
राजस्थान की राजनीति में जाट समुदाय का खासा प्रभाव माना जाता है. सूबे की सियासत में बड़ी भागीदारी रखने वाला जाट समुदाय नागौर समेत दूसरे जिलों की करीब 50 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर निर्णायक की भूमिका अदा करता है. इस बार नागौर के जाट नेता हनुमान बेनीवाल बीजेपी के खिलाफ जाकर समुदाय को एकसाथ लाकर चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं.
नागौर जिले का सियासी समीकरण
यह जिला जाट राजनीति का केंद्र माना जाता है. बलदेव राम मिर्धा परिवार के दो सदस्य रामनिवास मिर्धा और नाथूराम मिर्धा के समय जाट राजनीति शिखर पर पहुंची. इन्हीं के चलते नागौर जाट राजनीति का सियासी केंद्र बना. मिर्धा परिवार की राजनीतिक हनक का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आपातकाल के बाद जब कांग्रेस का उत्तर भारत से सफाया हो गया, तब विधानसभा चुनाव में मारवाड़ की 42 सीटों में से कांग्रेस ने 26 सीटें जीत लीं.
अब यहां के जाट नेता हनुमान बेनीवाल बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. वे जाट बाहुल्य इलाकों में जाकर जनसभाएं कर रहे हैं और सभी जाटों को एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं.
जिले में कुल 10 विधानसभा सीट हैं, जिनमें से 8 सामान्य वर्ग के लिए हैं, जबकि 2 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. पिछले चुनाव में इनमें से बीजेपी ने 5, कांग्रेस ने 4 और एक सीट निर्दलीय ने जीती थी.
नावां सीट
इस सीट पर फिलहाल भारतीय जनता पार्टी के विजय सिंह विधायक हैं. उन्होंने कांग्रेस के महेंद्र चौधरी को हराया था. यहां करीब 21 फीसदी दलित आबादी है.
2013 चुनाव का रिजल्ट
विजय सिंह (बीजेपी)- 85,008 (56%)
महेंद्र चौधरी (कांग्रेस)- 55,229 (36%)
2008 चुनाव का रिजल्ट
महेंद्र चौधरी (कांग्रेस)- 62,963 (49%)
हरीश चंद (बीजेपी)- 41,116 (32%)