
उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के ऐतिहासिक मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन करने की प्रक्रिया तेज हो गई है. रेलवे द्वारा अनुमोदन पत्र मिलने के बाद मुगलसराय डिविजन ने नाम बदलने की कवायद को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया है.
ब्रिटिश ईस्ट ईण्डिया कंपनी के जमाने में दिल्ली-हावड़ा रूट पर बने मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलने की कवायद तब शुरू हुई थी जब यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलने का सुझाव केंद्र के पास भेजा था जिसे केंद्र ने स्वीकार कर लिया. गौरतलब है कि 1968 में मुगलसराय स्टेशन पर ही पंडित दीन दयाल उपाध्याय मृत अवस्था में पाए गए थे.
इसी क्रम में मुगलसराय स्टेशन पर पुराने साइनबोर्ड को हटाकर नया साइनबोर्ड लगाने का काम शुरू कर दिया गया है. स्टेशन का नाम बदलने के बाद टिकट की बुकिंग के लिए स्टेशन का कोड जो कि एमजीएस (MGS) है, से बदलकर डीडीयू (DDU) कर दिया जाएगा.
इससे पहले केंद्र और राज्य सरकारें कई बड़ी योजनाओं को दीन दयाल उपाध्याय के नाम से घोषित कर चुकी है या चला रही है. दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना, दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना और दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना केंद्र की ओर से घोषित कई योजनाओं में से कुछ बड़ी योजनाएं हैं.
आपको बता दे कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने शासनकाल में इस स्टेशन का नाम बदलने का प्रयास किया था. लेकिन सरकार की यह योजना परवान नहीं चढ़ पाई थी. जिसके बाद कालांतर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा स्टेशन का नाम पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन करने मांग उठती रही.
उल्लेखनीय है कि मुगलसराय जंक्शन का नाम एशिया के सबसे बड़े रेलवे यार्ड के तौर पर जाना जाता है. यह दिल्ली-हावड़ा रूट के सबसे व्यस्त स्टेशन है, जहां से लाखों यात्री सफर करते हैं. यहां से तकरीबन 250 ट्रेनें रोज़ाना गुज़रती है.