
दिसंबर में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राज्य में अपनी दो दिवसीय यात्रा के आखिरी दिन सीकर में संकल्प महारैली की. सीकर राजस्थान के जाट बहुल शेखावाटी क्षेत्र का हिस्सा है. राहुल से पहले वसुंधरा राजे यहां गौरव यात्रा ला चुकी हैं. पीएम मोदी और अमित शाह की रैली भी यहां हुई हैं. सवाल उठ रहे हैं कि इन दिग्गजों के दौरे के बाद क्या शेखावाटी का राजनीतिक समीकरण बदलेगा?
कभी कांग्रेस का गढ़, अब बीजेपी का कब्जा
शेखावाटी राजस्थान का पश्चिमी हिस्सा है जिसमें सीकर, झुंझुनू और चूरू जिला शामिल है. जाट बहुल शेखावाटी क्षेत्र कभी कांग्रेस का मजबूत दुर्ग रहा लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी इस क्षेत्र में सेंध लगाने में कामयाब रही. सीकर की 8 सीटों में से 5 पर बीजेपी का कब्जा है, 2 सीटों पर कांग्रेस है, वहीं एक निर्दलीय विधायक नंद किशोर महारिया कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं. झुंझुनू की 7 सीटों में से बीजेपी के पास दो सीटें हैं, दो पर कांग्रेस, 2 पर निर्दलीय और 1 पर बीएसपी का कब्जा है. वहीं चूरू जिले की 6 सीटों में से 4 पर बीजेपी 1 पर कांग्रेस और 1 पर बीएसपी का कब्जा है.
मोदी, शाह और राजे तीनों का खास फोकस
साफ है कि 21 सीटों वाले शेखावटी क्षेत्र में कांग्रेस के पास महज 6 सीटें हैं. अपने इस क्षेत्र को दोबारा हासिल करने के लिए कांग्रेस पूरी ताकत झोंक रही है. वहीं बीजेपी भी कांग्रेस से हथियाई हुई जमीन पर कब्जा बरकरार रखना चाहती है. यही वजह रही कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपनी सरकार की चौथी सालगिरह झुंझुनू में मनाई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय पोषण मिशन के लॉन्च और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के विस्तार के कार्यक्रम के लिए झुंझुनू को चुना. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी सीकर में पूर्व सैनिकों के साथ रैली कर चुके हैं. जबकि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे राजस्थान गौरव यात्रा के दौरान शेखावाटी का दौरा कर चुकी हैं.
किसानों की नाराजगी
राजस्थान में हुए किसान आंदोलन का एक मुख्य केंद्र सीकर था. शेखावाटी के कुछ हिस्सों में अच्छा प्रभाव रखने वाले वाम दल सीपीएम की किसान विंग अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) की अगुवाई में पिछले सितंबर यहां बड़ा किसान आंदोलन हुआ था. पूरे राज्य के किसानों ने इस आंदोलन का समर्थन किया और राजे सरकार को आंशिक कर्ज माफी के लिए मजबूर होना पड़ा. लेकिन किसानों की नाराजगी अभी बरकरार है क्योंकि सर्दियों के मौसम में ओले से बर्बाद हुई फसलों का उचित मुआवजा नहीं मिला और जो मिला वो उनके घाव पर नमक छिड़कने जैसा था.
कांग्रेस की खोई प्रतिष्ठा वापस लाने की कवायद
अपने मजबूत गढ़ में खोई प्रतिष्ठा दोबारा हासिल करने के लिए कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की रैली को सफल बनाने के लिए पिछले तीन दिनों से सीकर में डेरा डाले हुए थे. जाट बहुल शेखावाटी में जाटों के अलावा करीब 18 प्रतिशत अनुसूचित जाति के लोग हैं. वहीं बीजेपी के पास यहां प्रभावशाली जाट नेता का आभाव है, जो थे भी उनका या तो निधन हो गया या वो कांग्रेस में शामिल हो गए. ऐसे में इस क्षेत्र में सत्ता विरोधी लहर को भुनाने के लिए कांग्रेस पूरी कोशिश में है.
बीजेपी सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके सुभाष महरिया के कांग्रेस में आने से शेखावाटी में कांग्रेस की स्थिति मजबूत हुई है. उनके छोटे भाई व फतेहपुर से विधायक नंदकिशोर महरिया ने भी कांग्रेस का दामन थाम लिया. झुंझुनू में पूर्व केंद्रीय मंत्री शीशराम ओला का परिवार कांग्रेस की ताकत है. इन सबके बीच खींवसर से विधायक जाट नेता हनुमान बेनीवाल भी इस क्षेत्र में नजर बनाए हुए हैं.
शेखावाटी के प्रमुख मुद्दे
संपूर्ण कर्ज माफी शेखावाटी क्षेत्र का सबसे बड़ा मुद्दा है, क्योंकि यह कृषि पर आश्रित क्षेत्र है. शेखावाटी के किसानों के 2 बड़े आंदोलन के बाद ही सरकार ने 50 हज़ार रुपये तक के कर्ज की माफी की घोषणा की थी. कुंभाराम कैनाल योजना का लाभ नहीं मिल पाना भी यहां प्रमुख मुद्दा है.
नीमकाथाना, उदयपुरवाटी, श्री माधोपुर, दातारामगढ़ और राजगढ़ के सिधमुख में पानी की समस्या बड़ा मुद्दा है जिसका वादा सरकार ने पूरा नहीं किया. सीकर में मेडिकल कॉलेज भी बड़ा मुद्दा है. धोद, श्रीमाधोपुर, लक्ष्मणगढ़, पिलानी व सुजानगढ़ में सरकारी कॉलेज नहीं है.