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सर्ज प्राइसिंग को लोगों ने नकारा, रिजर्व रेलवे टिकट बुकिंग में तेज गिरावट

भारतीय रेलवे को सर्ज प्राइसिंग का फॉर्मूला महंगा पड़ता नजर आ रहा है. अक्टूबर के पहले 10 दिनों में फेस्टिवल सीजन होने के बावजूद ऑनलाइन टिकट बुकिंग में कमी आई है. 1 अक्टूबर से 10 अक्तूबर के बीच पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम के जरिए बुक होने वाले टिकटों की संख्या में पिछले साल के मुकाबले 11.55 फीसदी गिरावट आई है.

सर्ज प्राइसिंग से टिकटों की बुकिंग घटी सर्ज प्राइसिंग से टिकटों की बुकिंग घटी
सिद्धार्थ तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 21 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 8:37 PM IST

भारतीय रेलवे को सर्ज प्राइसिंग का फॉर्मूला महंगा पड़ता नजर आ रहा है. अक्टूबर के पहले 10 दिनों में फेस्टिवल सीजन होने के बावजूद ऑनलाइन टिकट बुकिंग में कमी आई है. 1 अक्टूबर से 10 अक्तूबर के बीच पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम के जरिए बुक होने वाले टिकटों की संख्या में पिछले साल के मुकाबले 11.55 फीसदी गिरावट आई है. इस दौरान इस साल 1 करोड़ 27 लाख लोगों ने पीआरएस के जरिए टिकट बुकिंग कराकर सफर किया. पिछले साल समान अवधि में ये संख्या 1 करोड़ 43 लाख थी. यानी इस बार फेस्टिवल सीजन होने के बावजूद रिजर्व टिकटों की संख्या में 16 लाख की सीधी सीधी कमी आई है. टिकट बुकिंग में आई इस कमी के पीछे सबसे बड़ी वजह सर्ज प्राइसिंग के चलते रेलवे के शताब्दी, राजधानी और दूरंतों जैसी ट्रेनों के किराए में हुई भारी बढ़ोतरी को माना जा रहा है.

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खास बात ये है कि रेलवे में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या फेस्टिवल सीजन में घटने के साथ ही 1 से 10 अक्तूबर के बीच पीआरएस के जरिए की गई बुकिंग से रेलवे को कुल 715.96 करोड़ रुपये की कमाई हुई है. पिछले साल की समान अवधि से तुलना करने पर ये कमाई 57.60 करोड़ रुपये कम रही है. रेलवे के आला अफसरों के मुताबिक सर्ज प्राइसिंग की वजह से शताब्दी और राजधानी के किराए एयर फेयर से भी ज्यादा हो गए हैं लिहाजा लोग रेलवे की बजाए हवाई यात्रा को तरजीह दे रहें हैं.

सर्ज प्राइसिंग में फर्स्ट क्लास के किराए को जस का तस रहने दिया गया और इसे नहीं छुआ गया. बावजूद इसके वातानूकूलित फर्स्ट क्लास में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या में 1 अक्तूबर से 10 अक्तूबर के बीच 17.60 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई है. इस दौरान वातानूकूलित फर्स्ट क्लास में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या 15796 गिरकर 73937 रह गई. इस दौरान इस सेगमेंट में होने वाली कमाई 18.18 फीसदी गिरकर 12.60 करोड़ रुपये रह गई. वातानूकूलित फर्स्ट क्लास में गिरावट आने के पीछे सस्ते हवाई किराए को जिम्मेदार माना जा रहा है.

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सर्ज प्राइसिंग की वजह से राजधानी, शताब्दी और दूरंतों में सेकेंड एसी के किराए डेढ़ गुने से ज्यादा हो गए थे. सेकेंड एसी में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या में 1 अक्तूबर से 10 अक्टूबर के दौरान भारी कमी देखी गई. इस दौरान इस सेगमेंट में यात्रियों की संख्या 5,97,933 रही. पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले ये संख्या 1,47,724 कम है. इस वजह से सेकेंड एसी से होने वाली कमाई इस दौरान 16 फीसदी घटकर 78.62 करोड़ रुपये ही रह गई.

शताब्दी, राजधानी और दूरंतों में वातानुकूलित चेयरकार के किराए भी सर्ज प्राइसिंग की वजह से डेढ़ गुने हो गए हैं. सर्ज प्राइसिंग का इस सेंगमेंट में खासा बुरा असर दिखा. 1 अक्टूबर से 10 अक्तूबर के दौरान वातानुकूलित चेयरकार में सफर करने वालों की संख्या 1,01,489 घटकर 7,09,723 रह गई. इससे इस सेगमेंट में रेलवे को इस दौरान महज 40.71 करोड़ रुपये की कमाई हुई. जो रेलवे की उम्मीदों के उलट महज 2 फीसदी ही ज्यादा है.

एसी 3 में सफर करने वाले लोगों की संख्या में 1 अक्टूबर से 10 अक्टूबर के दौरान भारी गिरावट आई है. इस दौरान एसी 3 में सफर करने वालों की संख्या 3,11,829 घटकर 20,31,545 रह गई. एसी 3 के टिकट से इस दौरान होने वाली आमदनी 6.46 फीसदी घटकर 230.03 करोड़ रुपये रह गई.

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दरअसल रेलवे ने बीते 9 सितंबर से सर्ज प्राइसिंग का फॉर्मूला लागू किया था. एयरलाइन्स की तर्ज पर राजधानी, दूरंतो और शताब्दी ट्रेन के किरायों को लागू करने का फैसला किया था. राजधानी, दूरंतो और शताब्दी के टिकट का मूल्य फ्लेक्सी फेयर सिस्टम के तहत निर्धारित किया जा रहा है. इससे इन ट्रेनों के किराए बढ़कर डेढ़ गुने हो गए. लेकिन इसका असर तुरंत नहीं दिखा. उल्टे रेलवे ने सर्ज प्राइसिंग को बेहतरीन बताते हुए ये दावा करना शुरू कर दिया कि सर्ज प्राइसिंग के चलते रेलवे की आमदनी में इजाफा हो रहा है. लेकिन असल हकीकत सामने आने पर अब रेलवे के आला अफसरों से लेकर मंत्री तक सभी कुछ बोलने से कन्नी काट रहे हैं.

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