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अलवर: गोरक्षकों ने की रकबर की हत्या, पिछले साल यहीं पहलू खान को मारा था

1 साल पहले अप्रैल 2017 में 55 साल के पहलू खान की गोरक्षकों की भीड़ ने पीट-पीट कर हत्या कर दी थी. जिस वक्त उनपर हमला किया गया था उस वक्त वह राजस्थान में गाय खरीदने के बाद हरियाणा जा रहे थे.

मृतक पहलू खान की तस्वीर मृतक पहलू खान की तस्वीर
जावेद अख़्तर
  • अलवर,
  • 21 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 6:30 PM IST

शुक्रवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में मॉब लिंचिंग के मुद्दे पर चिंता जाहिर करते हुए सभी राज्य सरकारों को इस दिशा में प्रभावी कदम उठाने की बात कही थी, जिसके कुछ घंटों बाद ही राजस्थान के अलवर में एक बार फिर ऐसी ही घटना सामने आई है. यहां के रामगढ़ थाना क्षेत्र में एक शख्स की गो-तस्करी के शक में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई.

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अलवर जिले का यह वही इलाका है, जहां एक साल पहले अप्रैल 2017 में 55 साल के पहलू खान की गोरक्षकों की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. जिस वक्त उनपर हमला किया गया था उस वक्त वह राजस्थान में गाय खरीदने के बाद हरियाणा जा रहे थे. डेयरी बिजनेस करने वाले पहलू खान की हमले के 2 दिन बाद मौत हो गई थी.

पहलू खान की हत्या पर अब तक देश में गुस्से का माहौल है और विपक्षी दलों समेत तमाम सामाजिक संगठन बीजेपी सरकार को गाय के नाम पर अंजाम दी गई उस घटना के आधार पर घेरते रहे हैं. अब एक बार फिर राजस्थान में हरियाणा के ही रहने वाले रकबर खान को गो-तस्करी के शक में मौत के घाट उतारने की घटना हुई है.

रामगढ़ थाना क्षेत्र के लालवंडी गांव में कुछ लोगों ने अकबर खान को पीट-पीटकर मार डाला. जानकारी है कि रकबर खान के साथ दो गाय थी. ऐसा देख गो-तस्करी के शक में कुछ लोगों ने पीट-पीटकर उसकी हत्या कर दी. फिलहाल पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया है और गायों को गोशाला में भेज दिया गया है. मेडिकल बोर्ड से शव का पोस्टमॉर्टम कराया जाएगा. मृतक अकबर खान हरियाणा के कोलगांव का निवासी है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं बार-बार सार्वजनिक मंचों से गोरक्षा के नाम पर ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वालों लोगों की आलोचना कर चुके हैं. बावजूद इसके देश के अलग-अलग इलाकों से इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं.

पिछले हफ्ते ही सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग की घटनाएं रोकने के निर्देश देते हुए 4 हफ्ते में केंद्र और राज्यों को उन्हें लागू करने के आदेश दिए थे. कोर्ट ने कहा था कि कोई नागरिक अपने हाथ में कानून नहीं ले सकता. ये राज्य सरकारों का फर्ज है कि वो कानून व्यस्था बनाये रखें. कोर्ट ने कहा था कि संसद इसके लिए कानून बनाए, जिससे भीड़ द्वारा हत्या के लिए सजा का प्रावधान हो.

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