
राजस्थान सरकार एक बार फिर से गुर्जरों को आरक्षण देने जा रही है. इस बार ओबीसी में ही वर्गीकरण कर गुर्जरों को आरक्षण दिया जाएगा. इसके लिए ओबीसी का कोटा बढ़ाया जाएगा. बताया जा रहा है कि राजस्थान सरकार की तरफ से मंत्रियों के समूह और कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के मार्गदर्शन में गुर्जर प्रतिनिधिमंडल के बीच समझौता हुआ है जिसके बाद मुख्यमंत्री निवास पर इस पर मुहर लगी.
राजस्थान सरकार और गुर्जर नेताओं के बीच हुए समझौते के मुताबिक गुर्जर समेत पांच जातियों को पांच फीसदी आरक्षण देने के लिए ओबीसी कोटे को 21 फीसदी से बढ़ाकर 26 फीसदी कर दी गई है. राजस्थान में गुर्जरों को पांच फीसदी आरक्षण देने के लिए अलग से जो एसबीसी (स्पेशल बैकवार्ड क्लास) बनाकर आरक्षण दिया गया था उसे नोटिफिकेशन के जरिए खत्म किया जाएगा.
इस गुर्जर आरक्षण के लिए पिछले 10 सालों में तीसरी बार राजस्थान सरकार विधानसभा में विधेयक लाने जा रही है. सरकार ने संकेत दिए हैं कि सितंबर के मानसून सत्र में सरकार इसके लिए विधेयक पेश करेगी.
दरअसल गुर्जर आंदोलन के बाद बनी चोपड़ा कमेटी ने 15 दिसंबर 2007 को गुर्जरों को पांच फीसदी आरक्षण देने की बात कही थी उसके बाद राजस्थान सरकार ने विधानसभा में 2008 में विधेयक पेश कर गुर्जरों को पांच फीसदी और 15 फीसदी आरक्षण आर्थिक रुप से अगड़ों को दिया था. लेकिन तब आर्थिक रुप से आरक्षण का प्रावधान नहीं होने की वजह से कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी. फिर 30 जुलाई 2009 में सरकार ने अलग से गुर्जरों को पांच फीसदी आरक्षण दिया. तब राज्य में कुल आरक्षण 54 फीसदी हो गया. राजस्थान हाईकोर्ट ने 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण पर रोक दी. उसके बाद 6 मई 2010 को 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान मानते हुए सरकार ने एक फीसदी आरक्षण गुर्जरों को दिया और तब से ये मामला कोर्ट में ही चल रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल हाईकोर्ट के आदेश को यथास्थिति में रखा है. राज्य में फिलहाल 28 फीसदी आरक्षण एससी-एसटी को है और 22 फीसदी ओबीसी को है जबकि एक फीसदी एसबीसी को है जिसमें गुर्जर समेत पांच जातियां है. लेकिन गुर्जर आंदोलन पर उतारू थे और ओबीसी के अंदर ही आरक्षण मांग रहे थे ताकि कोर्ट में बचा जाए.
जानकारों का मानना है कि विधेयक के जरिए एसबीसी कोटे को ओबीसी में शामिल कर लेने की सरकार की इस चालाकी का कोर्ट पर कोई असर नहीं पड़ेगा और 50 फीसदी से ज्यादा के आरक्षण पर कोर्ट ने पहले से रोक लगा रखा है.