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राजस्थान विधानसभा चुनाव: वसुंधरा राजे के लिए करो या मरो की हालत

राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. वसुंधरा राजे के राजनीति के लिए विधानसभा चुनाव काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं. ऐसे में जन संवाद के जरिए जहां वे अपनी छवि को बेहतर बनाने में जुटी हैं, तो वहीं सुराज यात्रा के जरिए सभी 200 विधानसभा सीटों तक पहुंचने का प्लान है.

वसुंधरा राजे (फाइल फोटो) वसुंधरा राजे (फाइल फोटो)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 31 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 2:09 PM IST

राजस्थान में साल के आखिर में होने वाला विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए करो या मरो की स्थिति है. इसी के मद्देनजर वसुंधरा राजे अपनी छवि को बेहतर बनाने की कवायद में जुटी हैं. प्रदेश में लोगों की नब्ज समझने के लिए जनसंवाद अभियान के तहत राज्य का दौरा करने जा रही हैं.

वसुंधरा राजे इन दिनों विकास परियोजनाओं की घोषणा करने के साथ-साथ काम न करने वाले अधिकारियों को निलंबित कर रही हैं. इसके अलावा वसुंधरा प्रदेश की जनता से जन संवाद करके उनकी समस्या को सुनने और फौरन समाधान करने में जुटी है.

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उपचुनाव में बीजेपी को हार

बता दें कि 2013 में वसुंधरा राजे के सत्ता में आने के बाद से राज्य में जितने भी उपचुनाव हुए हैं, उन सभी में बीजेपी की हार हुई है. अजमेर, अलवर संसदीय सीट के साथ-साथ 16 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, बीजेपी एक भी सीट जीतने में नाकाम रही है.  दोनों लोकसभा और 15 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली है. जबकि एक सीट पर अन्य के खाते में गई है.

सत्ता विरोधी लहर     

राजस्थान में वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी माहौल को उपचुनाव नतीजों से बखूखी समझा जा सकता है. 2013 के बाद से बीजेपी का राज्य में एक भी चुनाव न जीतना इस बात के संकेत हैं. जबकि सत्ताधारी बीजेपी ने बूथ केंद्रों पर 10 स्थानीय लोगों को बूथ प्रभारी के रूप में नियुक्त किया था. इसके बावजूद बीजेपी उपचुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी. इतना ही नहीं वसुंधरा सरकार के खिलाफ लगातार लोग सड़क पर उतरकर आंदोलन कर रहे हैं.

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वसुंधरा के खिलाफ बगावत

वसुंधरा राजे से नाराज होकर बीजेपी नेता पार्टी से बगावत कर रहे हैं. छह बार के विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने बीजेपी को छोड़कर 'भारत वाहिनी पार्टी' नाम से अलग दल बना लिया. प्रदेश की सभी 200 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान भी कर चुके हैं. इसके अलावा कई नेता वसुंधरा राजे के खिलाफ पीएम मोदी और पार्टी अध्यक्ष को पत्र भी लिख चुके हैं.  

वसुंधरा से राजपूत वोटर्स नाराज

राजस्थान में बीजेपी का मूल वोटबैंक माने जाने वाले राजपूत समुदाय नाराज माने जा रहे हैं. अपराधी आनंदपाल एनकाउंटर, फिल्म पद्मावती और जयपुर राजपरिवार की सम्पति राजमहल पैलेस की जमीन पर सरकार के कब्जे जैसे मसलों पर राजपूत समाज सरकार के खिलाफ कई बार सड़कों पर उतरा. मुख्यमंत्री के विरोध में धरने-प्रदर्शन हुए. अक्टूबर में समाज की जयपुर में वसुंधरा धिक्कार रैली भी प्रस्तावित है. राज्य में राजपूत मतदाता करीब 12 फीसदी हैं.

वसुंधरा का जन संवाद

राजस्थान के बदलते सियासी समीकरण के कारण वसुंधरा राजे को जन संवाद शुरू करने के लिए जमीन पर उतरना पड़ा है. वसुंधरा खासकर उन क्षेत्रों में जन संवाद कर रही हैं, जहां हाल ही में कांग्रेस का ग्राफ बढ़ा है. राज्य के 33 जिलों में से अब तक 16 से अधिक जिलों की 50 विधानसभा क्षेत्र के लोगों के साथ बैठक कर चुकी हैं.

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अधिकारियों पर गिर रही गाज

वसुंधरा ने इस बैठक के जरिए पार्टी के स्थानीय नेताओं के साथ जुड़ने की कोशिश की है. ये बैठकें खासकर ग्रामीण इलाकों में हुईं. स्थानीय लोगों की शिकायत पर अधिकारियों को निलंबित कर रही हैं. पार्टी के नेताओं ने शिकायत की बांसवाड़ा में ब्लॉक विकास अधिकारी उनकी शिकायतों को सुनते नहीं हैं. इसके लिए वसुंधरा ने उसे फौरन निलंबित कर दिया.

वसुंधरा राजे पार्टी कार्यकर्ता के सुझावों पर विकास कार्यों को शुरू करने के लिए बैठकों का उपयोग कर रही हैं. स्थानीय पेयजल, सड़क की मरम्मत और 10 हजार करोड़ रुपये की हेल्थकेयर स्कीम लॉन्च किया, जिन पर काम शुरू हो चुका हैं. सहकारी बैंकों से लिए 50 हजार तक कृषि ऋण की छूट दी है. वसुंधरा राजे में कई लोक लुभावन स्कीम शुरू की है. बावजूद इसके लोगों में वसुंधरा सरकार के खिलाफ लोग गुस्से में दिख रहे हैं.

वसुंधरा राजे 4 अगस्त से 'सुराज गौरव यात्रा' पर निकलने जारी है. उनकी ये यात्रा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. इस यात्रा के जरिए वे 45 दिनों तक राज्य के दौरे पर रहेंगी. वे 33 जिलों की सभी सीटों को कवर करेंगी.

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