
आंध्रप्रदेश में जगदलपुर-भुवनेश्वर हीराखंड एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने में नक्सलियों का हाथ नहीं है. रेलवे ने इस हादसे के पीछे नक्सलियों के हाथ होने का संदेह जताया था. लेकिन रायगडा के जिला कलेक्टर के मार्फत हुई शुरुआती जांच में इस हादसे में नक्सलियों का हाथ नहीं पाया गया.
21 जनवरी की रात हुए इस हादसे में ट्रेन का इंजन और नौ डिब्बे पटरी से उतर गए. इस हादसे में 42 यात्रियों की मौत हो गई और करीब 50 घायल हुए हैं. बीते तीन महीनों में यह तीसरी रेल दुर्घटना है. यह हादसा उस वक्त हुआ जब ट्रेन जगदलपुर से भुवनेश्वर जा रही थी. पूर्व तट रेलवे के एक अधिकारी के मुताबिक कुनेरू स्टेशन के समीप ट्रेन के इंजन के अलावा दो वातानुकूलित कोच, चार शयनयान कोच, दो सामान्य श्रेणी के डिब्बे और गार्ड सह यात्री कोच पटरी से उतर गए.
रेलवे को जहां एक ओर संदेह है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र में कुनेरू स्टेशन के पास हादसा पटरी से छेड़छाड़ के चलते हुआ. वहीं ओडिशा पुलिस ने भी घटना में नक्सलियों की संलिप्तता से इंकार किया है. रेलवे के अनुसार प्रथम दृष्ट्या रेल फ्रैक्चर के चलते ट्रेन पटरी से उतरी. लेकिन यह पता लगाना होगा कि पटरी फ्रैक्चर तोड़फोड़ के चलते हुआ या लापरवाही या रखरखाव के अभाव इसकी वजह रहा.
रेलवे के प्रवक्ता अनिल सक्सेना ने कहा है कि वास्तविक कारण का पता रेल सुरक्षा आयुक्त की जांच के बाद ही चलेगा. दुर्घटना होने के मात्र दो घंटे पहले ही एक मालगाड़ी उसी रेल पटरी से गुजरी थी. गश्ती टीम ने भी निरीक्षण के दौरान पटरी को ठीक पाया था. सक्सेना ने कहा कि चालक ने बड़ा झटका और तेज आवाज के बाद इमरजेंसी ब्रेक लगाया था.
यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित है और यह घटना गणतंत्र दिवस से ठीक पहले हुई है. हालांकि ओडिशा के पुलिस महानिदेशक के बी सिंह ने कहा कि माओवादियों का हाथ होने के कोई संकेत नहीं है. रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को दो लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने की घोषणा की. वहीं घायलों और गंभीर घायलों के लिए 25,000 और 50,000 रुपये के मुआवजे का ऐलान किया है.