
बॉलीवुड फिल्म पद्मावती पर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है और अब फिल्म के विरोध का असर किताबों पर भी पड़ने जा रहा है. अब राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की किताबों में भी पद्मावती के इतिहास में परिवर्तन किया जा सकता है. मौजूद किताबों में पढ़ाया जा रहा है कि दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी ने चितौड़ की रानी पद्मिनी का प्रतिबिंब के जरिए दीदार किया था, लेकिन करणी सेना और पद्मावती का विरोध कर रहे लोग इस बात से इनकार करते हैं.
अब सरकार की ओर से पद्मावती का विरोध किए जाने के बाद किताबों में लिखी गई जानकारी सुर्खियों में है. अब राजस्थान बोर्ड किताबों को बदलने की तैयारी में है. बता दें कि 12वीं कक्षा की इतिहास की किताब में परिवर्तन किया जा सकता है. राजस्थान बोर्ड के चेयरमैन बीएल चौधरी ने बताया कि किताबों में परिवर्तन किया जा सकता है और इस संदर्भ में शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की है. चौधरी के अनुसार जल्द ही इतिहासकारों से बात करके किताबों में बदलाव किया जाएगा और अगले साल नई किताबें छप सकती है.
जानें- कौन थे रतन सिंह, जिन्होंने स्वयंवर में की थी पद्मिनी से शादी
बता दें कि इतिहास की किताब के चौथे अध्याय 'मुगल आक्रमण: प्रकार और प्रभाव' में साफ लिखा हुआ है 'आठ वर्ष तक घेरा डालने के बाद भी जब सुल्तान चित्तौड़ को नहीं जीत पाया तो उसने प्रस्ताव रखा कि अगर उसे पद्मिनी का प्रतिबिंब ही दिखा दिया जाए तो वह दिल्ली लौट जाएगा. राणा ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया. दर्पण में पद्मिनी का प्रतिबिंब देखकर जब अलाउद्दीन वापिस लौट रहा था समय उसने रतन सिंह को कैद कर लिया और रिहाई के बदले पद्मिनी की मांग की.'
राजस्थान सरकार भी मानती है खिलजी-पद्मावती का हुआ था आमना-सामना!
यह फिल्म 14वीं शताब्दी के दौरान राजस्थान के चित्तौड़ की रानी पद्मिनी पर आधारित है. जिन्होंने अलाउद्दीन खिलजी और उसकी सेना के आक्रमण के दौरान अपनी अस्मत बचाने के लिए जौहर कर लिया था. इस कहानी को लेकर कई संगठनों को कहना है कि फिल्म में कई ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ की गई थी.