Advertisement

...जब राजा राम मोहन के सामने उनकी भाभी को जलाया गया था जिंदा

जिसने की थी तीन शादियां उसने ही की अपनी भाभी का बदला लेने के लिए की समाज के ठेकेदारों से लड़ाई.

Raja Ram Mohan Roy Raja Ram Mohan Roy
विजय रावत
  • नई दिल्ली,
  • 22 मई 2017,
  • अपडेटेड 8:29 AM IST

वो ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने East India Company की नौकरी छोड़ खुद को राष्ट्र समाज में झोंक दिया. उन्होंने आजादी से पहले भारतीय समाज को सती प्रथा, बाल विवाह से निजात दिलाया.

हम बात कर रहे हैं 'राजा राम मोहन' की जिन्हें दुनिया 'आधुनिक भारत के जनक' के नाम से जानती है. भारत के विचारों में सुधार लाने वाले राजा राम मोहन' का जन्म 22 मई 1772 को हुआ था.

Advertisement

जानते हैं उनकी जिंदगी के बारे में

1. राजा राममोहन राय का जन्म बंगाल में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. वे ब्रह्म समाज के संस्थापक थे. साथ ही सामाजिक सुधार युग के पितामह थे.

2. 15 साल की उम्र से उन्हें बंगाली, संस्कृत, अरबी तथा फ़ारसी का ज्ञान हो गया था.

3. अपने करियर के शुरुआती दौर में उन्होंने 'ब्रह्ममैनिकल मैग्ज़ीन', 'संवाद कौमुदी' में भी काम किया.

इस दिन बनी थीं हमारी पहली Miss Universe

3. उनका सारा जीवन महिलाओं के हक के लिए संघर्ष करते हुए बीता. महिलाओं के प्रति उनके सीने में एक अलग ही जगह थी.

4 राजा राम मोहन राय को महिलाओं के प्रति दर्द उस वक्त एहसास हुआ जब उन्होंने अपने ही घर में अपनी ही भाभी को सती होते देखा.

5. राम मोहन ने कभी यह नहीं सोचा था कि जिस सती प्रथा का विरोध वो कर रहे हैं और जिसे समाज से मिटाना चाहते हैं, उनकी भाभी भी उसी का श‍िकार हो जाएंगी. राजा राम मोहन राय किसी काम के लिए विदेश गए थे और इसी बीच उनके भाई की मृत्यु हो गई. उसके बाद समाज के ठेकेदारों ने सती प्रथा के नाम पर उनकी भाभी को जिंदा जला दिया. 

Advertisement

6. इसके बाद मोहन राय ने सती प्र‍था के ख‍िलाफ अपने आंदोलन को तेज कर दिया. 

7. भाभी के त्याग के बाद उन्होंने ठान लिया था कि अब ऐसा किसी महिला के साथ नहीं होने देंगे. उन्होंने समाज की कुरीतियों के खिलाफ गवर्नर जनरल लार्ड विलियम बेंटिक की मदद से साल 1929 में सती प्रथा के खिलाफ कानून बनवाया.

8 . मोहन राय मूर्ति पूजा के विरोधी भी थे. पर जीवन में एक ऐसा मोड़ भी आया, जब वो खुद साधु बनना चाहते थे, लेकिन उनकी माता ने उन्हें रोक लिया.

9. राम मोहन रॉय ने तीन बार शादी की थी जिसके कारण उन्हें समाज में बहुविवाही कहने लगा.

10. उन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम और पत्रकारिता के कुशल संयोग से दोनों क्षेत्रों को गति प्रदान की.

11. मोहन स्वतंत्रता चाहते थे. वो चाहते थे कि इस देश के नागरिक भी उसकी कीमत पहचानें.

12. हिन्दी के प्रति उनका रुझान अधिक था. पर अंग्रेजी, फारसी और उर्दू की समझ भी कमजोर नहीं थी उनकी.

13. उन्होंने 1816 में पहली बार अंग्रेजी भाषा में HINDUISM(हिंदुत्व) शब्द का इस्तेमाल किया.

14. उन्होंने ब्रह्म समाज आंदोलन की शुरुआत की, जिसने सती प्रथा और बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई.

15. 1983 में इंग्लैंड में ब्रिस्टल की म्यूजियम एंड आर्ट गैलरी में राममोहन राय की प्रदर्शनी भी हुई.

Advertisement

16. शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने बड़े काम किए और कलकत्ता का हिंदू कॉलेज. एंग्लो-हिंदू स्कूल और वेदांत कॉलेज खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई है.

17. साल 1830 में मुगल साम्राज्य का दूत बनकर ब्रिटेन भी गए, ताकि सती प्रथा पर रोक लगाने वाला कानून पलटा जाए.

18. 27 सितम्बर 1833 को राजा राममोहन रॉय का निधन इंग्लैंड में हुआ.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement