
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले राज्यसभा सांसद मदनलाल सैनी को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बड़ा दांव चला है. इससे बीजेपी को ओबीसी समुदाय की नाराजगी दूर करने के साथ ही कांग्रेस के परंपरागत वोटों में सेंध लगाने में मदद मिलेगी. दरअसल, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत उसी माली समुदाय से आते हैं, जिससे मदनलाल सैनी आते हैं. अभी तक गहलोत की वजह से माली समुदाय कांग्रेस को वोट देता रहा है.
मदनलाल सैनी की नियुक्ति को विधानसभा चुनाव के साथ ही लोकसभा चुनाव की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है. वहीं, राजस्थान बीजेपी को करीब ढाई महीने की रस्साकसी के बाद अपना मुखिया मिल गया. राजस्थान में उपचुनाव में बीजेपी को मिली हार के बाद वसुंधरा राजे के करीबी माने जाने वाले अशोक परणामी ने पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद से किसी दूसरे नाम पर सहमति नहीं बन पा रही थी.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को राजस्थान बीजेपी का अध्यक्ष बनाना चाहते थे, लेकिन सीएम वसुंधरा राजे इससे सहमत नहीं थीं. वो श्रीचंद्र कृपलानी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के पक्ष में थीं. मतभेद होने के चलते बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पद पर नियुक्ति को लेकर किसी भी नाम पर सहमति नहीं बन पा रही थी.
इसके चलते पार्टी प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति का मामला पिछले करीब ढाई महीने से लटका हुआ था. राजस्थान में बीजेपी की सरकार है और इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए जातिगत समीकरण बैठाने के साथ ही सर्वमान्य चेहरे को सामने रखना बेहद जरूरी था. पिछले कुछ समय से राजस्थान में ओबीसी समुदाय वसुंधरा राजे सरकार से नाराज बताए जा रहे हैं. लिहाजा बीजेपी इनको भी खुश करना चाहती थी.
हाल ही में बीजेपी अध्यक्ष के साथ बैठक में राजस्थान के बीजेपी नेता साफ कहा था कि अगर शेखावत को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाता है, तो आगामी चुनाव जीतना मुश्किल हो जाएगा. इन नेताओं का मानना है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे राजपूत समुदाय से हैं और शेखावत भी राजपूत समुदाय से आते हैं. अगर दोनों ही राजपूत समुदाय से हो जाएंगे, तो दूसरी जातियां नाराज हो जाएंगी, जिसका खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है.
इसके अलावा राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बढ़ती राजनीतिक सक्रियता भी बीजेपी के लिए चिंता पैदा कर रही थी. लिहाजा बीजेपी को गहलोत का भी तोड़ ढूंढना जरूरी था. इन सब को देखते हुए बीजेपी के पास मदनलाल सैनी से बेहतर विकल्प नहीं था. मदनलाल सैनी भी उसी माली समुदाय से आते हैं, जिससे अशोक गहलोत आते हैं.
राजस्थान में माली समुदाय गहलोत की वजह से काफी समय से कांग्रेस को वोट देता आ रहा है. अब मदनलाल सैनी के प्रदेश अध्यक्ष बनने से बीजेपी को कांग्रेस के परंपरागत वोटों में सेंध लगाने में सफलता मिल सकती है. इसके अलावा मदनलाल सैनी राजपूत और जाट समुदाय से इतर ओबीसी से आते हैं. इससे बीजेपी को ओबीसी समुदाय को भी साधने में मदद मिलेगी.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनते ही मदनलाल ने भरी हुंकार
राज्यसभा सांसद मदनलाल सैनी ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालते ही जीत की हुंकार भरी. उन्होंने कहा कि पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी, उसे वो निभाएंगे और चुनाव में 180 सीट जीतने का लक्ष्य पूरा करेंगे. उन्होंने कहा कि हम निश्चित ही विधानसभा और लोकसभा चुनाव जीतेंगे. सैनी बीजेपी किसान मोर्चा के भी प्रदेशाध्यक्ष हैं. वो दो महीने पहले ही राज्यसभा के लिए निर्विरोध जीते थे.