
कैटरपिलर ट्रेन के कांसेप्ट को समझने के लिए रेल मंत्री सुरेश प्रभू ने इसको बनाने वाले रेलवे इंजीनियर अश्विनी कुमार उपाध्याय के साथ मुलाकात की. रेलमंत्री से मिलकर इंजीनियर अश्विनी कुमार उपाध्याय ने उनको कैटरपिलर ट्रेन की तमाम खूबियों से वाकिफ कराया. कैटरपिलर ट्रेन के कांसेप्ट को नीति आयोग के पास पहुंचाने के लिए रेलमंत्री ने आला अधिकारियों को निर्देश दिए हैं.
रेलमंत्री ने कैटरपिलर ट्रेन के कांसेप्ट का प्रोटो टाइप बनाने में जरूरी मदद का आश्वासन भी रेलवे इंजीनियर अश्विनी कुमार उपाध्याय को दिया. शहरी ट्रांसपोर्ट के लिए एक अनूठे हल यानी कैटरपिलर ट्रेन के नाम से मशहूर हो चुके इस नए नवेले ट्रांसपोर्ट कांसेप्ट पर दुनिया के जाने माने तकनीकी संस्थान मेसाच्यूसेट इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी यानी एमआईटी ने भी मुहर लगा दी है. रेलवे में आईआरटीएस अधिकारी अश्विनी कुमार उपाध्याय के कैटरपिलर ट्रेन के कांसेप्ट को एमआईटी के क्लाइमेट कोलैब कांटेस्ट में पॉपुलर कैटेगरी और जजेज च्वाइस दोनों में ही पिछले महीने चुना गया है.
ऐसे आया कैटरपिलर ट्रेन का आइडिया
रेल मंत्री के साथ मुलाकात के बाद इंजीनियर अश्विनी कुमार उपाध्याय काफी उत्साहित दिखे. उन्होंने बताया कि कैटरपिलर ट्रेन भारतीय शहरों के ट्रांसपोर्ट को पूरी तरह
से बदल कर रख देगी. लास्ट माइल कनेक्टिविटी के मामले में कैटरपिलर ट्रेन बेजोड़ है. उनके मुताबिक कैटरपिलर ट्रेन का आइडिया उनके दिमाग में तब आया जब वो
सिंगापुर में एमआईटी की स्कॉलरशिप पर अपना रिसर्च पूरा कर रहे थे. यहां पर उनकी मुलाकात एक अमेरिकन इंजीनियर एमिल जैकब से हुई. दोनों ने डेढ़ साल में एक
अनूठे कांसेप्ट को लेकर काम किया और सामने आया कैटरपिलर ट्रेन का आइडिया.
सड़क के ऊपर चलेगी कैटरपिलर
दरअसल कैटर पिलर ट्रेन का कांसेप्ट काफी सरल है. कैटर पिलर ट्रेन सिस्टम में पूरी की पूरी ट्रेन व्यवस्था सड़क के ऊपर ही बनाई जा सकती है. आर्क के आकार में
खंबे लगाकर इनके ऊपर रेल पटरी बिछाई जाएगी. इन पटरियों पर 20 लोगों के बैठने के लिए डिब्बे चलाए जाएंगे. खास बात ये है कि ये डिब्बे दोहरे स्तर पर चलेंगे.
आधे डिब्बे पटरियों पर लटक कर तो वहीं आधे डिब्बे पटरियों के ऊपर चलेंगे. ये डिब्बे ऐसे होंगे कि इनमें चारों तरफ गेट होंगे और ये जीपीएस के जरिए आटोमेटेड तरीके से बिजली के जरिए चलेंगे.
100 किलोमीटर प्रति घंटे पर दौड़ेगी ट्रेन
इन डिब्बों में आठ जोड़ी छोटे पहिए लगे होंगे जो इस ट्रेन को चलाएंगे. कैटर पिलर ट्रेन को ड्राइवर की जरूरत नहीं होगी और इसके स्टेशन दो पटरियों के क्रास सेक्शन
पर भी होगें. डिब्बों में सिर्फ और सिर्फ बैठने की ही व्यवस्था होगी. इन डिब्बों में यात्री के सामने स्क्रीन होगी जिसमें वो अपनी लोकेशन चुन सकेगा. ट्रेन यात्री को उचित
स्टेशन पर उतार देगी. अगर ट्रेन फुल है और किसी स्टेशन पर कोई यात्री उतर नहीं रहा है तो वो ट्रेन उस स्टेशन पर नहीं रुकेगी. इससे यात्रियों को जल्दी पहुंचाने में
मदद मिलेगी. इस ट्रेन को 100 किलोमीटर प्रति घंटे की औसत स्पीड पर चलाया जा सकता है.