
राजस्थान की विश्व प्रसिद्ध सांभर झील में हजारों प्रवासी पक्षियों की मृत्यु के मामले में राजस्थान हाई कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार को मामले की जांच विशेषज्ञ समिति द्वारा करवाने और उसकी रिपोर्ट को 5 दिन में सौंपने का आदेश दिया है.
इस मामले में हाई कोर्ट में 13 नवंबर को याचिका दायर की गई थी. शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट में वन्यजीव प्रेमी अधिवक्ता महेंद्र कच्छावा ने कहा कि सरकार नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की गाइडलाइंस की अनदेखी कर रही है, एनजीटी ने झील के आसपास के इलाकों से फैक्ट्रियों को हटाने के निर्देश दे रखे हैं.
मामले की सुनवाई के दौरान गहलोत सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि प्रवासी पक्षियों की मौत के मामले की विशेषज्ञ कमेटी बनाकर जांच करवाई जा रही है. न्यायालय ने सरकार को 5 दिन के अंदर समिति की रिपोर्ट न्यायालय में पेश करने के आदेश दिए हैं.
जयपुर शहर से लगभग 80 किलोमीटर दूर राजस्थान की सांभर झील में 4000 से ज्यादा प्रवासी यानी माइग्रेटरी पक्षियों के मृत पाए जाने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया था. जिसके बाद आला अधिकारियों ने वहां पर पहुंचकर जांच शुरू की थी.
अधिकारियों के मुताबिक हजारों प्रवासी पक्षियों की मौत की वजह जानलेवा बोटूलिज्म बीमारी है. प्रशासन ने कुछ मृत पक्षियों के अवशेषों को भोपाल की रजिस्टर्ड लैब में भिजवाया था ताकि पक्षियों की मृत्यु की वजह की तह तक जाया जा सके.
वन एवं पर्यावरण विभाग की प्रमुख सचिव श्रेया गुहा ने आज तक से बातचीत में कहा, "हम यह देख रहे हैं कि जो हमारे विशेषज्ञ पता लगा पाएंगे कि इसके क्या कारण हैं और जो कारण है, हम जल्द से जल्द उसका निवारण करें. यहां हर साल पक्षी आते हैं, लेकिन ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी गई है. अभी के हालात का कारण पता करके हम जानकारी देंगे."
जयपुर की प्रसिद्ध सांभर लेक में हजारों की तादाद में हर साल वन्यजीव प्रेमी, बर्ड वॉचर एवं अन्य लोग, हजारों किलोमीटर की उड़ान भरकर यहां पहुंचने वाले प्रवासी या माइग्रेटरी पक्षियों को देखने आते हैं. इस महीने सांभर झील में हजारों की तादाद में मृत पाए गए प्रवासी पक्षियों में कॉमन कूट और ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट शामिल है.
इन प्रवासी पक्षियों के अवशेष लगभग 10 से 14 किलोमीटर के केचमेंट एरिया में फैले हुए पाए गए थे जिसके बाद प्रशासन और अधिकारियों में हड़कंप मच गया.
राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा सांभर झील में हुए हुई प्रवासी पक्षियों की मौत के बारे में जारी बयान में कहा गया है, 'अचानक पक्षियों की मौत होना चिंता का विषय है. राज्य सरकार इसको लेकर गंभीर है. पक्षियों को बचाने के लिए एक और रेस्क्यू सेंटर खोलने के निर्देश दिए हैं.'
सरकार ने कहा, 'राज्य पशुपालन विभाग की टीम ने वहां से सैंपल लेकर भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग केन्द्र में भेज दिए थे. वहां की रिपोर्ट के अनुसार एवियन फ्लू से संबंधित रिपोर्ट निगेटिव है. इसलिए फ्लू के संक्रमण का खतरा नहीं है. राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर के विशेषज्ञों ने एवियन बोट्यूलिज्म की संभावना जताई है. भोपाल से विस्तृत रिपोर्ट प्राप्त होने पर इसके वास्तविक कारणों का पता चल सकेगा.'
मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा जारी बयान में आगे कहा गया है, 'राहत कार्यों में एसडीआरएफ की टीम से भी सहयोग लिया जा रहा है ताकि पानी में कोई मृत पक्षी नहीं रहे. सांभर झील के विस्तृत क्षेत्र को देखते हुए सांभर साल्ट लिमिटेड से भी राहत कार्यों में सहयोग लिया जा रहा है. वहां दो इमरजेंसी मोबाइल यूनिट भी कार्य कर रही हैं और औषधियों का पर्याप्त इंतजाम किया गया है. पशुपालन विभाग की टीम स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है और स्थिति अब नियंत्रण में है.'