
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राजस्थानी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किए जाने का अनुरोध किया है. इसके साथ ही सीएम गहलोत ने इसे संवैधानिक मान्यता देने की मांग की है.
मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि उनके पिछले कार्यकाल के दौरान राजस्थान विधानसभा ने सर्वसम्मति से संकल्प पारित कर केंद्र को भेजा था. गहलोत द्वारा लिखे गए पत्र में यह कहा गया है कि इस संकल्प के तहत राजस्थानी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध किया गया था तथा उसके बाद भी कई बार राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा देने की मांग राजस्थान सरकार करती आई है.
मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि राजस्थानी देश की समृद्धतम स्वतंत्र भाषाओं में से एक है जिसका अपना इतिहास है. गहलोत ने पत्र में लिखा कि राजस्थानी भाषा के इतिहास के बारे में लगभग 1000 ई. से 1580 तक 1500 ई. के कालखंड को ध्यान में रखकर गुजराती भाषा एवं साहित्य के मर्मज्ञ स्वर्गीय श्री झवेरचंद मेघानी ने भी लिखा है कि राजस्थानी व्यापक बोलचाल की भाषा है. इसी की पुत्रियां बाद में बृजवासी, गुजराती का नाम धारण कर स्वतंत्र भाषाएं बनीं और अन्य भाषाओं की तरह ही राजस्थानी की भी मेवाड़ी, मारवाड़ी, वागडी आदि कई बोलियां हैं. यह बोलियां वैसे ही इसे समृद्ध करती हैं जैसे पेड़ को उसकी शाखाएं.
मुख्यमंत्री गहलोत ने यह भी कहा कि संविधान में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि एक भूभाग की अगर कोई भाषा है तो उसे बचाया और संरक्षित किया जाए, राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलना हमारी संस्कृति और समृद्ध परंपराओं से नई पीढ़ी को अवगत करवाने के साथ ही भावी पीढ़ियों के मानवीय अधिकारों के संरक्षण की दिशा में एक सराहनीय कदम होगा.
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि 2003 में राजस्थान विधानसभा द्वारा पारित कर भेजे गए संकल्प का सम्मान करते हुए राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता देने के बारे में यथोचित आदेश प्रसारित कराएं.