
राजस्थान के बारां जिले में चिकित्सा विभाग सहित सरकारी तंत्र की संवेदनहीनता एक बार फिर सामने आई है. एक साल के कुपोषिण पीड़ित बच्चे की इलाज के अभाव में मौत हो गई. इतना ही नहीं परिजनों को उसके शव को कंधे पर रखकर को 6 किलोमीटर पैदल भी चलना पड़ा.
ये थी घटना
सोमवार को चैराखडी गांव में कुपोषण से पीडित बालक के जुकाम-खांसी के बाद बच्चे की तबीयत बिगड़ गई थी. परिजन 12 किलोमीटर पैदल चलकर बच्चे को उपचार के लिए शाहाबाद अस्पताल गए. जब वो वहां पहुंचे तो बच्चे की सांसें चल रही थी. जल्दी में उन्होंने पर्ची बनवाई, लेकिन तब तक अस्पताल के बंद होने का समय पूरा हो गया था. इसके कारण उन्हें डॉक्टर नहीं मिला.
इसके बाद परिजन पता पूछकर डॉक्टर के घर पहुंचे. वहां डॉक्टर ने उन्हें शाम पांच बजे आने के लिए कहा. साथ ही बच्चे को बारां ले जाने की बात भी कही. तब वे वहां कुछ देर और बैठे रहे. उन्हें लगा कि पर्ची बन गई है, तो शायद इलाज हो जाए या एम्बुलेंस से बारां भेजें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कुछ देर इंतजार करने के बाद वो लौट गए.
फिर वे बच्चे को बारां ले जाने को लेकर पैसों का इंतजाम करने के लिए परिजन पैदल गांव के लिए रवाना हुए, लेकिन रास्ते में बच्चे ने रास्ते में ही दम तौड़ दिया.
गोद में उठाकर चले 6 किमी. पैदल
इसके बाद वे बच्चे के शव को गोद में उठाकर पैदल ही गांव की ओर निकल गए. इस दौरान कभी बच्चें की मां कभी पिता कभी दादी गोद ओर कन्धें पर रखकर बच्चें के शव को घर ले गए. बता दें कि इस दौरान बच्चे की मां सदमे में रही. 6 किमी. पैदल चलने के बाद मौके पर पहुंचे एक समाजसेवी ने अपने वाहन से शेष 6 किमी. का सफर पूरा करा शव ओर परिजनों को घर छोड़ा.