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राजस्थान के कृष्ण-अर्जुन ने जीती सियासी महाभारत, किसका होगा राजतिलक?

राजस्थान विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत और सचिन पायलट की जोड़ी ने कांग्रेस के सत्ता से वनवास तो खत्म कर दिया है. ऐसे में अब राजतिलक किसका होगा?

अशोक गहलोत, राहुल गांधी, सचिन पायलट (फोटो-twitter) अशोक गहलोत, राहुल गांधी, सचिन पायलट (फोटो-twitter)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 12 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 11:58 AM IST

कांग्रेस के अशोक गहलोत और सचिन पायलट की जोड़ी यानी राजस्थान की सियासत के 'कृष्ण-अर्जुन' ने सियासी महाभारत को फतह कर लिया है. दोनों नेताओं की जोड़ी सूबे में सत्ता का वनवास काट रही कांग्रेस को राज्याभिषेक की ओर लेकर आई है. कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है. लेकिन अब सवाल उठता है कि राज्य की सत्ता के सिंहासन पर राजतिलक किसका होगा?

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अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों नेता राजस्थान के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं. लेकिन चुनाव के दौरान सत्ता हासिल करने की ये होड़ कभी ऐसी कटुता में नहीं बदली कि विरोध कांग्रेस के सियासी सफर में अवरोध बन जाए.

हालांकि, दोनों नेताओं की अपनी-अपनी लॉबी है और वो अपने नेता को सीएम पद के दावेदार के रूप में पेश करती रही है. लेकिन दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी जुबान पर ताले लगाए रखी और अपनी कलह को सतह पर नहीं आने दिया.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी दोनों नेताओं के बीच गुटबाजी को समझा और राजस्थान में मंच से सचिन पायलट और अशोक गहलोत को आपस में मिलवाया. इसी का नतीजा था कि चुनाव की घोषणा से पहले राजस्थान के करौली में कांग्रेस की संकल्प रैली में दोनों नेता एक मोटरसाइकिल पर सवार होकर निकले.

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सचिन पायलट बाइक चला रहे थे और उनके पीछे अशोक गहलोत बैठ कर हमराह बने. यही वो तस्वीर थी जिसने राजस्थान में कांग्रेस संगठन और अवाम को चुनावों के लिए तैयारी कर रही कांग्रेस में एकजुटता का संदेश दिया. राहुल ने एक रैली में कहा था कि जिस दिन गहलोत और पायलट एक मोटर साइकिल पर सवार होकर निकले, मैं समझ गया कि कांग्रेस राजस्थान चुनाव जीत गई है.

हालांकि बीजेपी ने इन दोनों नेताओं के बीच मतभेदों को सतह पर रख कर ये भाव लगातार पैदा करने की कोशिश कांग्रेस गुटों में बंटी हुई है और वो जनता की सेवा नहीं कर पाएगी. इतना ही नहीं बीजेपी बार-बार कहती रही है कि राजस्थान में सत्ता में आएगी तो कांग्रेस का सीएम कौन होगा.

इस सवाल पर पायलट और गहलोत दोनों ही ये कहते रहे कि कांग्रेस में कभी चेहरा घोषित करने की परंपरा नहीं रही है. पार्टी नेतृत्व विधायकों से राय, कार्यकर्ताओं की चाहत और दूसरे सभी पहलुओं पर विचार के बाद ही नेता का फैसला किया जाएगा.

कांग्रेस की इस जुगलबंदी ने वसुंधरा राजे को सत्ता से बेदखल कर दिया. कांग्रेस ने 99 सीटों के साथ सरकार में वापसी की है. ऐसे में कांग्रेस को बहुमत मिला तो इन दो नेताओं में से ही किसी एक का राजतिलक होगा.

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