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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बागी रुख अख्तियार कर सचिन पायलट फिलहाल भले ही कांग्रेस से दूर चले गए हों, लेकिन पार्टी में वापसी का रास्ता अभी भी उन्होंने खोल रखा है. हालांकि, बीजेपी में जाने की संभावनाओं से पायलट पहले ही इनकार कर चुके हैं और गहलोत की चेतावनी और अनुशासनात्मक कार्रवाई के बाद भी वो नहीं झुके. सचिन पायलट कोर्ट से सियासी बाजी जीतने के बाद क्या अब कांग्रेस नेताओं को साधने में जुटे हैं.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिस तरह से सचिन पायलट को लेकर आक्रामक हैं, पर वैसा रुख पायलट नहीं दिखा रहे हैं. गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाने की जिद भले ही पायलट पाले हों, लेकिन सार्वजानिक रुप से किसी तरह की कोई बयानबाजी करते नहीं दिखे हैं. कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व को लेकर भी कोई टिप्पणी पायलट ने नहीं की है जबकि प्रदेश अध्यक्ष पद से लेकर डिप्टी सीएम तक से हटा दिया गया है. गहलोत के खिलाफ भले ही बागी हों, लेकिन सचिन पायलट अब कांग्रेस को लेकर नरम होते नजर आ रहे हैं.
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राजस्थान में सचिन पायलट की जगह गोविंद सिंह डोटासरा ने बुधवार को प्रदेश अध्यक्ष पद की कुर्सी संभाली. इस मौके पर पायलट ने डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करने की बधाई दी. उन्होंने ट्वीट में लिखा कि मुझे उम्मीद है कि आप बिना किसी दबाव या पक्षपात के उन कार्यकर्ताओं जिनकी मेहनत से सरकार बनी हैं, उनका पूरा मान-सम्मान रखेंगे.
वहीं, डोटासरा ने भी बधाई स्वीकार करते हुए ट्वीट किया, 'बहुत-बहुत धन्यावाद सचिन जी. मुझे भी उम्मीद है कि आप बीजेपी और खट्टर सरकार की मेहमानाजी छोड़कर उन सभी कांग्रेसी कार्यकर्ताओं जिनकी मेहनत से सरकार बनी हैं, उनके मान-सम्मान को बरकारार रखने के लिए जयपुर आकर कांग्रेस सरकार के साथ खड़े होंगे.
सियासी संग्राम के बीच राजस्थान विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी के जन्मदिन पर पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बधाई और शुभकामनाएं दी हैं. पायलट ने ट्वीट करके कहा था, 'राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी जी को जन्मदिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. मैं ईश्वर से आपके उत्तम स्वास्थ्य एवं दीर्घायु जीवन की कामना करता हूं.'
बता दें कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल न होने पर स्पीकर सीपी जोशी ने ही बागी विधायकों को अयोग्यता नोटिस भी जारी किया था. विधायकों को अयोग्य ठहराने का मामला हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. अयोग्यता नोटिस को विधायकों ने राजस्थान हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. कोर्ट ने 24 जुलाई तक बागी विधायकों के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ स्पीकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे, लेकिन बाद में उन्होंने याचिका वापस ले ली. इसके बाद पायलट उन्हें जन्मदिन की बधाई देना नहीं भूले.
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कांग्रेस से बगावत करने के बाद सचिन पायलट ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से कांग्रेस के सिंबल हाथ को हटा दिया है. जिसके बाद काफी तरह की अटकलबाजी शुरू हो गई थी. कयास लगाये जा रहे थे की पायलट बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. लेकिन इसको लेकर पायलट ने कहा था कि वो बीजेपी में शामिल नहीं होना चाहते हैं. हाल ही में एक बार फिर से सचिन पायलट के फेसबुक पोस्ट में हाथ का निशान दिख रहा है.
दरअसल गहलोत को खुली चुनौती देने के बाद पायलट ने 25 जुलाई को नागपंचमी की और 26 जुलाई को करगिल दिवस की बधाई दी थी. उस वक्त उनके फेसबुक पोस्ट से कांग्रेस का हाथ निशान गायब था. इसके बाद अटकलें लगाई जा रही थी कि सचिन पायलट अब आधिकारिक रूप से कांग्रेस से अलग हो सकते हैं. ऐसे में सभी तरह की अटकलों पर विराम लगाते हुए सचिन पायलट ने सोमवार को तीन फेसबुक पोस्ट किए, जिसमें कांग्रेस का 'हाथ' निशान दिखाई दिया.
सचिन पायलट के इन्हीं कदम से माना जा रहा है कि वो भले ही गहलोत के खिलाफ बागवत का झंडा उठाकर कांग्रेस से दूर हो गए हों, लेकिन उन्होंने पार्टी में वापसी के लिए एक दरवाजा खोल रखा है. वो जिस तरह से बीजेपी में न तो शामिल हो रहे हैं और न ही अपनी पार्टी बनाने को लेकर कोई पहल करते दिख रहे हैं. ऐसे में देर सवेर पायलट क्या कांग्रेस में वापसी की राह तलाश रहे हैं, इसीलिए वो कांग्रेस के एक खेमे को फिलहाल साधकर रखना चाहते हैं?