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क्या आदिवासी बहुल खेरवाड़ा में अपनी खोई जमीन हासिल कर पाएगी कांग्रेस?

मेवाड़ के उदयपुर जिले की आदिवासी बहुल खेरवाड़ा विधानसभा सीट कांग्रेस की पारंपरिक सीट रही है. पूर्व मंत्री दयाराम परमार इस सीट का प्रतिनिधित्व पांच बार कर चुके हैं. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस अपनी खोई जमीन बीजेपी से वापस छीन पाती है या नहीं.

सीएम वसुंधरा राजे की सभा में खेरवाड़ा की जनता सीएम वसुंधरा राजे की सभा में खेरवाड़ा की जनता
विवेक पाठक
  • नई दिल्ली,
  • 19 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 4:29 PM IST

राजस्थान के उदयपुर जिले की कुल 8 विधानसभा सीटें हैं. इनमें 6 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित और 2 सीटें सामान्य हैं. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का 6 सीटों पर कब्जा है जबकि एक पर कांग्रेस और एक सीट पर निर्दलीय विधायक हैं.

उदयपुर की खेरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र संख्या 151 की बात करें तो यह विधानसभा आदिवासी बहुल सीट है. 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की जनसंख्या 4,03,752 है, जिसका 94.71 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण और 5.29 प्रतिशत हिस्सा शहरी है. वहीं खेरवाड़ा सीट की कुल आबादी का 77.21 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति और 3.8 फीसदी आबादी अनुसूचित जाती है. यह सीट कांग्रेस की पारंपरिक सीट मानी जाती है, जिसका कांग्रेस के बड़े नेता और पूर्व मंत्री डॉ दयाराम परमार 5 बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

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2017 की वोटरलिस्ट के अनुसार कुल मतदाताओं की संख्या 2,30,437 है और 307 पोलिंग बूथ हैं. साल 2013 के विधानसभा चुनाव में 73.36 फीसदी मतदान हुआ था, जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में 62.98 फीसदी मतदान हुआ था.

2013 विधानसभा चुनाव का परिणाम

साल 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के नाना लाल अहारी ने राज्य में मंत्री और कांग्रेस के विधायक और दया राम परमार को 11206 मतों से पराजित किया था. बीजेपी के नाना लाल अहारी को  84885 वोट मिलें, वहीं कांग्रेस के दया राम परमार को 73679 वोट मिले थें.

2008 विधानसभा चुनाव का परिणाम

साल 2008 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दयाराम परमार ने बीजेपी के विधायक नाना लाल अहारी को 14763 वोटों से शिकस्त दी थी. कांग्रेस के दयाराम परमार को 68708 वोट और बीजेपी के नाना लाल अहारी को 53945 वोट मिले थे.  

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