
भारत पड़ोसी देश नेपाल की राजधानी काठमांडू को नई दिल्ली और कोलकाता से रेलवे से जोड़ने की योजना बना रहा है. रेल मंत्रालय ने इस संभावना पर प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने की कवायद शुरू कर दी है. इस बात की जानकारी रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने ‘दक्षिण एवं दक्षिण-पश्चिम एशिया में रेल परिवहन कनेक्टिविटी को सुदृढ़ बनाने’ पर दो दिवसीय बैठक के उद्घाटन भाषण में दी.
उन्होंने कहा कि नेपाल हमारा जुड़वा भाई है और पिछले दिनों जब वह यहां गए थे, तब इस पर विचार किया गया था. प्रभु ने बताया कि इस बारे में उन्होंने रेलवे बोर्ड को निर्देश दे दिए हैं और जल्द ही इसके लिए कदम उठाए जाएंगे.
सुरेश प्रभु ने कहा दक्षिण एशिया और दक्षिण पश्चिम एशिया में रेल परिवहन के जरिए आर्थिक लाभ मिल सकता है. उन्होंने कहा कि म्यांमार-बांग्लादेश-भारत-पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान से होते हुए तुर्की में इस्तांबुल तक रेलगाड़ी चलाई जा सकती है. इससे जहां एक तरफ आपसी व्यापार बढ़ेगा, वहीं दूसरी तरफ माल को ले जाने के लिए भाड़े में काफी कमी आएगी. इससे इस क्षेत्र में आर्थिक खुशहाली बढ़ेगी.
रेल मंत्री के मुताबिक हमारी प्राथमिकता काठमांडू एवं नई दिल्ली, कोलकाता और काठमांडू के बीच कनेक्टिविटी विकसित करने की है. हम भारत, म्यांमार, भूटान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के बीच कनेक्टिविटी की संभावनाएं तलाश रहे हैं. दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के बीच कनेक्टिविटी इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाए के साथ-साथ गरीबी उन्मूलन में भी मददगार साबित होगी.
उन्होंने कहा कि हमें भागीदार देशों के सहयोग की जरूरत है. ट्रांस-एशियन रेलवे नेटवर्क के तहत एस्कैप के अंतर्राष्ट्रीय रेल परिवहन प्रस्ताव इस संदर्भ में खास अहमियत रखते हैं. इस्तांबुल से ढाका तक के रेल मार्ग के प्रस्ताव का विशेष महत्व है, जो आईटीआई-डीकेडी रेल कॉरिडोर के रूप में भी जाना जाता है. इस रेल मार्ग का एक अहम खंड भारत से होकर गुजरता है.
इस प्रस्ताव की सबसे महत्वपूर्ण खासियत यह है कि जहां एक ओर यह मुख्य रेल गलियारा दक्षिण एशिया से होकर गुजरता है, वहीं यह पड़ोसी उप क्षेत्रों को हर तरह का संपर्क भी सुलभ कराता है. यह विशेषकर हमारे पड़ोस के भू-भाग से घिरे देशों की पारगमन संबंधी जरूरतों की पूर्ति करता है.