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रेलवे को नहीं पता मोदी ने कब बेची चाय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार अपने भाषणों में जिक्र किया कि उनका बचपन बहुत गरीबी में बीता और उन्होंने रेलगाडियों में चाय तक बेची है. लेकिन उनके कई दावों की तरह यह दावा भी चुनावी जुमला साबित होता नजर आ रहा है.

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 फरवरी 2015,
  • अपडेटेड 9:27 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार अपने भाषणों में जिक्र किया कि उनका बचपन बहुत गरीबी में बीता और उन्होंने रेलगाडियों में चाय तक बेची है. लेकिन उनके कई दावों की तरह यह दावा भी चुनावी जुमला साबित होता नजर आ रहा है. एक आरटीआई अर्जी के जवाब में रेल मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि रेलवे बोर्ड के पास ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है जिससे यह पता चले कि नरेंद्र मोदी को कभी भी किसी स्टेशन या ट्रेन में चाय बेचने का पास जारी किया गया था. मंत्रालय को नहीं पता कि मोदी ने कभी रेल में चाय बेची.

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कांग्रेस नेता तहसीम पूनावाला ने अपनी आरटीआई अर्जी में पूछा था कि क्या नरेंद्र मोदी ने कभी रेलवे में चाय बेची, यदि हां तो इसके बारे में साक्ष्य उपलब्ध कराए जाएं. अर्जी के जवाब में 20 अगस्त 2014 को रेल मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया कि मोदी के चाय बेचने संबंधी कोई दस्तावेज रिकॉर्ड में उपलब्ध नहीं है. गौरतलब है कि रेलवे में किसी भी तरह की वेंडरिंग के लिए वैध दस्तावेज उपलब्ध कराए जाते हैं. चाय बेचने वाले से लेकर कुली तक सिर्फ अधिकृत व्यक्ति ही रेलवे में काम कर सकते हैं. बिना संबंधित अनुमति के रेलवे में सामान बेचना अपराध की श्रेणी में आता है.

इस संबंध में जब पूनावाला से पूछा गया कि जब आरटीआई का जवाब अगस्त में ही आ गया था तो वे छह महीने बाद फरवरी में इसे क्यों सार्वजनिकर कर रहे हैं, तो पूनावाला ने कहा, मैं प्रधानमंत्री जी के पारिवारिक बैकग्राउंड के बारे में लंबे समय से जानता हूं. मैं उनके रहन-सहन से भी लंबे समय से परिचित हूं. वे हमेशा से महंगी चीजों और शानदार जीवनशैली के कायल रहे हैं. ऐसे में मेरी जिज्ञासा हुई कि आखिर उन्होंने रेल में चाय कब बेची. जहां तक अब इस बात को सार्वजनिक करने का सवाल है तो अगर अगस्त में मैं इसे सार्वजनिक करता लोग कहते कि मैं एक गरीब व्यक्ति के प्रधानमंत्री बनने से जल रहा हूं. तब जनता मैं अलग किस्म का उत्साह था. लेकिन अब उनके महंगे कोट के किस्से सब जगह चल रहे हैं और जनता उनकी सच्चाई सुनने को तैयार है तो मैंने यह आरटीआई सार्वजनिक की.

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गौरतलब है कि अपनी भारत यात्रा में अमेरिकी राष्ठ्रपति बराक ओबामा ने भी प्रधानमंत्री की कमजोर आर्थिक परिवार से आने की बात कही थी. लेकिन बाद में 10 लाख के कोट का विवाद गहरा गया.

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