहीं
3. आदिवासियों के हितों के लिए कोई नई योजना नहीं, उल्टे कई योजनाएं बन्द कर दी गईं और कई के सिर्फ नाम बदल दिए गए
4.नर्मदा बांध के आस पास रहने वाले आदिवासियों को पानी अब तक नसीब नहीं, जबकि उनकी ज़मीनें ले ली गयी थीं
5. आदिवासी नौजवानों के लिए सरकार की कोई योजना नहीं, आखिर क्यों वो नक्सलियों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं
6. नक्सलियों के निशाने पर एक तरफ CRPF जवान तो दूसरी तरफ आदिवासी, लेकिन सरकार कोई पहल नहीं कर रही
7. नक्सल प्रभावित इलाक़ों में फण्ड में कटौती क्यों
राहुल का मानना है कि मोदी सरकार के भूमि अधिग्रहण कानून को रोकने के लिए जिस तरह किसानों को इकट्ठा कर मोदी सरकार को क़दम पीछे खींचने पर मजबूर किया था, वैसे ही आदिवासियों के मुद्दे उठाकर मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाया जाए. लेकिन उससे पहले आदिवासियों को कांग्रेस से जोड़ने की बड़ी चुनौती उनके सामने हैं.