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राजस्थान की सरकारी किताब में सुंदर रंग और अच्छी ऊंचाई है सफल उद्यमी की निशानी

राजस्थान के सरकारी स्कूलों की किताबों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्किल डेवलपमेंट मुहिम के तहत सफल उद्यमी बनने की जो खासियत बताई गई है, वह आपको हैरान कर देगी.  हिंदी में शामिल किताबों में कई विवादित बातें लिखी हैं.

12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल होगी किताब 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल होगी किताब
शरत कुमार
  • जयपुर,
  • 18 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 10:39 AM IST

राजस्थान के सरकारी स्कूलों की किताबों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्किल डेवलपमेंट मुहिम के तहत सफल उद्यमी बनने की जो खासियत बताई गई है, वह आपको हैरान कर देगी. सूबे के सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी पाठ्यक्रम में 'सामाजिक रूप से प्रासंगिक' विषय शामिल किए गए हैं. इसका मकसद सूबे और केंद्र की सरकार का अपनी योजनाओं का प्रचार करना है. इसके तहत हिंदी में शामिल किताबों में कई विवादित बातें लिखी हैं.

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पीयूसीएल की कविता श्रीवास्तव ने इसे वसुंधरा सरकार की रंगभेदी और नस्लीय सोच बताया है. ये किताबें फिलहाल स्कूलों में नहीं पहुंची हैं लेकिन राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की बेवसाइट पर इसे डाल दिया गया है. इसी शिक्षा सत्र से ये किताब पाठ्यक्रम में शामिल हो जाएंगी.आलोचकों का कहना है कि किसी भी स्कूल की कक्षा में हर रंग और हर कद के बच्चे पढ़ते हैं जो पाठ्यक्रम में ये बातें सुनकर हीनता से ग्रसित हो सकते हैं. हालांकि इस बारे में हमने राज्य के शिक्षा मंत्री का पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन वो बात करने के लिए तैयार नही हुए

इसकी एक किताब में सफल उद्यमी बनने के लिए अच्छी लंबाई और सुंदर रंग को जरूरी बताया गया है. इसके अलावा बेहतर स्वास्थ्य, प्रभावशाली व्यक्तित्व, शालीनता और गंभीरता का जिक्र किया गया है. किताब में मोदी सरकार और वसुंधरा राजे सरकार की सरकारी योजनाओं का भी जिक्र है, जिसमें पीएम मोदी के स्वच्छ भारत जैसे कार्यक्रम पर विस्तार से बताया गया है. कक्षा नौ से 12 तक चार भागों में समाजोपयोगी योजनाओं की किताबें पढ़ाई जा रही हैं, जिनमें स्वच्छ भारत अभियान, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, मुख्यमंत्री जल स्वालंबन योजना और भामाशाह योजना के चार अध्याय हैं.

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इसमें सरकारी मदद वाले अध्याय में लिखा गया है कि भामाशाह ने महाराणा प्रताप को आर्थिक मदद की थी. सरकारी किताब में साफ-सफाई के महत्व और इसका स्वास्थ्य पर असर, कचड़ा प्रबंधन, टिकाऊ विकास, वित्तीय समायोजन, जल संरक्षण, परंपरागत जल स्रोतों को पुनर्जिवित करने के तरीकों, महिला सशक्तिकरण, मेक इन इंडिया और रिसर्जेंट राजस्थान समिट के बाबत भी विस्तार से बताया गया है. इन किताबों को सरकारी स्कूल के शिक्षकों को सात सदस्यीय दल ने तैयार किया है.

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