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ऑनलाइन रेल टिकट पर अब यात्रियों को मिलेगा 10 लाख रुपए का बीमा

रेलवे 1 सितंबर से आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर अपना टिकट बुक कराने वाले रेल यात्रियों को एक रुपये से भी कम के प्रीमियम यानी 92 पैसे पर 10 लाख रुपये का यात्रा बीमा देने जा रही है. आईआरसीटीसी अपनी आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से ई-टिकट बुक कराने वाले भारतीय रेलवे के सभी यात्रियों के लिए नई सुविधा शुरू कर रही है.

रेल यात्रियों के लिए खुशखबरी रेल यात्रियों के लिए खुशखबरी
सिद्धार्थ तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 30 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 8:29 PM IST

रेलवे 1 सितंबर से आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर अपना टिकट बुक कराने वाले रेल यात्रियों को एक रुपये से भी कम के प्रीमियम यानी 92 पैसे पर 10 लाख रुपये का यात्रा बीमा देने जा रही है. आईआरसीटीसी अपनी आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से ई-टिकट बुक कराने वाले भारतीय रेलवे के सभी यात्रियों के लिए नई सुविधा शुरू कर रही है.

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यह सुविधा उप नगरीय ट्रेनों को छोड़कर, बाकी सभी ट्रेनों में सभी वर्ग के टिकट पर लागू होगी और इसे अभी परीक्षण के आधार पर शुरू किया जाएगा. रेल मंत्री सुरेश प्रभु के मुताबिक यात्री सुविधाओं की दिशा में ये एक महत्वपूर्ण कदम होगा.

रेलमंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक 31 अगस्त को रेल टिकट पर 10 लाख रुपये की बीमा योजना को विधिवत लांच किया जाएगा. इस योजना के तहत ट्रेन में यात्रा कर रहे यात्रियों की मृत्यु या स्थायी रूप से पूर्ण विकलांगता की स्थिति में यात्रियों या उनके परिवारों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा, जबकि स्थायी रूप से आंशिक विकलांगता होने पर 7.5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा.

अस्पताल में भर्ती होने पर दो लाख रुपये तक का खर्च दिया जाएगा. ट्रेन दुर्घटना में मौत या घायल होने पर पार्थिव शरीर को जे जाने के लिए या आतंकवादी हमलों, डकैती, दंगा, गोलीबारी या आगजनी के साथ- साथ कम समय तक के लिए टर्मिनेषन, मार्ग में परिवर्तन करने और विकल्प ट्रेनों जैसी अन्य ‘अप्रिय घटना’ होने पर 10 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाएगा.

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ट्रेन दुर्घटना और अप्रिय घटना के मामलों को रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 123 के तहत परिभाषित (इसे धारा 124 और 124ए के तहत पढ़ा जाएगा) किया जाएगा.

बीमा कवर सभी वर्गों के लिए एक समान होगा और इसके विकल्प ई-टिकट बुकिंग के समय चेकबॉक्स के माध्यम से उपलब्ध होंगे. यदि यात्री बीमा को चुनता है तो टिकट की राशि में प्रीमियम राशि को स्वतः जोड़ दिया जाएगा. टिकट बुकिंग और प्रीमियम के भुगतान के बाद, नामांकन विवरण पूरा होने का एक संदेश आएगा, जो दावों का समय पर निपटान करने के लिए आवश्यक होगा.

बीमा का विकल्प लेने के बाद, टिकट बुक किये गये सभी यात्रियों का पीएनआर नंबर और प्रीमियम के चार्ज के हिसाब से कवरेज अनिवार्य हो जाएगा. पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए कवरेज के लिए इच्छुक उपयोगकर्ता को टिकट बुकिंग के समय ही बच्चे का ब्यौरा देना होगा और उसके अनुसार यात्रा बीमा प्रीमियम को कुल देय राशि में जोड़ दिया जाएगा.

बीमा पॉलिसी की ई-प्रति की रषीद प्राप्त करने के लिए यात्रियों को अपनी ईमेल आईडी अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराना होगा. उन्हें उसी समय बीमा कंपनी से एक लिखित संदेश भी आएगा. कवरेज यात्री के प्रारंभिक स्टेषन पर ट्रेन पर चढ़ने और गंतव्य स्टेशन पर उतरने सहित प्रारंभिक स्टेशन से ट्रेन के वास्तविक प्रस्थान से लेकर गंतव्य स्टेशन पर ट्रेन के वास्तविक आगमन तक के लिए मान्य होगा.

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योजना के दायरे के तहत बीमाधारी सभी व्यक्तियों के लिए दुर्घटना के बाद इलाज के साथ- साथ पार्थिव शरीर को ले जाने का भी प्रावधान है. ट्रेन मार्ग में परिवर्तन होने के मामले में, यह परिवर्तित मार्ग पर लागू होगी.

टिकट रद्द होने के मामले में, आईआरसीटीसी टिकट बुक की गयी राशि में से प्रशासनिक शुल्क को घटा कर प्रीमियम राशि को स्वतः वापस कर देगी. यह योजना आईसीआईसीआई के द्वारा आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस, रॉयल सुंदरम और श्रीराम जनरल के साथ साझेदारी में कार्यान्वित की जा रही है.

कुल 19 कंपनियों ने बोली प्रक्रिया में भाग लिया और 17 योग्य पाए गए. चुनी गई तीन कंपनियों को एक स्वचालित प्रणाली के तहत रोटेशन के आधार पर बीमा पॉलिसी दी जाएगी. आईआरसीटीसी प्रदाताओं को उनके प्रदर्शन के आधार पर अनुबंध को बढ़ाने के प्रावधान के साथ एक वर्ष का समय देगी.

यात्री के द्वारा बीमा को चुनने के मामले में, यात्री और बीमा कंपनी के बीच दावा/दायित्व का मामला होगा. दुर्घटना की वजह से मौत के मामले में कंपनी के द्वारा बीमा राशि का शत प्रतिशत भुगतान किया जाएगा. दावों की सूचना तत्काल देनी होगी और घटना के चार महीने बाद सूचना देने पर कोई कार्रवाई नहीं होगी.

बीमा कंपनी के द्वारा दावे की प्रक्रिया और दस्तावेज प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर ग्राहक या कानूनी वारिस को चेक भेजना आवश्यक है. किसी भी दावे को खारिज करने से पहले आईआरसीटीसी के नोडल अधिकारी के साथ मामले पर विचार-विमर्श करना बीमा कंपनी के लिए आवश्यक है.

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